
परियोजना को पूर्णतः निरस्त करने की मांग पर अड़े किसान

कंपनी पर भ्रम फैलाने के आरोप हुये तेज
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। श्री सीमेंट लिमिटेड की प्रस्तावित दनिया-अतरिया चूना पत्थर खनन परियोजना को लेकर क्षेत्र में उभर रहे व्यापक असंतोष के बीच आंदोलनरत किसान नेताओं ने मंगलवार को परियोजना क्षेत्र के पंडरिया मैदान में संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना स्पष्ट रुख सामने रखा। किसान नेताओं ने परियोजना को क्षेत्र की जमीन, जल, पर्यावरण और जनजीवन के लिए गंभीर खतरा बताते हुए इसे तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की। कॉन्फ्रेंस में पूर्व विधायक एवं किसान नेता गिरवर जंघेल, वरिष्ठ समाजसेवी मोतीलाल जंघेल, भाजपा नेता व जनपद सभापति सुधीर गोलछा, भाजपा नेत्री लुकेश्वरी जंघेल, किसान नेता कामदेव जंघेल, भाजपा नेत्री व जनपद सभापति ज्योति जंघेल, श्रवण जंघेल सहित क्षेत्रीय विधायक यशोदा वर्मा एवं उनके पति नीलांबर वर्मा विशेष तौर पर उपस्थित रहे।
कंपनी शुरुआत से ही भ्रम फैलाकर अपने हित साध रही- गोलछा
किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि कंपनी ने पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट को जानबूझकर अंग्रेजी में जारी किया जबकि अधिसूचना के अनुसार रिपोर्ट का हिंदी संस्करण उपलब्ध कराना अनिवार्य है। सुधीर गोलछा ने कहा कि कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर भी परियोजना से जुड़ी अनिवार्य जानकारी सार्वजनिक नहीं की जो मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। उन्होंने सवाल उठाया कि कंपनी ने यह स्पष्ट नहीं किया कि खनन से प्राप्त चूना पत्थर देश में स्थित किस प्लांट में भेजा जाएगा।
भूमि अधिग्रहण नीति पर भी किसान नेताओं ने कंपनी को घेरा
सवालों में किसान नेताओं ने कहा कि भूमि अधिग्रहण, विस्थापन, पुनर्वास और पुनर्स्थापना को लेकर कंपनी ने कोई स्पष्ट नीति प्रस्तुत नहीं की है जबकि परियोजना के टीओआर में प्रभावित परिवारों के लिए विस्तृत योजनाएँ अनिवार्य की गई हैं। उन्होंने यह भी कहा कि 10 किलोमीटर के प्रभाव क्षेत्र को ध्यान में रखकर आकलन करना आवश्यक है लेकिन कंपनी ने इसे भी नजरअंदाज किया है।
प्राकृतिक जल स्रोत और भूजल स्तर पर पड़ेगा गहरा असर- गिरवर जंघेल
पूर्व विधायक गिरवर जंघेल ने बताया कि परियोजना से 13 प्राकृतिक जलस्रोत, नाले, कैनाल और मंडी नदी गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने कहा कि क्षेत्र पहले से ही पेयजल संकट से जूझ रहा है और खान परियोजना शुरू होने पर भूजल स्तर और नीचे चला जाएगा। उन्होंने कंपनी के रोजगार संबंधी दावों को भी झूठा और भ्रम फैलाने वाला बताया है। कंपनी ने EIA में 138 रोजगार का उल्लेख किया है जबकि अब 8000 रोजगार देने का दावा किया जा रहा है।
प्रदूषण, दुर्घटनाओं और सामाजिक जीवन पर असर को लेकर भी व्यक्त की गई गहरी चिंता
किसान नेताओं ने चेतावनी दी कि परियोजना से 10 किमी दायरे में वायु गुणवत्ता खराब होगी 45 से अधिक गांव प्रदूषण की चपेट में आएंगे। ध्वनि प्रदूषण और जैव विविधता पर गंभीर असर पड़ेगा। भारी वाहनों की आवाजाही से दुर्घटना और जोखिम बढ़ेगा। स्कूल और बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी स्वास्थ्य संबंधी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ेगा और ऐसी स्थिति में शासन प्रशासन चाहता है कि क्षेत्र में परियोजना प्रारंभ हो जो जनहित के विपरीत और शासन प्रशासन की दमनकारी नीति है।
कंपनी के पास मात्र 65 एकड़ जमीन, दावा 185 एकड़ का
किसान नेताओं ने कंपनी द्वारा जमीन खरीद संबंधी दावों को भी भ्रामक बताया। उन्होंने कहा कि कंपनी के पास केवल 65 एकड़ जमीन दर्ज है। 185 एकड़ जमीन खरीदने का दावा गलत है। परियोजना से ग्राम शीतला माता देवालय, मुक्तिधाम, चारागाह, तालाब और उपजाऊ जमीन संकट में आ जाएगी और खनन क्षेत्र 300 मीटर आबादी से दूर रखने की बात से पूरा गांव “टापू” में बदल जाएगा। ग्राम सभा की सहमति भी नहीं ली गई जो नियमों का खुला उल्लंघन है उन्होंने बताया कि 10 किमी के क्षेत्र में 1 लाख से अधिक लोग, जिनमें SC, ST और अन्य समुदाय शामिल हैं सीधे प्रभावित होंगे।
प्रशासन पर उपेक्षा का लगाया आरोप
किसान नेताओं ने कहा कि विगत 6 दिसंबर को छुईखदान में 45 गांवों के लगभग 15,000 लोग घंटों प्रशासन से मिलने का इंतजार करते रहे लेकिन अधिकारी नहीं पहुंचे। इसके विपरीत उन्होंने आरोप लगाया कि एक उद्योगपति के लिए जिले अधिकारियों ने कार्यालय छोड़कर प्रेस वार्ता में हिस्सा लिया।
फैक्ट्री लगानी है तो फूड इंडस्ट्री लगाएं सीमेंट प्लांट नहीं
किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने श्री सीमेंट का बलौदा बाजार यूनिट नजदीक से देखा है और वे नहीं चाहते कि खैरागढ़ क्षेत्र में वैसा विनाश हो। यदि उद्योग स्थापित करना ही है तो फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री जैसी किसानों को लाभ पहुँचाने वाली इकाई लगाई जाए जिससे क्षेत्र के किसानों का जीवन और अधिक सुखद हो पाए और वे बिना डर और आशंका के अपना जीवन यापन कर सके।
