Advertisement
KCG

अपर सत्र न्यायाधीश ने जेल पहुंच विचाराधीन बंदियों को दी विधिक जानकारी

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के अध्यक्ष सुषमा सावंत के निर्देशानुसार सचिव हेमंत कुमार रात्रे व तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ के द्वारा रविवार 27 अक्टूबर को उपजेल खैरागढ़ में विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। उक्त शिविर में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप ने उपजेल के विचाराधीन बंदियों को दिवाली पर्व की शुभकामनाएं देते हुए प्ली बारगेनिंग के संबंध में बताया गया कि किसी व्यक्ति द्वारा किया गया ऐसा अपराध जिसकी सजा 7 साल या उससे कम है या अभियुक्त ने पहली बार अपराध किया है वह अपनी सजा कम करने के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष आवेदन कर सजा में सौदेबाजी कर सकता है। छोटे अपराधों में पीड़ित और अभियुक्त आपसी सामंजस्य से सौदेबाजी कर सकते हैं। अगर कोई आरोपी अपनी गलती स्वीकार करता है तो उसे कम सजा दी जाती है लेकिन प्ली बारगेनिंग का लाभ किसी भी विचाराधीन आरोपी को एक बार ही मिल सकता है। श्री कश्यप ने विचाराधीन बंदियों का हालचाल पूछा और उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जाना साथ ही उनकी समस्याओं से भी अवगत हुये और पाक शाला का भी निरीक्षण किया। उन्होंने विचाराधीन बंदियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए योग और मेडिटेशन कराने निर्देशित किया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विवेक गर्ग ने निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सहायता के संबंध में बताया कि यह कानून निःशुल्क विधिक सहायता को मूर्तरूप देता है। ऐसे व्यक्ति जो निर्धनता या जाति, पंथ या लिंग संबंधी संवेदनशीलता के कारण कोई मामला दर्ज करने या मामले का बचाव करने के लिए एक वकील की सेवा लेने में समर्थ नहीं हैं उनको कानूनी सहायता प्रदान करता है ताकि न्यायालय में उन्हें भी वकील की सेवा मिल सके। जो विचाराधीन बंदी अपने वेयर से अधिवक्ता नियुक्त करने में समर्थ नहीं हैं वह अपना एक आवेदन तालुक विधिक सेवा समिति में द्वारा जेल अधीक्षक के माध्यम से समिति में प्रस्तुत कर सकते हैं जहां से आपके केस में पैरवी करने अधिवक्ता निःशुल्क नियुक्त किया जाता है। जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास गुरु प्रसाद देवांगन ने विचाराधीन बंदियों के अधिकारों के बारे में बताया कि कानून के मुताबिक किसी भी शख्स को तब तक गुनाहगार नहीं माना जा सकता जब तक कि कोर्ट आरोपी को दोषी नहीं मानता। जब भी किसी शख्स के खिलाफ कोई आरोप लगाया जाता है तो वह आरोपी होता है और जब उक्त शख्स का केस अदालत के सामने आता है तब उसका यह संवैधानिक अधिकार है कि उसे अपने बचाव का मौका मिले। पैरालीगल वालंटियर गोलूदास साहू ने 14 दिसंबर को आयोजित होने वाले नेशनल लोक अदालत के बारे में बताया। उक्त शिविर में जेल अधीक्षक योगेश कुमार बंजारे, पीएलवी गोलूदास साहू, सिपाही प्रेम सागर साहू, यशवंत नायक, चुरामन कुर्रे व सोहन अखिलेश सहित विचाराधीन बंदी उपस्थित थे।

Advertisement

Satyamev News

आम लोगों की खास आवाज

Related Articles

Back to top button

You cannot copy content of this page