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खैरागढ़ का संगीत विश्वविद्यालयखैरागढ़ में संगीत की शिक्षा से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों गढ़ रहे सफलता के नए आयाम

विश्व संगीत दिवस 21 जून पर विशेष…

(अनुराग शाँति तुरे ) सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. मैकल पर्वत श्रेणी के ठीक पहले आमनेर, पिपरिया और मुस्का नदी के तट पर बसा खैरागढ़ यूं तो नागवंशी राजाओं के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है लेकिन बीते 5 दशक से खैरागढ़ की पहचान इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के कारण रही है। आजादी के बाद सन 1956 में 14 अक्टूबर के दिन खैरागढ़ रियासत के नरेश स्व.वीरेंद्र बहादुर सिंह और रानी स्व.पद्मावती देवी सिंह ने अपने आलीशान महल को दान देकर विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। तब से अब तक यहाँ लाखों विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने संगीत, कला व ललित कला की शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की है और हजारों की संख्या में प्रकृति के सुरम्य वातावरण के बीच यहां से पारंगत छात्र कलाकार देश दुनियां में अपनी उल्लेखनीय सेवाएं दे रहे हैं। यहां से अध्यनरत छात्र भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर अपनी अलग पहचान बनाने को आतुर रहे हैं वहीं खैरागढ़ में संगीत की शिक्षा से शिक्षक और विद्यार्थी दोनों है सफलता के नए आयाम गढ़ रहे हैं।

इंदिरा कला संगीत विद्यालय में संगीत की शिक्षा के लिए पृथक ही संगीत संकाय स्थापित है जहां शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत, तंत्री वाद्य, अवनद्य वाद्य और ध्वनि शास्त्र विभाग संचालित है। संगीत संकाय के शास्त्रीय संगीत विभाग में शास्त्रीय व उप-शास्त्रीय जिसे हम क्लासिकल कहते हैं की विशेष शिक्षा दी जा रही है। इस विभाग में अध्यनरत छात्रों को प्रमुख रूप से गायिकी में ख्याल पढ़ाया जाता है जिसमें द्रुपद, धमार, ठुमरी व दादरा शामिल है वहीं विश्वविद्यालय में सुगम संगीत विभाग में सुगम संगीत की विधिवत शिक्षा दी जाती है। सुगम संगीत विधा में छात्रों को गीत, ग़ज़ल, भजन, देशभक्ति गीत, वंदना, स्वागत गीत आदि की भरपूर तालीम गुरु शिष्य परंपरा की अनूठी किन्तु विलुप्त होती अवधारणा के साथ आज भी दी जा रही है। यहां तंत्री वाद्य विभाग संचालित है जहां छात्रों को वायलिन (बेला) सितार और सरोद वादन की शिक्षा दी जाती है साथ ही अवनद्य वाद्य विभाग में विशेष तौर पर तबला वादन की शिक्षा दी जाती है। संगीत संकाय में ध्वनि शास्त्र विभाग भी स्थापित है जहां छात्रों को ध्वनि से संबंधित विशेष शिक्षा मिलती है और यहीं वजह है कि यहाँ के छात्र देश और दुनियाँ भर में आयोजित कई प्रतिस्पर्धाओं में भी बतौर विजेता अपना नाम दर्ज करा रहे हैं।

विश्वविद्यालय के संगीत संकाय में ख्यातिलब्ध शिक्षक कलाकार छात्रों को संगीत की विशेष शिक्षा दे रहे है। संगीत संकाय के अधिष्ठाता (डीन) के रूप में सुप्रसिद्ध गायक एवं गायकी में “ए” ग्रेड कलाकार डॉ.नमन दत्त छात्रों को संगीत की शिक्षा में पारंगत करने पूरे संकाय का संचालन कर रहे हैं साथ ही प्रो.डॉ.दत्त सुगम संगीत विभाग के विभाग अध्यक्ष का भी दायित्व निभाते हैं। यहां संचालित शास्त्रीय संगीत विभाग में विभाग अध्यक्ष के रूप में देश दुनिया में एक नया आयाम हासिल करने वाले शास्त्रीय संगीत के महारथी कश्यप बंधु के डॉ.दिवाकर कश्यप पदस्थ है। डॉ.कश्यप को देश के ‘टॉप’ ग्रेड कलाकार होने का दर्जा प्राप्त है और बीते साल ही उन्हें देश के प्रतिष्ठित संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी पुरस्कृत किया गया है। यहाँ संचालित अवनद्य वाद्य विभाग में विभाग प्रमुख के रूप में देश के जाने-माने तबला वादक डॉ.हरि ओम हरि आसीन है और इन्हें देश के “ए” ग्रेड तबला कलाकार होने का गौरव प्राप्त है। तंत्री वाद्य विभाग का संचालन देश के जाने-माने सरोद वादक विवेक नवरे के द्वारा किया जा रहा है। श्री नवरे को भी भारत में सरोद वादन में “ए” ग्रेड आर्टिस्ट होने का गौरव प्राप्त है वहीं ध्वनि शास्त्र विभाग में विशेषज्ञ के रूप में सह-प्राध्यापक डॉ.मानस साहू अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

