नागपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा में शामिल हुये आशुतोष
छात्रों को संबोधित कर दिया प्रभावशाली व्याख्यान
अंतर्राष्ट्रीय कंपनी में उपाध्यक्ष के पद पर हैं आशुतोष
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. नागपुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा में छत्तीसगढ़ के गौरव युवा इंजीनियर आशुतोष झा ने बतौर मुख्य वक्ता शामिल होकर छात्रों को अपने प्रभावशाली व्याख्यान से अभिभूत किया। अपने भारत प्रवास के दौरान भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) व सिम्बोसिस स्कूल ऑफ मैनेजमेंट नागपुर के आमंत्रण पर हजारों छात्रों को एसआईबीएम में मार्केटिंग के आधारभूत तत्वों पर संबोधित किया और बताया कि अफ्रिकी मार्केट में प्रवेश के लिये क्या होना चाहिये, किस उत्पाद को लांच करने में मार्केटिंग के कौन से महत्वपूर्ण पहलू हैं और इसे किस तरह आगे बढ़ाना चाहिये। उन्होंने खासतौर पर अफ्रिकी मार्केट में सफलता के गुर बताये तथा विश्व परिदृश्य में मार्केटिंग की भूमिका को विस्तार से समझाया। पीपीटी के माध्यम से उन्होंने छात्रों को गंभीरता के साथ मार्केटिंग के आधारभूत तथ्यों से अवगत कराया। आईआईएम में उद्बोधन के दौरान उन्होंने कहा कि किसी भी देश के विकास में सड़कों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और सड़कों का विकास प्रगतिशील देश की रीढ़ होती है। वर्तमान में भारत सड़कों की उपलब्धता और उपयोग की दृष्टि में पांचवे स्थान पर है। यदि निजी और शासकीय संस्थान के माध्यम से मिलकर हम काम करें तो सड़कों की अधोसंरचना विकास में बेहतर योगदान दे सकते हैं साथ ही आने वाले समय में विश्व के अग्रणी देशों के साथ खड़े हो सकते हैं। गौरतलब है कि मूलरूप से राजनांदगांव निवासी आशुतोष वर्तमान में विश्व की अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय टायर कंपनी मंें अफ्रिका, भारत और मध्य पूर्वी देशों के मार्केटिंग उपाध्यक्ष (वाइस प्रेसिडेंट) है और अफ्रिका के सबसे बड़े विकसित शहर जोहानसबर्ग में कार्यरत है तथा खैरागढ़ के वरिष्ठ अधिवक्ता व समाजसेवी पं.मिहिर झा के दामाद हैं। उन्होंने आमंत्रण के लिये संस्थान का आभार व्यक्त करते हुये कहा कि कॉर्पोरेट की व्यक्तिगत और नैतिक जिम्मेदारी है कि वह अपने अनुभव से युवाओं को सशक्त बनने सहयोग करें। ज्ञात हो कि आशुतोष ने विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया है। उन्होंने अपनी सफलता के लिये पिता रामबिलास झा, ससुर मिहिर झा व पत्नी डॉ.जागृति झा का स्मरण करते हुये कहा कि वें आज जिस मुकाम पर हैं उनमें परिजनों व आत्मीयजनों का विशेष योगदान है।