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छत्तीसगढ़

विधानसभा में गूंजा छुईखदान-दनिया मार्ग के मुआवजा का मामला

खम्हन ताम्रकार की अगुवाई में हुए आंदोलन से बना मुआवजा मिलने का रास्ता

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. संयुक्त राजनांदगांव जिले में एडीबी प्रोजेक्ट अंतर्गत 75 करोड़ रूपये की लागत से छुईखदान से दनिया तक 26.96 किलोमीटर सडक़ का निर्माण एनसी नाहर ठेकेदार द्वारा एडीबी की ओर से सलाडिया एसोसिएट एवं परियोजना प्रबंधक, उपप्रबंधक और इंजीनियर के तकनीकी देख रेख में मार्च 2020 में यह कार्य प्रारंभ हुआ है. कार्य प्रारंभ करने के पूर्व एक निजी एनजीओ वन फाऊंडेशन को सामाजिक व्यवस्थापन सर्वे के लिये एडीबी प्रोजेक्ट के लिए अनुबंधित किया गया. मार्ग के जद में आने वाले 15 गांव एवं छुईखदान नगर के निजी एवं शासकीय अधोसंरचना मकान, पशु शेड, दुकान, शौचालय, बाउंड्रीवाल, कुंआ इत्यादि का आंकलन करने का कार्य वन फाऊंडेशन के द्वारा ही किया गया जिसकी गणना को लेकर सबसे पहले बवाल मचा. इस बवाल ने ही इस पूरे गड़बड़ी के खुलासे के लिए चिंगारी का काम किया. जिनके अधोसंरचना टूटने लगा और इसके लिए एडीबी प्रोजेक्ट की ओर से प्रभावितों को सहायता राशि के लिए चेक का वितरण चालू किया गया तब प्रभावित लोगों ने गणना पत्र की मांग की जिस पर वन फाऊंडेशन कि ओर से उसके सचिव सुशील ओझा ने गोल मोल जवाब देते हुए महीनों प्रभावितों को घुमाते रहे. छुईखदान एसडीएम के आदेश के बाद भी अंतिम तक प्रभावितों को गणना पत्र नहीं दिए.

किसानों की जमीन पर बलपूर्वक कब्जा

धर राजस्व विभाग के एक बड़े अधिकारी और सलाडीया एसोसिएट की मिलीभगत व उनकी शह पर ठेकेदार द्वारा सैंकड़ों किसानों की निजी जमीन पर बलपूर्वक कब्जा कर सडक़ निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया. किसान बोलते रहे कि हमारी जमीन पर सडक़ निर्माण मत कीजिये, पहले अधिग्रहण कर मुआवजा दें फिर सडक़ निर्माण करे. किसान गुहार लगाते रह गए पर जिम्मेदार अधिकारियों ने मोटी कमीशन के चक्कर में किसानों और प्रभावितों की एक न सुनी. इधर जनाक्रोश लगातार बढऩे लगा, गांव गांव में बैठकें होने लगी जिनकी जमीनों पर बलपूर्वक कब्जा कर सडक़ निर्माण किया गया वो किसान एकजुट होने लगे. किसान जिम्मेदार अधिकारियों के बाद क्षेत्र के छोटे बड़े सभी नेताओं के पास मुआवजा दिलाने की गुहार लगाते रहे, किन्तु कोई चुनाव नहीं होने से भी नेताओं ने कन्नी काट लिया किन्तु किसानों के इस तकलीफ में सबसे पहले और एकमात्र साथ देने वाले नेता बने खम्हन ताम्रकार, जिनके नेतृत्व में मुआवजा के लिए पहला और बड़ा आन्दोलन अधिकार पद यात्रा के रुप में दनिया से छुईखदान तक 27 किलोमीटर तक निकाला गया जिसमें हजारों की संख्या में प्रभावित किसान और उनके परिवार के लोग पैदल चलकर एसडीएम कार्यालय में ज्ञापन सौंपकर मुआवजा राशि देने की मांग की साथ ही सभा कर जमकर दोषी अधिकारियों पर निशाना साधे. खम्हन ताम्रकार की अगुवाई के इस आंदोलन को युवा नेता सुधीर गोलछा के समर्थन मिल जाने से और पद यात्रा में साथ पैदल चलने से आंदोलन को बल मिला. इस आंदोलन के बाद ही प्रशासन हरकत में आयी.

पुन: सर्वे का दिया गया आदेश

09 नवंबर 2022 को आनन फानन में प्रशासन ने एसडीएम कार्यालय छुईखदान में त्रिपक्षीय बैठक बुलाई जिसमें राजस्व विभाग, एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों के साथ प्राभावित किसानों की ओर से खम्हन ताम्रकार, सुधीर गोलछा सहित एक बड़ा प्रतिनिधि मंडल शामिल हुआ. काफी गहमा गहमी के बीच में बैठक संपन्न हुई जहां पुन: सर्वे कराकर मुआवजा प्रकरण दर्ज करने पर सहमति बनी इसके बाद किसानों में आस जगी.

