उत्पीड़न का गंभीर आरोप: हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से किया इनकार

इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. योगेंद्र चौबे पर यौन उत्पीड़न, जातिगत दुर्व्यवहार व मानसिक प्रताड़ना के आरोपों की पुष्टि
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय, खैरागढ़ के थियेटर विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र चौबे पर लगे यौन उत्पीड़न, मानसिक प्रताड़ना और जातिगत दुर्व्यवहार के गंभीर आरोपों के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एफआईआर को रद्द करने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अपराध बनता है और मामला न्यायिक परीक्षण योग्य है। मामला वर्ष 2018-19 में थियेटर विभाग में अध्ययनरत एक पूर्व छात्रा द्वारा 29 मार्च 2025 को दर्ज की गई शिकायत पर आधारित है। छात्रा ने आरोप लगाया कि कोविड लॉकडाउन और मां के निधन के बाद मानसिक व आर्थिक संकट की स्थिति में जब उसने विभागाध्यक्ष से सहायता मांगी तो उन्होंने शारीरिक संबंध की शर्त रखी। जब छात्रा ने प्रस्ताव ठुकराया तो अशोभनीय टिप्पणियां की गईं और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया। छात्रा का आरोप है कि दिल्ली में मानसिक उपचार के दौरान भी आरोपी ने एक होटल में बुलाकर फिर से शारीरिक संबंध का प्रस्ताव रखा और शारीरिक जबरदस्ती की कोशिश की। इस मामले में खैरागढ़ थाने में भारतीय दंड संहिता की निम्नलिखित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
IPC 354 महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना, IPC 354A यौन उत्पीड़न IPC 354D पीछा करना (Stalking), IPC 506 आपराधिक धमकी ,IPC 509 महिला की मर्यादा भंग करने वाला व्यवहार इसके साथ ही अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) की धाराएं भी जोड़ी गईं हैं। धारा 3(1)(v)(A) अनुसूचित जाति की महिला के प्रति अपमानजनक व्यवहार धारा 3(1)(b) सामाजिक या आर्थिक बहिष्कार की मंशा डॉ.योगेंद्र चौबे ने एफआईआर रद्द करने की याचिका दाखिल करते हुए इसे तीन साल बाद की गई, दुर्भावना से प्रेरित और करियर खत्म करने की साजिश बताया था। परंतु राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि शिकायत की जांच कानूनी प्रक्रिया के अनुसार की गई है और पीड़िता के आरोपों में प्रथम दृष्टया सच्चाई पाई गई है।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की बात से सहमति जताते हुए स्पष्ट किया कि चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और मामले में न्यायिक परीक्षण आवश्यक है, अतः एफआईआर या न्यायिक कार्यवाही को रद्द नहीं किया जा सकता। मामला फिलहाल स्पेशल एट्रोसिटी कोर्ट में विचाराधीन है और ट्रायल जल्द शुरू होगा।