शिक्षक मानस परिवार ने किया सेवानिवृत्त शिक्षकों का सम्मान
मानस परिवार हर साल करता आ रहा है सेवाभावी शिक्षकों का समारोहपूर्वक सम्मान
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. शिक्षक मानस परिवार खैरागढ़ द्वारा प्रतिवर्षानुसार डॉ.पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी स्कूल के विज्ञान भवन परिसर में सेवानिवृत्त शिक्षकों का समारोहपूर्वक सम्मान किया गया। इस दौरान एक वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुये सेवाभावी शिक्षकों का श्रीफल, शॉल व कलम-पुस्तक भेंट कर उन्हें सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो.राजन यादव उपस्थित रहे वहीं
अध्यक्षता सेवानिवृत्त बीईओ महेश भुआर्य ने की। समारोह में सेवानिवृत्त शिक्षक सर्वश्री विजय कुमार झा, लखन यादव, दिलीप सिंह बैस, राजेश अग्रवाल, श्रीमती शकुन भट्ट, श्रीमती लच्छु अंबुले, श्रीमती फूलबती यादव, अवध राम धुर्वे, राजेश सिंह ठाकुर व सेवानिवृत्त लिपिक निरंजन नामदेव का भावपूर्ण सम्मान किया गया।
इस अवसर पर राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानि शिक्षक मानस साहू व्याख्याता गाड़ाघाट व महदीप जंघेल सहा.शिक्षक टेकाडीह को शॉल, श्रीफल, किताबें व कलम भेंट कर अभिनंदन किया गया। समारोह को संबोधित करते हुये सेवानिवृत्त शिक्षक दिलीप सिंह बैस ने कहा कि जिला मुख्यालय से लगे ग्राम संडी के एक ही शासकीय विद्यालय में उन्होंने 38 वर्ष तक अपनी सेवाएं दी। व्याख्याता कमलेश्वर सिंह ने इस अवसर पर डॉ.राधाकृष्णन की जीवनी पर सारगर्भित उद्बोधन दिया। मुख्य वक्ता के रूप में डॉ.राजन यादव ने गुरू की महिमा और उनकी जीवनशैली पर प्रभावपूर्ण वक्तव्य दिया। अपने गुरू का स्मरण करते हुये उन्होंने अनुशासन को शिक्षकीय जीवन का आधार बताया तथा नशे की प्रवृत्ति से शिक्षकों को दूर रहने एक संस्मरण के माध्यम से मार्गदर्शन दिया और कहा कि वास्तविक शिक्षक कक्षा के अंदर ही नहीं बाहर भी दुनिया को अपने ज्ञान से प्रकाशित करते हैं। शिक्षक मानस परिवार के संरक्षक व सेवानिवृत्त शिक्षक रविन्द्र अग्रवाल ने समिति के सकारात्मक कार्यों को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का संचालन शिक्षक मानस साहू व रघुनाथ सिन्हा द्वारा किया गया। आभार शिक्षक रविन्द्र नाथ कर्महे ने किया। समारोह को सफल बनाने समाजसेवी हेमंत सिंह, ओमंत सिंह, शिक्षक मानस परिवार के अध्यक्ष जेपी झा, रघुनाथ प्रसाद सिन्हा, टीडी डहरिया, मानस राम सिमकर, केएल यादव, रूपकुमार यदु, श्रीमती इंदिरा चंद्रवंशी व संतोष यादव का विशेष योगदान रहा।