खैरागढ़ विश्वविद्यालय के संगीत संकाय में संगीत की अलग-अलग विधाओं में लगभग 1000 से अधिक छात्र अध्यनरत है। इन छात्रों के बीच वर्तमान में 29 शोधार्थी पीएचडी और दो अन्य पारंगत कलाकार डी.लिट की उपाधि लेने संगीत के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने गायन एवं वादन के क्षेत्र में शोध कार्य कर रहे हैं वहीं बीते 5 दशक में यहां सैकड़ो छात्र शोध कार्य कर संगीत के क्षेत्र में सेवा कर रहे हैं। संगीत संकाय के अधिष्ठाता है डॉ.नमन दत्त ने बताया कि गायन विभाग में सर्वाधिक सात सौ, तंत्री वाद्य विभाग में लगभग सौ तथा अवनद्य वाद्य विभाग में लगभग 70 विद्यार्थी इस वर्ष अध्ययन करेंगे। संकाय के ध्वनि शास्त्र विभाग में नवीन शिक्षा नीति के तहत छात्रों को शिक्षित किया जाएगा।

विश्व स्तर पर संगीत की शिक्षण व्यवस्था को लेकर एक अहम बात यह है कि खैरागढ़ विश्वविद्यालय के संगीत संकाय में अध्ययन कर चुके छात्रों व शोधार्थियों ने केवल भारत में ही नहीं वर्णन विश्व स्तर पर अपने कला कौशल का लोहा मनवाया है। भारत के बाहर यहाँ के छात्र विश्व के अलग-अलग देश में संगीत की शिक्षा दे रहे है। इसके साथ ही भारतवर्ष में संचालित केंद्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय संगठन में खैरागढ़ विश्वविद्यालय के छात्रों का दबदबा रहा है वहीं एकलव्य स्कूल, रेलवे सहित देश के अलग-अलग राज्यों के माध्यमिक शिक्षा मंडल में यहां अध्ययन कर चुके सैकड़ो छात्र अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

विश्व संगीत दिवस पर प्रति वर्ष 21 जून को यहां संगीतिक आयोजन की परंपरा शुरू की गई है। संगीत संकाय के अधिष्ठाता डॉ.नमन दत्त बताते हैं कि वैश्विक स्तर पर विश्व संगीत दिवस मनाया जाने की परंपरा के शुरू होने के बाद बीते 7 वर्षों से विश्वविद्यालय में प्रतिवर्ष 21 जून को आयोजन होता है। शनिवार 21 जून को शाम 4 बजे विश्व संगीत दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.डॉ.लवली शर्मा के मार्गदर्शन में संगीत संकाय परिसर में आयोजित समारोह में शोधार्थी सम्राट चौधरी शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति देंगे उनके साथ तबले पर डॉ.शिवनारायण मोरे व हारमोनियम पर ऋषभ मिस्त्री संगत करेंगे। दूसरी प्रस्तुति अतिथि व्याख्याता महेंद्र मोंगरे के बेला (वायलिन) वादन से होगी जहां तबले पर रामचंद्र सरपे संगत करेंगे। अंतिम प्रस्तुति के रूप में किशन दास महंत तबला वादन करेंगे इनके साथ ऋषभ मिस्त्री लहरा संगत करेंगे।

विश्वविद्यालय में संचालित संगीत के विविध विषयों में अध्यापन को लेकर लगातार नवाचार किया जा रहा है, संगीत के विभिन्न विषय में शोध (रिसर्च) को लेकर और बेहतर कार्य करने हमारी ओर से प्रयास जारी है।

प्रो.लवली शर्मा, कुलपति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़

संगीत के क्षेत्र में विश्वविद्यालय के छात्र देश और दुनिया में लगातार अपनी सफलता का परचम फहरा रहे है। शोध कार्य, प्रतियोगिताओं, अलग-अलग इंडस्ट्री व संस्थानों के साथ सोशल मिडिया में हमारे छात्र बेहद उम्दा प्रदर्शन कर रहे हैं।

डॉ.नमन दत्त, अधिष्ठाता इंदिरा कला संगीत विद्यालय खैरागढ़

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