बाढ़ में जिस नाले में गई युवक की जान वो अब भी खुला हुआ

बाढ़ के बाद भी प्रशासनिक लापरवाही
प्रशासन को किसी और अनहोनी का इंतजार
खैरागढ़ नगर में हर साल आती है बाढ़
बाढ़ से होता है जान-माल का नुकसान
बाढ़ से गई एक और जान फिर भी जिम्मेदार बेफिक्र
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. हर साल बाढ़ से जूझने वाला खैरागढ़ नगर इस बार एक और त्रासदी का गवाह बना। 26 जुलाई को अचानक आई बाढ़ में नगर के इतवारी बाजार क्षेत्र में एक युवक अमित यादव की जान चली गई। हैरानी की बात यह है कि जिस नाले में वह बहा, वह आज भी खुला पड़ा है और प्रशासन अब भी उदासीन बना हुआ है। बताया जा रहा है कि नाले में अगर बैरिकैटिंग होती तो युवक की जान नहीं जाती है।
ईतवारी बाजार का खुला डोंगा नाला बना मौत का रास्ता
बाढ़ के दिन ईतवारी बाजार में मुस्का और आमनेर नदी का पानी तेजी से आया जिससे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। इसी दौरान कुछ युवक पानी में जम्प कर रहे थे कि तभी अमित फिसलकर खुले नाले में गिर गया और बह गया। अगले दिन उसका शव बरामद किया गया। इसी नाले में स्थानीय निवासी देवशरण रजक भी बह गया था लेकिन किस्मत ने उनका साथ दिया। देवशरण ने बताया कि, “मैं डोंगा नाले में बहकर आगे बेसुध बह रहा था, तभी एक सांप मेरे हाथ के पास से गुजरा और मैं डरकर उठा और किसी तरह नाले से निकल कर अपनी जान बचा पाया।”
हर साल बाढ़, हर बार नुकसान-कब जागेगा प्रशासन?
इंतवारी बाजार क्षेत्र में हर साल बाढ़ से तबाही होती है। 2024 में भी ऐसा ही मंजर था। बावजूद इसके आज तक न कोई स्थायी समाधान निकाला गया और न ही संवेदनशील इलाकों में कोई सुरक्षात्मक इंतजाम किए गए। जल निकासी के प्रमुख रास्तों-खुले नालों-को सुरक्षित करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए थी लेकिन दुख की बात है कि मौत के बाद भी यह नाला खुला पड़ा है।
विपक्ष ने कसा तंज, शासन-प्रशासन से मांगी जवाबदेही
नेता प्रतिपक्ष दीपक देवांगन ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि
“हर साल बाढ़ आती है और सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है इतवारी बाजार। इस बार एक नौजवान की जान गई। प्रशासन अब भी नहीं जागा तो अगली मौत की जिम्मेदारी किसकी होगी?” घटना के बाद क्षेत्र में शोक और आक्रोश का माहौल है। पुलिस व एसडीआरएफ ने अमित का शव दूसरे दिन बरामद कर लिया लेकिन स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता लोगों में रोष पैदा कर रही है। मुख्य नगर पालिका अधिकारी नरेश वर्मा ने आश्वासन दिया है कि “जल्द ही नाले पर जाली लगाई जाएगी” बहरहाल देखना होगा कि प्रशासन यह बंदोबस्त कब तक कर पता है। दूसरी ओर बाढ़ प्रभावित इतवारी बाजार के निवासियों का सीधा सवाल है कि सरकारें आती हैं-जाती हैं लेकिन खैरागढ़ की हालात जस की तस क्यों हैं? हर साल जान-माल का नुकसान होने के बावजूद स्थायी समाधान क्यों नहीं तलाशा गया? क्या प्रशासन किसी और अनहोनी का इंतज़ार कर रहा है।