खैरागढ़ सिविल अस्पताल में डॉक्टर-नर्स की नींद में गई युवक की जान, परिजनों का फूटा गुस्सा

सिविल अस्पताल खैरागढ़ की घोर लापरवाही से तड़पता रहा मरीज, जांच के नाम पर लीपापोती का आरोप

सत्यमेव न्यूज मनोहर सेन खैरागढ़। सिविल अस्पताल खैरागढ़ में शुक्रवार तड़के डॉक्टर और नर्स की लापरवाही ने एक युवक की जान ले ली। नगर के अंबेडकर वार्ड निवासी 34 वर्षीय विजेंद्र चौरे को सुबह करीब 5 बजे अचानक सीने में जलन की शिकायत हुई। परिजन तत्काल उन्हें सिविल अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वहां न डॉक्टर मिले न नर्स। इलाज के इंतजार में विजेंद्र करीब एक घंटे तक तड़पते रहे और आखिरकार उनकी मौत हो गई।
परिजन खटखटाते रहे दरवाजे
परिजनों ने हताश होकर अस्पताल परिसर स्थित सरकारी आवासों में रहने वाले डॉक्टर-नर्स के दरवाजे खटखटाए लेकिन काफी देर तक किसी ने जवाब नहीं दिया। बाद में पता चला कि ड्यूटी पर मौजूद नर्स धनेश्वरी साहू अस्पताल वार्ड के नर्स रूम में सो रही थी। काफी देर तक दरवाजा खटखटाने के बाद उसने दरवाजा खोला और खुद डॉक्टर को बुलाने की बजाय परिजनों को भेज दिया। जब परिजन डॉक्टर आशीष जैन के कमरे पहुंचे तब वे भी गहरी नींद में थे। दरवाजा खटखटाने के बाद वे नीचे आए और इलाज शुरू किया, लेकिन तब तक विजेंद्र की हालत गंभीर हो चुकी थी और थोड़ी देर बाद उन्होंने दम तोड़ दिया।
अकेला कमाने वाला सदस्य था मृतक
विजेंद्र चौरे परिवार का अकेला कमाने वाला सदस्य था। मैकेनिक की नौकरी कर वह पूरे घर का पालन-पोषण करता था। अचानक हुई इस मौत से परिवार पूरी तरह टूट गया है। परिजन अब न केवल अपने प्रियजन को खोने का गम झेल रहे हैं, बल्कि अस्पताल की घोर लापरवाही के खिलाफ न्याय की मांग भी कर रहे हैं।
बौद्ध समाज का आक्रोश, कार्रवाई की मांग
घटना के बाद परिजनों सहित बौद्ध समाज के लोगों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए दोषी डॉक्टर और नर्स पर कठोर कार्रवाई की मांग की। मिशन संडे टीम के संयोजक मनराखन देवांगन ने चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा।
प्रशासन बोला कराएंगे जांच
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक बिसेन ने कहा कि मामले की जांच कराई जाएगी। हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि सिविल अस्पताल में यह कोई नई बात नहीं है। हर बार लापरवाही के बाद जांच की बात कहकर मामला दबा दिया जाता है और जिम्मेदार बच निकलते हैं। बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल यह घटना सिविल अस्पताल की बदहाल स्थिति को उजागर करती है। यहां सामान्य बीमारी का भी समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। सीने में जलन जैसी आम समस्या के इलाज में देरी से युवक की मौत होना स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर व्यवस्था और प्रशासन की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।