सावधान [Precaution], सरकारी कर्मचारी [Government employee] से दुर्व्यवहार करने पर होता हैं ऐसी सजा
हर्षवर्धन रामटेके
सत्यमेव न्यूज़/एजेंसी. सरकारी कर्मचारियों से अक्सर तू-तू, मैं-मैं की स्थिति बनती है. कई बार उनसे दुर्व्यवहार [misbehavior] की भी खबरें आती हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सरकारी कर्मचारी के साथ किया जाने वाला यह व्यवहार बड़ी परेशानी का सबब बन सकता है. सरकारी कर्मचारियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारतीय दंड संहिता [Indian Penal Code] में विभिन्न प्रकार के प्रावधान किये गये हैं, ताकि वे भयमुक्त होकर अपने कार्य कर सके. हम आपको यहां बताते हैं कि इस मामले में किस तरह के अपराध के लिये कैसी सजा का प्रावधान है. सरकारी काम में रुकावट डालने पर धारा 354 के तहत दो साल की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. सरकारी कर्मचारी से वाद-विवाद करने पर भादवि की धारा 504 के तहत दो साल की सश्रम कारावास [rigorous imprisonment] की सजा हो सकती है. सरकारी कर्मचारी से अपशब्दों का प्रयोग करने पर धारा 504 के तहत दो वर्ष की सश्रम कारावास हो सकती है. सरकारी कर्मचारी को धमकी देने पर धारा 506 के तहत तीन से सात साल की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. सरकारी कर्मचारी से मारपीट करने के मामले में भारतीय दंड विधान की धारा 332 के तहत तीन से 10 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है.
सरकारी कर्मचारी को ब्लैकमेल और दस्तावेज की चोरी में
सरकारी कर्मचारी से वसूली करना, मांगना, उन्हें ब्लैकमेल [blackmail] करने पर धारा 383, 384 एवं 386 के तहत तीन से दस साल की सश्रम कारावास की हो सकती है. सरकारी कार्यालय में जबरदस्ती प्रवेश करने पर धारा 420 के तहत दो साल का सश्रम कारावास हो सकता है. सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर धारा 378 के तहत तीन साल की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. सरकारी दस्तावेज की चोरी करना व नुकसान पहुंचाने के मामले में धारा 378 एवं 379 के तहत तीन साल की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. अनधिकृत व्यक्तियों का जमावड़ा लगाने पर भारतीय दंड विधान की 141 व 143 के तहत छह महीने की सश्रम कारावास की सजा हो सकती है. सरकारी कार्यालयों में गड़बड़ी करना, बल एवं हिंसा का प्रयोग करने पर धारा 146, 148 एवं 150 के तहत छह माह से दो वर्ष की सजा हो सकती है.