जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण प्रकिया में ओबीसी के साथ भेदभाव
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार पर भेदभाव का आरोप
आरक्षण में ओबीसी शून्यता को लेकर जिपं सभापति ने जताई नाराजगी
प्रदेश के 33 जिलों में ओबीसी के लिये एक भी आरक्षण नहीं
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. वर्तमान में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर हुई आरक्षण प्रक्रिया के तहत जिले के 33 जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण में ओबीसी को मिले शून्य स्थान पर जिला पंचायत सभापति विप्लव साहू ने नाराजगी व्यक्त की है। श्री साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार और उनकी नीतियां ओबीसी के लिए दुश्मन बन गई हैं। नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी के संभावित अभ्यर्थियों को गहरा धक्का लगा है। ओबीसी समुदाय भाजपा को जिंदा रखने में रीढ़ की हड्डी का काम कर रही है लेकिन भाजपा ने उसी समुदाय को ठेंगा दिखाने का काम किया है। इसका स्पष्ट उदाहरण वर्तमान चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया पर दिख रहा है जिसमें चुनाव से पूर्व छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा था कि आरक्षण प्रक्रिया को 50 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने देंगे। संख्या और महिला आरक्षण के अनुपात में दिए जाने के कारण ओबीसी को शून्यता मिली है। एक ओर जहां अनुसूचित जाति, जनजाति और सामान्य वर्ग के आरक्षण के लिए 2011 की जनगणना को आधार बनाया जा रहा है वहीं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के लिए हाल ही में की गई आंशिक जनगणना को आधार बनाकर ओबीसी के साथ अन्याय किया गया है। अब तो ओबीसी समाज को जागरूक हो जाना चाहिए और समझना चाहिए कि भाजपा ने बारीक नियमों को छन्नी से छानकर नगरीय निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ओबीसी समुदाय को कमजोर करने में सफलता हासिल कर ली है।