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सफलता के लिये धैर्य जरूरी, रातों-रात चमत्कार नहीं होता- कश्यप बंधु

संगीत नाटक अकादमी युवा पुरस्कार के लिये चयनित कश्यप बंधु की सत्यमेव न्यूज़ से खास बातचीत

पुरस्कारों की घोषणा के बाद साक्षात्कार में कश्यप बंधु ने कहा- धीरज धरे सो उतरे पार

खैरागढ़. संगीत नाटक अकादमी की ओर से उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार 2020 के लिये चयनित देश के प्रख्यात युवा शास्त्रीय संगीत गायक डॉ.प्रभाकर व डॉ.दिवाकर कश्यप से सत्यमेव न्यूज़ ने साक्षात्कार के माध्यम से खास बातचीत की. कश्यप बंधु ने कहा कि सफलता के लिये धैर्य बेहद जरूरी है, कोई भी क्षेत्र हो सफलता को लेकर रातों-रात कोई चमत्कार नहीं होता. संगीत को अपने जीवन का लक्ष्य बनाकर अनवरत आगे बढ़ रहे कश्यप बंधुओं ने अब तक की अपनी संगीत यात्रा को लेकर बताया कि बचपन से ही उनके घर-परिवार में सांगीतिक माहौल रहा, पिता रामप्रकाश मिश्रा संगीत के ज्ञाता व शिक्षक रहे वहीं माता भी संगीत साधिका रही. 4 साल की उम्र से कश्यप बंधुओं को संगीत की शिक्षा घर से ही प्राप्त हुई. मूल रूप से बिहार के सिवान जिला स्थित छपरा के रहने वाले कश्यप बंधुओं ने प्रारंभिक शिक्षा के साथ ही हायर सेकंड्री व स्नातक की पढ़ाई बिहार से ही की. इसके बाद शिमला विश्वविद्यालय से संगीत में ही स्नातकोत्तर उत्तीर्ण किया व कश्यप बंधुओं में लघु भ्राता डॉ.दिवाकर ने दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में गायक कलाकारों का चित्रपट संगीत में योगदान विषय पर और बड़े भाई डॉ.प्रभाकर कश्यप ने अमृतसर विश्वविद्यालय में अपने गुरूवर पं.राजन साजन मिश्र के व्यक्तित्व व कृतित्व का समाज में योगदान विषय पर शोध कार्य (पीएचडी) की उपाधि प्राप्त की. रोजगार आश्रय को लेकर कश्यप बंधुओं में बड़े भाई प्रभाकर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में व छोटे भाई दिवाकर खैरागढ़ विश्वविद्यालय में शास्त्रीय गायन विधा में सहायक प्राध्यापक के रूप में कार्यरत हैं. संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कार की घोषणा सफलता का श्रेय अपने माता-पिता व गुरूजनों को देते हुये कश्यप बंधुओं ने बताया कि किसी भी कलाकार के लिये पुरस्कार अहमियत रखता है लेकिन उसकी महत्ता तभी है जब वह सही समय पर मिले. पुरस्कारों से व्यापक सराहना मिलती है और उत्साह चौगुना हो जाता है लेकिन यह भी विडम्बना है कि आज के वर्तमान परिवेश में पुरस्कारों का बड़ा भ्रमजाल फैला हुआ है.

कर्मयोगी पुरस्कारों को दिल-दिमाग में नहीं रखते

कला जगत में पुरस्कारों को लेकर कश्यप बंधुओं ने दो टूक कहा कि जो कर्मयोगी हैं वे पुरस्कारों को दिल-दिमाग में नहीं रखते. पुरस्कार मिले या न मिले हमें सिर्फ अपना काम करते रहना चाहिये. उन्होंने अपने माता-पिता, गुरूजनों व खैरागढ़ विश्वविद्यालय की कुलपति ममता चंद्राकर का उदाहरण देते हुये कहा कि संघर्ष से ही सफलता का मुकाम हासिल होता है, हमें संघर्षशील व्यक्तित्व का अनुसरण करना चाहिये. उन्होंने बताया कि बचपन से ही सुबह 4:30 बजे से संगीत में चारों भाई-बहनों का अभ्यास शुरू हो जाता था. कश्यप बंधुओं के साथ उनके मंझले भाई सुधाकर व बड़ी बहन संगीता अलसुबह से ही रियाज करने लगते थे. अगर रियाज न हुआ तो पिताजी डंडा लेकर खड़े हो जाते थे. पिटाई भी होती थी, पिता न रहे तो माताजी भी उतनी ही कठोरता से अभ्यास करवाती थी. रोज रियाज को लेकर डर रहता था, पूछे जाने पर व्यंग्य करते हुये उन्होंने कहा कि बचपन में उन्हें भी लगता था कि बापू सेहत के लिये हानिकारक हैं लेकिन अब लगता है कि अभिभावकों को थोड़ा निर्दयी होना चाहिये.

