
कला-संगीत की सुरमयी संध्या में दर्शक हुए मंत्रमुग्ध
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय परिसर में आरंभ हुए तीन दिवसीय खैरागढ़ महोत्सव के प्रथम दिन देश-विदेश के कलाकारों की मनोहारी प्रस्तुतियों ने कला-प्रेमियों को अभिभूत कर दिया। पारंपरिक सुरों, विविध नृत्य-शैलियों और अंतरराष्ट्रीय संगीत-समन्वय से सजे इस सांस्कृतिक समारोह ने दर्शकों को देर रात तक बांधे रखा।

लोकनृत्यों की छटा ने किया महोत्सव का आगाज
महोत्सव का आगाज़ विश्वविद्यालय के लोकसंगीत एवं कला संकाय के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत पारंपरिक लोकनृत्यों से हुआ। रंग-बिरंगे परिधानों, सुगढ़ तालों और ऊर्जा से भरपूर मुद्राओं ने सभागार में उत्सव का वातावरण रच दिया।

अमेरिका के पं.गौरीशंकर कर्मकार की तबला जुगलबंदी से गूंजा सभागार
प्रारंभिक प्रस्तुतियों के बाद अमेरिका से पधारे तबला-वादन के विद्वान पं.गौरीशंकर कर्मकार ने अपनी अद्भुत लय-परक प्रस्तुति से सभागार में संगीत की गूंज भर दी। उनके उँगलियों की थापों में बनते-बिगड़ते लयों के आयामों ने दर्शकों को लंबे समय तक तालियों के लिए विवश किया।

‘प्रतिध्वनि : पूरब से पश्चिम तक’ में हुआ अद्वितीय अंतरराष्ट्रीय संगीत संगम
संगीत यात्रा का अगला पड़ाव रहा “प्रतिध्वनि : पूरब से पश्चिम तक” शीर्षक विशेष प्रस्तुति, जिसमें अमेरिका के प्रख्यात संगीतकार प्रो.बेंजामिन बून और कुलपति प्रो.लवली शर्मा ने संयुक्त रूप से मंच साझा किया। भारतीय और पाश्चात्य संगीत परंपराओं के इस अद्भुत संगम ने दर्शकों को संगीत की वैश्विक अनुभूति कराई। प्रस्तुति को दर्शकों ने खड़े होकर सराहा।

विदुषी आस्था गोस्वामी के ‘मन वृंदावन’ ने दर्शकों के भावलोक को किया स्पर्श
वृंदावन की प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका विदुषी आस्था गोस्वामी ने उपशास्त्रीय गायन की प्रस्तुति “मन वृंदावन” के माध्यम से सभा को भक्ति-रस में सराबोर कर दिया। उनके स्वर-विलास और भावपूर्ण गायन ने वातावरण को आध्यात्मिक माधुर्य से भर दिया। उनके साथ तबले पर विश्वविद्यालय के प्रो.हरिओम हरि व हारमोनियम पर प्रो.लिकेश्वर वर्मा ने संगत की। गायन विभाग की छात्राओं ने तानपुरे के साथ स्वर्ण सहयोग दिया।

पेइंग गेस्ट-नाट्य विभाग के विद्यार्थियों की रही सशक्त प्रस्तुति

नाट्य विभाग के विद्यार्थियों ने अतिथि व्याख्याता डॉ.शिशु कुमार के निर्देशन में हास्य-व्यंग्य से भरपूर नाटक “पेइंग गेस्ट” का मंचन किया। विद्यार्थियों के संवाद-प्रवाह, अभिनय-कौशल और मंच-सज्जा ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया।
सोनहा बादर की प्रस्तुतियों से देर रात तक गूंजता रहा लोकसुर
दिन की अंतिम प्रस्तुति में बालोद के जितेंद्र कुमार साहू एवं समूह ने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति पर आधारित नृत्य-नाट्य “सोनहा बादर” प्रस्तुत किया। मधुर गीतों, तालबद्ध कदमों और मनमोहक दृश्य-विन्यास से सजी प्रस्तुति को देखने बड़ी संख्या में दर्शक रात देर तक डटे रहे। खैरागढ़ महोत्सव के प्रथम दिन की प्रस्तुतियों से कला, संगीत और संस्कृति की पावन भूमि खैरागढ़ ने बताया कि आज भी अपने सौंदर्य, सृजनशीलता और परंपरागत वैभव से दुनिया को आकर्षित करने में सक्षम है। महोत्सव के आगामी दिनों को लेकर दर्शकों और कलाकारों में उत्साह बराबरी से बना हुआ है।
