
अपराध की फैक्ट्री बन रहे खैरागढ़ के वार्ड
शासन शराब बेचने में मस्त और प्रशासन मौन
सत्यमेव न्यूज मनोहर सेन खैरागढ़। छत्तीसगढ़ का छोटा किन्तु संगीत, नृत्य एवं ललित कला के लिए प्रसिद्ध नगर खैरागढ़ इन दिनों नशे की गिरफ्त में है। शराब और गांजे की आसान उपलब्धता ने हालात इतने बिगाड़ दिए हैं कि यहां के वार्ड अब अपराध की नई फैक्ट्री में बदलते जा रहे हैं। नाबालिग बच्चे 110 से 120 रुपये में शराब खरीद रहे हैं और नशे के सहारे चोरी, झगड़े, छीना-झपटी और यहां तक कि हत्या जैसे अपराध करने लगे हैं।
शराब दुकान से चलता है पूरा नेटवर्क
स्थानीय सूत्रों का दावा है कि नगर की सरकारी शराब दुकान से ही इस अवैध कारोबार की नींव रखी जाती है। बोतलें आसानी से कोचियों तक पहुंचती हैं और वही इसे वार्डों में ऊंचे दामों पर बेचते हैं। यह धंधा इतना संगठित है कि पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद हर गली-मोहल्ले तक शराब और मादक गांजा सप्लाई हो रहा है।
नशे के नये हॉटस्पॉट: गली-गली में सुलगती आग
बरेठपारा, नया बस स्टैंड, दाऊचौरा और धरमपुरा जैसे वार्ड अब नशे के केंद्र बिंदु बन चुके हैं। यहां न सिर्फ शराब बल्कि गांजा भी आसानी से उपलब्ध हो जाता है। नतीजा यह है कि नाबालिग बच्चे शाम ढलते ही नशे की हालत में झुंड बनाकर घूमते दिखाई देते हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन इलाकों में आए दिन झगड़े और मारपीट की घटनाएं आम हो चुकी है।
गणपति विसर्जन की रात खून से रंगी सड़क
बीते सप्ताह गणपति विसर्जन के दौरान यह नशे का जहर खुलेआम सामने आया। नशे में धुत एक नाबालिग ने खुलेआम चाकू से युवक पर हमला कर उसकी हत्या कर दी। घटना ने पूरी संगीत नगरी सहित छत्तीसगढ़ को झकझोर दिया और साफ कर दिया कि नशा अब सिर्फ आदत नहीं रहा बल्कि सीधे जानलेवा अपराध का कारण बन चुका है। यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि संगीत नगरी खैरागढ़ में जिला निर्माण के बाद अपराधियों की नई पीढ़ी बड़ी मजबूती से तैयार हो रही है और जिसका कारण सहज सरकारी शराब और दिमाग को शून्य कर देने वाले मादक पदार्थ गांजा की अवैध उपलब्धता है। गौर करें कि नशे का असर समाज की सबसे कमजोर कड़ी नाबालिगों पर सीधा पड़ रहा है। पुलिस रिकॉर्ड बताते हैं कि हाल के महीनों में नाबालिग अपराधियों की संख्या में तेज वृद्धि हुई है। चोरी, झगड़े और हिंसक वारदातों में शामिल बच्चों की उम्र 14 से 17 वर्ष तक पाई गई है। यह स्थिति आने वाले समय में खैरागढ़ को अपराधियों के नए अड्डे में बदल सकती है जिसके लिए न केवल पुलिस और प्रशासन को बल्कि खैरागढ़ के जनप्रतिनिधियों को भी नए सिरे से विचार और चिंतन की आवश्यकता है। गौरतलब हो कि प्रशासनिक स्तर पर न तो अवैध बिक्री रोकने के प्रयास दिख रहे हैं क्योंकि शासन को आबकारी विभाग से ज्यादा से ज्यादा राजस्व चाहिए और न ही शासन के अधीन पुलिस ऐसे में बहुत अधिक सख्ती बरत रही है। शराब दुकानों पर गश्त और निगरानी सिर्फ कागजों तक सीमित है। सवाल यह भी है कि जब वार्डों में खुलेआम नाबालिगों को शराब और गांजा मिल रहा है तो आखिर इसके अंजाम की जिम्मेदारी लेगा कौन? क्या सत्ता सुख भोग रहे नेता या विपक्ष के तेज तर्रार कहे जाने वाले जनप्रतिनिधि अथवा प्रशासन के आला अधिकारी हमेशा की तरह अपनी जिम्मेदारियां से बच जाएंगे और चुनाव में अक्सर राम राज्य, सुशासन या विकास का जिक्र कर अपनी राजनीति और धंधा चमकाने वाले राजनेता खैरागढ़ को गर्त से बचाने में अपनी नैतिक जिम्मेदारियां का निर्वहन करेंगे? खैरागढ़ के हालातो को लेकर सवाल कई है। बहरहाल नगरवासियों और अभिभावकों ने जिला प्रशासन और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की है क्योंकि शासन में कोई भी पार्टी हो वह तो आबकारी विभाग का राजस्व घटना नहीं देगी। ऐसे में कोचियों के नेटवर्क पर नकेल कसने के साथ-साथ नाबालिगों को नशे से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाये और सामाजिक संगठन और शिक्षा संस्थान भी इसमें भागीदारी करें वरना खैरागढ़ आने वाले समय में पूरे जिले की शांति और भविष्य को खतरे में डाल देगा।