पिता ने संगीत कला को साधने हर दिन 6-7 घंटे का रियाज करवाया, बिना अनुशासन के सफलता नहीं मिलती. संगीत के क्षेत्र में गुरू-शिष्य परंपरा को लेकर उन्होंने इस बात को लेकर बेहद प्रशंसा व्यक्त करते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ में आज भी अदब लिहाज बचा हुआ है. उन्होंने छत्तीसगढ़ को लेकर कहा कि यह एक ऐसा प्रदेश है जहां गुरू-शिष्य परंपरा विलुप्त नहीं हुई है. इस परंपरा में बड़ी बात यह है कि हम किसी को तालिम दे नहीं सकते क्योंकि तालिम ली जाती है. जब तक कोई शिष्य अपने गुरू को जियेगा नहीं उसे सफलता नहीं मिल सकती. जरूरी यह है कि हम सस्ती लोकप्रियता के पीछे न भागे बल्कि अपने कला कौशल के बूते बुनियादी काम करें. सब कहते हैं छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा पर खैरागढिय़ा औरै बढिय़ा. इसलिये क्योंकि न केवल संगीत बल्कि कला की तमाम विधाओं के अध्ययन-अध्यापन को लेकर खैरागढ़ में जो प्राकृतिक व अनुकूलित वातावरण है वह किसी भी कला योगी व कर्म साधक को निश्चित ही सफलता दिला सकता है. कुछ खुशमिजाज लहजे में वे कहते हैं दोनों भाईयों में बड़ा प्रेम है, हम दो तन पर एक मन हैं और दोनों भाई एक चंडीगढ़ व दूसरा खैरागढ़ दो गढ़ संभाले हुये हैं.

आम जनता तक शास्त्रीय संगीत को सहज पहुंचाना हमारा यही प्रयास

संगीत जगत में अपनी अनूठी छाप छोड़ रहे कश्यप बंधुओं ने अपने उद्देश्यों को लेकर कहा कि आज भी आम जनता तक शास्त्रीय संगीत सहज नहीं हो पाया है. एक कलाकार के रूप में शास्त्रीय संगीत को आम जनों तक सहजता से पहुंचाना बस यही हमारा प्रयास रहेगा. उन्होंने बताया कि शास्त्रीय संगीत बेहद सरल, सहज व मनोरम है. बस इसकी समझ को थोड़ा विकसित करने की आवश्यकता है. साक्षात्कार के दौरान उन्होंने राग यमन और मधुवंती राग में पहले गीत और फिर बंदिश के टुकड़े गाकर भी सुनाये और बताया कि लोग शास्त्रीय गीतों को तो सहज स्वीकार कर लेते हैं लेकिन बंदिशें अब भी आम जनजीवन में कठिन बनी हुई है.

बिना गुरू के सफलता नहीं मिल सकती

अपनी संगीत साधना को लेकर कश्यप बंधु कहते हैं कि बिना गुरू के किसी को भी सफलता नहीं मिल सकती, चाहे वह अर्जुन हो या एकलव्य. वे बताते हैं कि महज साढ़े चार साल की उम्र से ही सभी भाई-बहनों का मंचों में कार्यक्रम प्रारंभ हो गया था. पिता जानते थे आत्मविश्वास के लिये मंच बेहद जरूरी है इसलिये उन्होंने पिता के साथ एक मार्गदर्शक की भी भूमिका हमेशा पूरी की. माता-पिता जीवन में पहले गुरू होते हैं और उनका अनुसरण बहुत आवश्यक है. जीवन-यापन के लिये धनार्जन जरूरी है लेकिन किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिये गुरू निर्देशन में अभ्यास भी जरूरी है. कश्यप बंधु बताते हैं कि प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा के बाद बाहर प्रदेशों में अध्यापन के लिये परिवार ने प्रोत्साहित किया, काफी संघर्ष के बाद पढ़ाई पूरी हुई वहीं रोजगार के लिये भी पिता से निर्देश प्राप्त कर कश्यप बंधुओं ने संघर्ष किया. निजी शिक्षण के साथ ही रेल्वे में भी नौकरी की. इस दौरान विभिन्न मंचों में उनका कला प्रदर्शन अनवरत चलता रहा. उनके गुरू विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पद्मविभूषण पं.राजन-साजन मिश्र के प्रति आकर्षण व उनके सानिध्य शिक्षा को लेकर पूछे गये सवालों के जवाब में कश्यप बंधुओं ने बताया कि बचपन से ही घर में शास्त्रीय संगीत श्रवण के लिये कैसेट्स सुना करते थे, इसी दौरान वे पं.राजन-साजन मिश्र से परिचित हुये और उन्हें सुनकर लगता था कि ऐसे ही गाना है. कश्यप बंधु बताते हैं कि गुरूजनों से उनकी पहली मुलाकात पटना में कार्यक्रम के दौरान हुई थी लेकिन कई वर्षों बाद सन् 2000 में गुरू सानिध्य प्राप्त हुआ. पिताजी को अपने पुत्रों की भावना मालूम थी और उन्होंने संगीत सीखने देहरादून पं.राजन-साजन महाराज के पास गुरूकुल भेजा. जब गुरूओं ने कश्यप बंधुओं को सुना तो कहा था- ये तो बड़े होनहार हैं, आज से प्रभाकर और दिवाकर की जिम्मेदारी हमारी है.

