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श्री-सीमेंट प्रोजेक्ट में भारी गड़बड़ी के आरोप! कंपनी एजेंटों पर एफआईआर की माँग हुई तेज

सत्यमेव न्यूज के लिए अनुराग शाँति तुरे की रिपोर्ट खैरागढ़। सण्डी चूना पत्थर खदान और श्री-सीमेंट फैक्ट्री का विरोध अब निर्णायक मोड़ पर पहुँच गया है। शुरुआत किसानों की आपत्तियों से हुई थी फिर पंचायतों, जनप्रतिनिधियों, युवा कांग्रेस और साहू समाज ने आंदोलन का साथ दिया। अब लोधी समाज और कोसरिया यादव महासभा भी खुलकर मैदान में उतर गए हैं। इस बीच ग्रामीणों ने कंपनी एजेंटों पर फर्जी समर्थन-पत्र तैयार कराने का गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।
फर्जी हस्ताक्षर कराए जाने का आरोप, थाना में शिकायत
ग्रामीणों ने छुईखदान थाना प्रभारी को दिए आवेदन में आरोप लगाया कि कंपनी से जुड़े कुछ एजेंट गांव-गांव जाकर बुजुर्गों, अशिक्षितों और नाबालिगों को भ्रमित कर समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर ले रहे हैं। कई मामलों में एजेंटों द्वारा स्वयं ही नकली हस्ताक्षर कर आवेदन तैयार करने का भी उल्लेख किया गया है ताकि जनसुनवाई के दौरान इसे जनसमर्थन बताकर पेश किया जा सके। शिकायतकर्ताओं में पूर्व विधायक गिरवर जंघेल सहित नोहर, रूपेश, वीरेंद्र, कैलाश, चिरंजय, केदार, जागेश्वर, हीराराम समेत कई ग्रामीण शामिल हैं। उन्होंने मांग की कि मामले में तत्काल आपराधिक कार्रवाई की जाए ताकि ग्रामीणों के अधिकारों का दुरुपयोग बंद हो सके।

लोधी समाज की महिला प्रदेश अध्यक्ष दशमत जंघेल ने आंदोलनरत ग्रामीणों को भेजे पत्र में साफ लिखा है कि प्रस्तावित खदान और फैक्ट्री से छुईखदान क्षेत्र के किसान परिवार गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। उन्होंने 11 दिसंबर को होने वाली जनसुनवाई में परियोजना का कड़ा विरोध करने का आह्वान करते हुए कहा है कि यह परियोजना किसानों के जीवन और आजीविका पर सीधा प्रहार है। समाज किसानों के साथ मजबूती से खड़ा है।

लोधी समाज जिला अध्यक्ष उत्तमचंद जंघेल ने अपने पत्र में स्पष्ट किया कि खदान परियोजना से कृषि, जलस्रोत और पर्यावरण पर गहरा संकट आएगा। समाज ने औपचारिक घोषणा करते हुए कहा कि वे ग्रामीणों के आंदोलन का पूर्ण समर्थन करते हैं और प्रशासन से जनसुनवाई तुरंत रद्द करने की माँग करते हैं।

कोसरिया यादव महासभा जिला अध्यक्ष एवं हाईकोर्ट अधिवक्ता चन्द्रशेखर यादव ने पत्र में लिखा कि परियोजना से किसानों की आय, जमीन और प्राकृतिक संसाधन सभी नुकसान में जाएंगे। महासभा ने मांग की ग्रामीणों की आपत्तियाँ उचित हैं अतः 11 दिसंबर की लोक सुनवाई तुरंत निरस्त की जाए। महासभा पूरी शक्ति के साथ ग्रामीणों के साथ है। लगातार बढ़ते समर्थन से विरोध आंदोलन को मिला व्यापक स्वरूप पंचायतों से शुरू हुआ विरोध अब सामाजिक, राजनीतिक और सामुदायिक स्तर पर फैल चुका है। लोधी समाज और यादव महासभा के समर्थन के बाद आंदोलन अब जिला-स्तरीय जनआंदोलन में बदल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ एक औद्योगिक परियोजना का विरोध नहीं बल्कि जमीन-पानी-खेती-भविष्य की रक्षा का संघर्ष है।

फर्जी हस्ताक्षर की शिकायतों, व्यापक विरोध और नए संगठनों की एंट्री ने जनसुनवाई की विश्वसनीयता पर सीधा सवाल खड़ा कर दिया है। अब प्रशासन पर हर तरफ से दबाव है कि वह या तो जनसुनवाई स्थगित करे या ग्रामीणों की सभी आपत्तियों का खुले मंच पर समाधान प्रस्तुत करे और अगर ऐसा नहीं होता है तो जिले में उग्र आंदोलन हो सकता है।

Satyamev News

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