

चूना पत्थर खनन और सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ निर्णायक संघर्ष का हो सकता है ऐलान
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। श्री सीमेंट परियोजना के विरुद्ध शनिवार 20 दिसम्बर को क्षेत्र के प्रभावित किसानों ने महापंचायत बिठाने की घोषणा की है। महापंचायत के आयोजन की घोषणा के बाद बताया जा रहा है कि चूना पत्थर खनन और सीमेंट फैक्ट्री के खिलाफ आने वाले दिनों में क्षेत्र के प्रभावित किसानों का संघर्ष निर्णायक हो सकता है।
किसी भी तथाकथित विकास को स्वीकार नहीं करेंगे- किसान महापंचायत
ग्राम दनिया, अतरिया, उदयपुर, हनईबन सहित पूरे क्षेत्र के किसानों, महिलाओं और ग्रामीण परिवारों ने स्पष्ट शब्दों में ऐलान किया है कि वे अपनी जमीन, पानी, जंगल और आने वाली पीढ़ियों के भविष्य की कीमत पर किसी भी तथाकथित विकास को स्वीकार नहीं करेंगे। प्रस्तावित संडी, हनईबन, सीता डबरी सहित अन्य चूना पत्थर (लाइम स्टोन) खनन ब्लॉक और सीमेंट फैक्ट्री को लेकर ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उनका कहना है कि यह परियोजना विकास नहीं बल्कि विनाश का रास्ता है। ग्रामीणों का आरोप है कि इस परियोजना के चलते हजारों एकड़ त्रिफसली, उपजाऊ और सिंचित कृषि भूमि हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। क्षेत्र के जलस्रोत सूखने का खतरा है, गांव रेगिस्तान में तब्दील हो सकते हैं। धूल और जहरीली गैसों से बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर गंभीर संकट पैदा होगा। तापमान में वृद्धि, जैव विविधता का विनाश और आने वाली पीढ़ियों से उनका भविष्य छिन जाना तय है।
ग्रामीणों की आजीविका, स्वास्थ्य और मानव अधिकारों पर सीधा और क्रूर प्रहार- गिरवर
आंदोलन की अगुवाई कर रहे क्षेत्र के पूर्व विधायक गिरवर जंघेल ने कहा कि यह परियोजना ग्रामीणों की आजीविका, स्वास्थ्य और मानव अधिकारों पर सीधा और क्रूर प्रहार है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनसुनवाई का स्थगन कोई उपलब्धि नहीं बल्कि जनता के दबाव की जीत है। 15 हजार से अधिक किसान, महिलाएं और ग्रामीण छुईखदान पहुंचे और शासन-प्रशासन को यह संदेश दिया कि ग्रामीणों की सहमति के बिना एक इंच जमीन भी नहीं खोदी जाएगी।
केवल स्थगन नहीं बल्कि परियोजना का स्थायी निरस्तीकरण चाहिए- गोलछा
आंदोलन के प्रमुख चेहरे और जनपद सभापति सुधीर गोलछा ने दो टूक कहा कि केवल स्थगन नहीं बल्कि परियोजना का स्थायी निरस्तीकरण चाहिए। श्री सीमेंट परियोजना को लेकर किसी भी तरह का समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा। मामले को लेकर श्रवण जंघेल, कामदेव और मुकेश पटेल सहित अन्य ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि किसी भी कीमत पर खनन कार्य शुरू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जबरन कार्रवाई की गई तो जन-आंदोलन को और उग्र व व्यापक किया जाएगा। यह संघर्ष केवल एक परियोजना के खिलाफ नहीं बल्कि जीवन, सम्मान और अस्तित्व की रक्षा की लड़ाई है। ग्रामीणों ने बताया कि 45 से अधिक गांवों के किसान, ग्रामीण परिवार, पंच-सरपंच और जनपद सदस्य एक मंच पर आ चुके हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि वे न्यायालय से लेकर सड़क तक हर संवैधानिक और लोकतांत्रिक रास्ता अपनाएंगे। पंडरिया-बिचारपुर भाठा में किसान महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। इस महापंचायत में आंदोलन की आगामी रणनीति और संघर्ष की दिशा तय की जाएगी। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि परियोजना रद्द नहीं की गई तो वे सड़कों पर उतरकर लोकतांत्रिक लेकिन कठोर विरोध करेंगे। आंदोलनकारियों ने कहा है कि हम अपनी डीह-डोंगरी और जमीन नहीं देंगे। यह लड़ाई आखिरी सांस तक चलेगी। आंदोलनरत किसानों ने कहा है कि महापंचायत के अवसर पर सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक सिकलिन, थैलेसीमिया के मरीजों के लिए रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाएगा।
