फर्जी हस्ताक्षर कर राशि आहरण करने वाले सरपंच-सचिव पर कर्रवाई नहीं

जिला निर्माण के बाद और निरंकुश हुआ प्रशासन
मामला खैरागढ़ जनपद के ग्राम पंचायत गुमानपुर का
महिला सरपंच का पति बेखौफ करता हैं सरकारी कागजों में फर्जी हस्ताक्षर
सचिव ही करता था सरपंच पति को फर्जी हस्ताक्षर के लिए प्रेरित
कार्य मे लागत से ज्यादा राशि निकाले,शिकायत के बाद पंचायत पर 2000 की वसुली
सरपंच नहीं सचिव कराता था सम्पूर्ण काम, बिलों की जानकारी सरपंच को नहीं
सत्यमेव न्यूज़ / खैरागढ़. फर्जी हस्ताक्षर कर शासन की राशि निकाल कर बंदरबाट करने वाले सरपंच-सचिव पर 10 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं, उल्टे प्रशासन के जांचकर्ता अधिकारी दोषी सरपंच-सचिव को बचाने की जुगत लगा रहे हैं, स्थिति साफ हैं कि जिला निर्माण के बाद स्थानीय प्रशासन और अधिक निरंकुश हो चला हैं, प्रशासनिक अधिकारियों की व्यस्तता केवल मामलों के निपटारे और दोषियों को गलत तरीके से बचाने में ही दिखाई दे रही हैं. बहरहाल ताजा मामला खैरागढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुमानपुर का हैं, जहां फर्जी हस्ताक्षर की पुष्टि होने के बाद भी सरपंच-सचिव पर कोई कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं किया गया हैं. मामले को लेकर शिकायतकर्ताओं ने बताया कि जनपद पंचायत खैरागढ़ में मार्च 2022 में शिकायत की गई थी कि गुमानपुर पंचायत में पदस्थ सचिव अखिलेश ठाकुर द्वारा सरपंच श्रीमती गंगा बाई सायतोड़े के कम पढ़े-लिखे होने का फायदा उठाते हुये सरपंच का फर्जी हस्ताक्षर कर बिल लगाकर राशि आहरण करते रहे हैं. सचिव द्वारा रनिंग वाटर में हुई लपारवाही की जांच करने, लागत से अधिक राशि का बिल लगाने, सरपंच को कार्यो की जानकारी न होते हुए भी सचिव द्वारा बिल लगाकर पैसे निकालने की लिखित शिकायत हुई थी, शिकायत के बाद फर्जीवाड़े की जांच करने खैरागढ़ जनपद कार्यालय के विकास विस्तार अधिकारी अशोक साव, सहा. वि.वि.अधिकारी मिलन नेताम, तकनीकी सहायक सुश्री अल्का शेष को जांचकर्ता टीम में चयनित कर जांच के लिये गुमानपुर भेजा गया. 6 जून को अधिकारी अशोक साव की अगुवाई में जांच दल गुमानपुर पंचायत भवन पहुंचा तो तत्कालीन सचिव अखिलेश ठाकुर उपास्थ्ति नहीं था जिसे जांच टीम द्वारा फोन करके बुलाया गया तब सचिव अखिलेश ठाकुर 2 घंटे देरी से पंचायत भवन पहुंचा फिर जांच की प्रक्रिया शुरू हुई.
जांच के दौरान सरपंच ने सचिव अखिलेश पर लगाये गंभीर आरोप
सरपंच श्रीमती गंगा बाई सायतोड़े ने मामले में आरोपी सचिव अखिलेश ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाये, सरपंच ने जांचकर्ता टीम के समक्ष बयान दर्जा कराई कि सचिव अखिलेश ठाकुर द्वारा मुझे ठीक से कभी भी किसी कार्यो की जानकारी नही दी जाती और मेरे कम पढे लिखे होने का वह फायदा उठाता रहा वहीं सरपंच पति सम्मार सिंग सायतोड़े जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पंचायती राज व्यवस्था में वर्तमान में चली आ रही व्यवस्था व परंपरा के अनुरूप बतौर सरपंच ग्राम पंचायत का पूरा काम-काज संभलता हैं ने जांचकर्ता टीम के समाने बयान दर्जा कराया कि सचिव अखिलेश ठाकुर के कहने पर उनके समक्ष समस्त बिलो में मेरे पत्नि का मेरे द्वारा फर्जी हस्ताक्षर किया जाता था. सरपंच पति ने तत्कालीन सचिव यह भी आरोप लगाया कि सचिव द्वारा हमें किसी काम की जानकारी नहीं दिया जाता और सचिव अपने चहते दुकानदार के पास से समान लाकर अपने ही चहते ठेकेदार से काम कराता था, जिसकी हमें ठीक से जानकारी भी नहीं रहती थी. यहीं नहीं सचिव अखिलेश ठाकुर पर आरोप लगाते हुये सरपंच पति सायतोड़े ने बताया कि जब मुझे बिलो में हस्ताक्षर करने को कहा जाता हैं तब पता चलता था कि पंचायत में अमुख काम हो चुका हैं. आगे सरपंच पति ने बताया कि रंनिग वाटर जैसे कार्यो को भी सचिव द्वारा हमे बिना बताये किया गया उन्हें कार्य और बिलों के बारे में जानकारी नहीं हैं.
