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श्रुति मंडल में सम्पन्न हुई सुरों और भावों की समृद्ध संध्या

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के सभागार में श्रुति मंडल के अंतर्गत आयोजित सांगीतिक संध्या ने दर्शकों को संगीत व नृत्य की अनुपम छटा से भावविभोर कर दिया। मूसलधार बारिश के बावजूद श्रोताओं का उत्साह देखते ही बनता था, जब वे सुरों की इस सुरमयी यात्रा में शामिल होने उमड़ पड़े। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.लवली शर्मा ने की, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में ओडिशा की रानी राजश्री देवी ने विशेष उपस्थिति दर्ज की। कार्यक्रम की शुरुआत रायपुर की सुप्रसिद्ध गायिका एवं ‘स्वर कोकिला’ विदुषी डॉ. साधना रहटगांवकर की मधुर गायन प्रस्तुति से हुई। उन्होंने ग़ज़ल, दादरा, भजन और गीतों की विविध शृंखला से श्रोताओं को सुर-सागर में डुबो दिया। हर प्रस्तुति पर सभागार तालियों की गूंज से गूंज उठा। इसके पश्चात त्रिनिदाद और टोबेगो की अंतरराष्ट्रीय कथक नृत्यांगना सुज़ान मोहिप ने अपनी भव्य कथक प्रस्तुति से मंच को जीवंत कर दिया। शिव वंदना से लेकर त्रिताल की उपज, थाट, आमद, तिहाई, परण और दीपचंदी ताल में देवी स्तुति तक उन्होंने शास्त्रीय नृत्य की हर बारीकी को अद्भुत भावों और ताल की लयकारी से प्रस्तुत किया। दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठे। कार्यक्रम में संगत कलाकारों ने भी अपने वाद्य-वादन से अद्वितीय योगदान दिया। हारमोनियम और गायन में राणा मोहिप (त्रिनिदाद एवं टोबेगो), तबले पर पं.अवध सिंह ठाकुर, सारंगी पर उस्ताद शफ़ीक़ हुसैन तथा बांसुरी पर डॉ.बिहारीलाल तारम ने अपनी कला का जादू बिखेरा।

मुख्य अतिथि रानी राजश्री देवी ने विश्वविद्यालय की स्थापना में अपने पूर्वजों के योगदान का स्मरण करते हुए आयोजन की सराहना की और इसे सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत उदाहरण बताया। कुलपति डॉ.लवली शर्मा ने कहा कि “इस प्रकार की प्रस्तुतियाँ न केवल दर्शकों के लिए आनंददायक होती हैं बल्कि विद्यार्थियों के लिए यह एक प्रेरणादायक अवसर भी है।” श्रुति मंडल समिति द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम को विश्वविद्यालय के सभी सांस्कृतिक प्रेमियों एवं अतिथियों से सराहना मिली। कुलपति सहित पूरे सांस्कृतिक जगत ने समिति को सफल आयोजन के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं।

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