संघर्ष समिति का हुआ गठन

किसानों ने अपना मुआवजा राशि प्राप्त करने के लिए युवा नेता सुधीर गोलछा के नेतृत्व में मुआवजा संघर्ष समिति का गठन पद्मावतीपुर में बैठक के दौरान किया. समिति के संरक्षक खम्हन ताम्रकार, पूर्व विधायक गिरवर जंघेल व भवानी बहादुर सिंह को बनाया गया. इधर एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने जैसे तैसे मुआवजा के लिए 09 गांव के 148 किसानों की आपसी सहमति क्रय नीति 2016 के तहत मुआवजा प्रकरण बनाकर नवगठित जिले के कलेक्टर डॉ.जगदीश सोनकर के पास प्रस्तुत किये और श्री सोनकर ने किसानों की जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुये पूरे मामले पर एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा. कलेक्टर के कड़े रूख को देखते हुऐ एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों ने अपनी गलतियां छुपाने के लिए कई प्रपंच किये, इधर किसान भी आंदोलित हो चुका था. गांव गांव में किसान सडक़ निर्माण कार्य का विरोध कर काम को बंद करवा दिए जिसके चलते ठेकेदार रात के अंधेरे में सडक़ निर्माण कार्य को करवाने लगे. इधर जिला प्रशासन ने भी ठेकेदार के खिलाफ अवैध मुरूम उत्खनन की जांच करवाकर 3 करोड़ से अधिक का जुर्माना लगाया. वर्तमान में 26.94 किलोमीटर मार्ग में से 25 किलोमीटर लंबा सडक़ बन चुका है, मार्ग के स्टार्टिंग प्वाइंट छुईखदान नगर में करीब 1 किलोमीटर लंबा और मार्ग के अन्तिम छोर दनिया में करीब 1 किलोमीटर लंबा सडक़ बनना बाकी रह गया है.

सीताडबरी के किसानों को मिली मुआवजा राशि

मुआवजा राशि दिलाने के लिए शुरू से किसानों के साथ खड़े भाजपा नेता खम्हन ताम्रकार का कहना है कि 15 प्रभावित गांव में से 03 गांव का भुअर्जन के लिए दावा आपत्ति के लिये प्रकाशन किया गया है. एक गांव सीताडबरी के 08 किसानों की जमीन शासन के पक्ष में रजिस्ट्री करवा कर मुआवजा राशि दिया गया है, शेष गांव का मुआवजा प्रकरण भी प्रक्रिया में है. शासकीय सडक़ निर्माण के पूर्व ही सडक़ निर्माण के जद में आने वाले निजी भूमि का अधिग्रहण कर मुआवजा राशि भूमि स्वामी को प्रदान कर दिया जाता है जिसके तहत एडीबी प्रोजेक्ट के अधिकारियों को भी ऐसा ही करना चाहिए था किन्तु मोटे कमीशन के लालच में बल पूर्वक निजी जमीन पर सडक़ का निर्माण होने दिया गया. इधर सडक़ निर्माण के लिए लोन देने वाली एशियन डेवलपमेंट बैंक की ओर से नियुक्त सलाडीया एसोसिएट ने भी इस गड़बड़ी को दिल्ली स्थित एडीबी के कार्यालय से छुपाए रखा अन्यथा ये स्थिति बनती ही नहीं. किसानों को मुआवजा सडक़ निर्माण के पूर्व ही मिल जाता. विभागीय मंत्री ने विधानसभा में भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के ध्यानाकर्षण के जवाब में बताया कि आपसी सहमति भूमि क्रय नीति 2016 के तहत 12 गांव के 219 निजी भूमि खातेदारों को मुआवजा दिया जाएगा तथा 328 प्रभावित व्यक्तियों को केन्द्रीय मूल्याकंन बोर्ड छत्तीसगढ़ बोर्ड रायपुर की गाइड लाइन के अनुसार भुगतान किया गया है. इसके अतिरिक्त ग्राम उदान, मैनहर और जोम के किसानों का आवेदन शेष है साथ ही दावा आपत्ति में और भी छूटे हुए किसानों के नाम जुड़ सकता है.

शिवरतन शर्मा ने विधानसभा में ध्यानाकर्षण कर मुआवजा का उठाया मुद्दा

भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने ध्यानाकर्षण लगाकर सडक़ निर्माण के जद में आने वाली कृषि भूमि और पट्टा भूमि का मुआवजा नहीं देने का मामला विधानसभा में उठाया जिस पर विधानसभा में लंबी चर्चा हुई. चर्चा में भाजपा विधायक बृज मोहन अग्रवाल ने भी हिस्सा लिया और मुआवजा राशि देने की अन्तिम तारिख घोषित करने की मांग की जिस पर जवाब देते हुए विभागीय मंत्री जय सिंग अग्रवाल ने बताया कि आपसी सहमति भूमि क्रय नीति 2016 के तहत मुआवजा राशि दिया जा रहा है. श्री अग्रवाल ने बताया कि 12 गांव के 219 खातेदार किसान प्रभावित हुए हैं, जिनमें से 08 किसानों को 19 लाख 40 हजार 400 रूपये का भुगतान किया गया है तथा केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड छत्तीसगढ़ बोर्ड रायपुर के गाइड लाइन अनुसार 338 प्रभावित को 05 करोड़ की अधिक का भुगतान अब तक हो चुका है. 3 गांव उदान, जोम और मैनहर का आवेदन आना बाकी है. भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के आरोपों को श्री अग्रवाल ने नकारते हुए राजस्व विभाग की ओर से लापरवाही या अनियमितता नहीं बरतने की बात कही है.

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