सचिव को बचाने फर्जी जांच प्रतिवेदन बनाकर आ गये जांच अधिकारी
सरपंच पति सम्मार सिंग द्वारा दिये बयान अनुसार सचिव के समक्ष सचिव के कहने पर बिलो में अपनी सरपंच पत्नि के फर्जी हस्ताक्षर किया जाता था. बयान अनुसार तो यह स्पष्ट है कि सरपंच पति सम्मार सिंग ने तो गलती की जिसे जांच प्रतिवेदन में अधिकारियों द्वारा लिखा भी गया हैं. बयान में इस बात का भी जिक्र किया गया हैं कि सचिव अखिलेश ठाकुर के कहने पर उनके सामने सचिव द्वारा लाये गये बिलों मे फर्जी हस्ताक्षर करता था, इस बयान के आधार पर सचिव ही फर्जीवाड़े में प्रथम दोषी हैं क्योंकि पंचायत में सचिव एक जिम्मेदार अधिकारी होने के नाते फर्जी हस्ताक्षर के लिए सरपंच पति को प्रेरित किया और पंचायत के काम में भोले-भाले व कम पढ़े-लिखे सतनामी समाज के सरपंच दंपत्ति को गुमराह कर पंचायत विकास के लिये प्राप्त शासकीय राशि में मन मुताबिक हेरफेर करता रहा हैं लेकिन जांंचकर्ता अधिकारियों द्वारा बनाये गए जांच प्रतिवेदन में सचिव को निर्दोष सबित कर दिया गया हैं लेकिन जांच दल की रिर्काडिंग शिकायतकत्र्ता के पास उपलब्ध हैं जिससे जांच अधिकारियों की करतूत सामने आती हैं.
तकनीकी अधिकारी की जांच भी संदेह के घेरे में
गुमानपुर पंचायत में ढाई लाख रूपये की लागत से शासकीय भवनों में रनिंग वाटर लगाया गया है जिसकी शिकायत उपरांत जांच करने तकनीकी सहायक सुश्री अल्का शेष पहुंची थी जिन्होंने केवल 2000 रूपये की राशि की अधिकता बताकर पंचायत की वसूली निकाली है जबकि पड़ोसी ग्राम पंचायत करेला में हुये रनिंग वॉटर के काम में कम लागत में ही अधिक काम पूर्ण किया गया है जबकि गुमानपुर पंचायत में ढाई लाख की भारी भरकम राशि से कम काम कराया गया है. ज्ञात हो कि इतनी बड़ी राशि निकालने के बाद भी ग्राम पंचायत गुमानपुर के सरपंच व सचिव द्वारा कार्य को लेकर प्राक्कलन नहीं बनाया गया है उसके बाद भी जांच अधिकारी द्वारा इसे जायज बताते हुये केवल 2000 रूपये की वसूली पंचायत से की गई है.
सचिव अखिलेश ठाकुर द्वारा बयान में कहा कि सरपंच व पंचोंं को सभी कार्यो की जानकारी दिया जाता था. वाटर हर्वेस्टिंग कार्य जनपद बैठक में हुये निर्णय अनुसार ही कराया गया है, इस कार्य को करने के लिये सभी पंचों व सरपंचों को भी कहा गया था किंतु कोई भी पंच व सरपंच आगे नहीं आये तत्पश्चात मेरे द्वारा यह कार्य कराया गया.
अखिलेश ठाकुर, सचिव
मैंने अभी अभी सीईओ का पदभार ग्रहण किया हैं, अभी वीसी में हूं आपसे बाद में बात करता हंू.
सतीस देशलहरे, प्रभारी सीईओ जनपद पंचायत खैरागढ़
मामले की जानकारी नहीं हैं, आप बता रहे हैं. जनपद पंचायत से फाईल आने के बाद ही कार्रवाई हो पायेगी.
प्रकाश सिंह राजपूत, एसडीएम खैरागढ़