कलाकारों के साथ हर युग में रही है रोजगार की चुनौती

चर्चा के दौरान कश्यप बंधुओं ने बताया कि कलाकारों के साथ हर युग में रोजगार की न केवल समस्या बल्कि चुनौती भी बनी रही है. एक कला साधक व शिक्षक होने के नाते कश्यप बंधु चाहते हैं कलाकारों को रोजगार के अवसर मिलते रहने चाहिये और इसके लिये सरकारों को और अधिक प्रयत्न की आवश्यकता है. हर कलाकार अपनी सरकार से हमेशा सकारात्मक अपेक्षा रखता है. उन्होंने शिक्षा में सरगम जैसी मुहिम का समर्थन करते हुये कहा कि हम चाहते हैं कि कलाकारों को संस्था से रोजगार मिले. शैक्षणिक संस्थानों में दूर-दूर से छात्र-छात्राएं अध्ययन के लिये आते हैं और उनके अभिभावक यही चाहते हैं कि जीवन-यापन के लिये उनके बच् चों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके. यह भी सच है कि सबको सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती लेकिन छात्र कला को नजदीक से समझें तो निजी क्षेत्र में भी रोजगार के अपार अवसर हैं. अंत में छात्रों के लिये उपदेश देते हुये कश्यप बंधुओं ने कहा कि अपनों से बड़ों का सम्मान अत्यंत आवश्यक है, छात्र हमेशा विनम्रता के साथ अनुशासन में रहें. जो विनीत व लचीला है, जिसमें झुक सकने की क्षमता है वही सफलता को प्राप्त कर सकता है.

देश-विदेश में प्रतिष्ठित मंचों पर कश्यप बंधु दे चुके हैं शानदार प्रस्तुतियां

कश्यप बंधु देश-विदेश के विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर भी अपनी शानदार प्रस्तुतियां दे चुके हैं जिसमें सवाई गंधर्व भीमसेन महोत्सव पुणे, चक्रधर संगीत समारोह रायगढ़, बाबा हरिवल्लभ संगीत समारोह जालंधर, महाराणा कुम्भा संगीत समारोह उदयपुर, उस्ताद अमीर खान संगीत समारोह इंदौर, वैदिक हेरिटेज म्यूजिक कॉन्सर्ट न्यूयॉर्क यूएसए, सप्तक संगीत सप्ताह अहमदाबाद, आरोही कॉन्सर्ट मुंबई, आरंभ संगीत कार्यक्रम भारत भवन भोपाल, 27वीं काशी संगीत सभा, पं.के गणेश कक्ष, किशन महाराज बनारस, वसंतोत्सव 07, नई दिल्ली (पं. बिरजू महाराज जन्मोत्सव), महाशिवरात्रि संगीत महोत्सव बनारस, गुरु सम्मान शिष्य परम्परा संगीत कार्यक्रम बनारस, युवा संगीत उत्सव 2018 संगीत नाटक अकादमी और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा, सुर सलीका गया जी 2018 गया बिहार, पं.बिमलेंदु मुखर्जी संगीत समारोह 2019 रायपुर, एनजेडसीसी द्वारा श्याम संगीत सम्मेलन 2019 (उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र), आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) और दूरदर्शन के लिए राष्ट्रीय संगीत कार्यक्रम तथा गुरुपूर्णिमा संगीत समारोह, सत्य साईं ग्राम मुद्देनहल्ली बंगलौर शामिल हैं.

अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं कश्यप बंधु

अपनी शानदार प्रस्तुतियों के कारण कश्यप बंधु कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से भी नवाजे जा चुके हैं जिसमें आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) और दूरदर्शन के ए श्रेणी के कलाकार, आईसीसीआर भारत सरकार के कलाकार (भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद), संस्कार भारती चंडीगढ़ द्वारा कला विभूति सम्मान, अभिनव कला परिषद भोपाल द्वारा युवा खोज पुरस्कार, भारतीय संगीत अकादमी द्वारा राइजिंग स्टार अवार्ड, आइडिया जलसा-म्यूजिक फॉर द सोल- 2012 के विजेता, दूरदर्शन और ज़ी टीवी द्वारा राष्ट्रीय प्रतिभा खोज कार्यक्रम, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य अमेरिका और मुंबई में हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन के लिए वैदिक विरासत संगीत प्रतियोगिता में विजेता, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005-2007 के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति प्रदान की गई भारत की, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायन और अर्ध-शास्त्रीय गायन के लिए अखिल भारतीय रेडियो संगीत प्रतियोगिता के विजेता, सुरमणी सुर श्रृंगार संसद मुंबई द्वारा, संगीत कलारत्न मातृ उद्बोधन आश्रम पटना द्वारा, प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद द्वारा अखिल भारतीय संगीत प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक विजेता, रोटरी क्लब छपरा जोधपुर पुणे द्वारा अनमोल रत्न पुरस्कार व संगीत कला रत्न पुरस्कार उज्जैन आदि शामिल है.

Satyamev News

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