पतंजलि के नाम पर जमीन अधिग्रहण का विवाद: किसान बढ़े मुआवज़ा व सरकारी नौकरी की मांग पर अड़े

सत्यमेव न्यूज जालबांधा। ग्राम बिजेतला और जालबांधा क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में पतंजलि (बाबा रामदेव की कंपनी) द्वारा प्रस्तावित फ्रूट प्रोसेसिंग यूनिट के लिए किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई थी। उस समय प्रदेश में भाजपा सरकार थी। अधिग्रहण के दौरान किसानों को प्रति एकड़ 8 लाख रुपये (पड़त भूमि), 10 लाख रुपये (सिंचित भूमि) और 5 लाख रुपये पुनर्वास मद के रूप में दिए गए थे। कांग्रेस सरकार बनने के बाद परियोजना ठप पड़ी रही और अधिग्रहित भूमि पर कोई निर्माण नहीं हुआ। कई किसान अब भी उसी भूमि पर खेती कर रहे थे। इसके बाद दोबारा भाजपा सरकार आने पर उद्योग विभाग के नाम से परियोजना का कार्य आरंभ किया गया। जानकारी के अनुसार उद्योग विभाग के लिए लगभग 500 एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध है जबकि किसानों से अधिग्रहित भूमि लगभग 250–300 एकड़ है। वर्तमान में 32 किसानों की रजिस्ट्री अब भी नहीं हुई है। ये किसान 1 करोड़ रुपये प्रति एकड़ मुआवज़ा और परिवार के सदस्यों को सरकारी नौकरी की मांग कर रहे हैं। सरकार की ओर से इन्हें 17.50 लाख रुपये प्रति एकड़ (पड़त), 20 लाख रुपये प्रति एकड़ (सिंचित) तथा 5 लाख रुपये पुनर्वास राशि देने का प्रस्ताव रखा गया है। इसी बीच खैरागढ़ विधायक प्रतिनिधि रिंकू गुप्ता ने खुले मंच से कहा कि पतंजलि के नाम पर किसानों के साथ ठगी की गई है और उनकी जमीन बेहद कम दर पर ले ली गई। उन्होंने मांग की कि जिस दर पर वर्तमान में किसानों को मुआवज़ा मिल रहा है उसी दर पर उन किसानों को भी मुआवज़ा दिया जाए जिनकी जमीन पहले पतंजलि फ्रूट प्रोसेसिंग परियोजना के लिए ली गई थी। साथ ही प्रभावित परिवारों को सरकारी नौकरी देने की भी वकालत की। ग्रामीणों ने यह भी मांग की है कि बिजेतला में चल रहे उद्योग विभाग के कार्य में जालबांधा, बिजेतला और आसपास के गांवों के स्थानीय लोगों को ही प्राथमिकता से रोजगार दिया जाए। किसानों ने स्पष्ट कहा है कि उन्हें उचित मुआवज़ा और रोजगार मिले बिना आंदोलन जारी रहेगा।
