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वनांचल के कांशीबाहरा में वन विभाग के संभागीय प्रशिक्षण कार्यशाला का हुआ आयोजन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. वनांचल में बसे वन परिक्षेत्र छुईखदान के काष्ठ कूप कांशीबाहरा में पहली बार एक दिवसीय कार्यशाला में दुर्ग वन वृत्त के सभी आला वन अधिकारी जुटे। जिला निर्माण के बाद पहली बार एक साथ अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास-योजना) अरूण कुमार पांडेय एवं अपर प्रधान मुख्य संरक्षक (उत्पादन) श्रीमती संजीता गुप्ता सहित विशेषतौर पर खैरागढ़, कवर्धा, राजनांदगांव, दुर्ग, बालोद एवं मानपुर-मोहला के वनमंडलाधिकारी एवं उपवनमंडलाधिकारी, परिक्षेत्र अधिकारी तथा सभी कूप प्रभारी व सहायक कूप प्रभारी उपस्थित रहे। यहां वनांचल के कक्ष क्र. पी/190 कांशीबाहरा में वन विभाग के सीमांकन, मार्किंग, फेलिंग एवं लॉगिंग को लेकर प्रशिक्षण सह संभागीय प्रदर्शन कार्यशाला संपन्न हुई। आयोजन में वन वृत्त दुर्ग के अंतर्गत आने वाले समस्त वन क्षेत्रों में स्थित कूप में लकड़ियों के चिन्हांकन, कटाई, नापजोख व लॉगिंग आदि की प्रक्रिया से अवगत कराया गया। एक दिवसीय कार्यशाला में वन क्षेत्र में पायी जाने वाली विभिन्न प्रजातियों की लकड़ियों की नियमानुसार कटाई, नापजोख, चिन्हांकन, लॉगिंग करने के साथ आईडब्ल्यूसी और एससीआई फोर प्रजाति के गैर इमारती और इमारती लकड़ियों की सुरक्षा, कटाई सहित अन्य व्यवस्था की विस्तार से जानकारी दी गई। लगभग पांच घंटे तक चले इस प्रशिक्षण में रायपुर से पहुंचे प्रशिक्षकों ने अधिकारियों सहित वनकर्मियों को वन वृत्त के अंतर्गत आने वाले कूपों में लकड़ियों की व्यवस्था, कटाई, नीलामी से संबंधित भी जानकारी देकर इसके आधार पर कार्य करने प्रशिक्षण दिया। इस दौरान प्रश्नोत्तरी भी हुई और कार्य से संबंधित प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया। बताया गया है कि प्रत्येक कूप में वनपरिक्षेत्र अधिकारी कम से कम 10 प्रतिशत, उपवनमंडलाधिकारी 5 प्रतिशत एवं वनमंडलाधिकारी 2 प्रतिशत मार्किंग कार्य का अभिलेखों से मिलान करते हुये अनिवार्यतः सत्यापन करेंगे। इस दौरान कोई त्रुटि मिली तो इसमें सुधार किया जायेगा। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वन मानचित्रों का भलीभांति अध्ययन कर एवं स्थल पर जीपीएस माध्यम से अथवा अन्य यांत्रिकीय पद्धति से स्थल का मिलान कर काष्ठ कूपों में सीमांकन का कार्य सावधानीपूर्वक किया जाना है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण आयोजन में विशेषतौर पर पुलिस सुरक्षा व्यवस्था खैरागढ़ एसपी द्वारा की गई थी।
मुनारा का किया गया अवलोकन
इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों ने भूलाटोला रोपणी में तैयार किये गये पक्के मुनारे कक्ष की सीमा लाईन कार्य का अवलोकन किया। वनमंडलाधिकारी आलोक तिवारी ने बताया कि प्रायोगिक तौर पर अभी दो मुनारे बनाये गये हैं जिसमें निर्धारित अनुपात में सामग्री का उपयोग किया जाकर समूचित पानी तराई की गई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने मुनारे की गुणवत्ता को लेकर प्रसन्नता जाहिर की। सीमांकन एवं मार्किंग कार्य बेहतर पाया गया। इस दौरान सेम्पल प्लॉट में सर्वेक्षक के लिये डाले गये ग्रीड एवं सर्वेक्षण अभिलेख का निरीक्षण किया गया जो बेहतर पाया गया। लॉगिंग के प्रदर्शन के लिये बासिंग प्रजाति के एक वृक्ष का चयन किया गया और लॉगिंग की बारीकियों के बारे में जानकारी प्राप्त की गई जिससे वृक्ष से अधिकतम इमारती काष्ठ प्राप्त किया जा सके ताकि बाजार की मांग के अनुरूप लकड़ी तैयार हो सके। इस कार्य से शासन को अधिक राजस्व की प्राप्ति हो पायेगी। उक्त कार्य में इस बात को लेकर विशेषतौर पर हिदायत दी गई है कि विनाशविहीन विदोहन का ख्याल रखा जाये और अन्य वृक्षों को क्षति न पहुंचे। वृक्षों की बेहतरी के लिये बाधित झाड़ियों एवं अन्य प्रजातियों के पौधों को हटाने पर भी जोर दिया गया। इस दौरान विशेषतौर पर यह बताया गया कि किन-किन स्थानों के समीप किन वृक्षों को काटना एवं किन वृक्षों को नहीं काटना है। इस दौरान वनमंडलवार टीम गठित कर इसका प्रायोगिक परीक्षण भी किया गया वहीं प्रधान मुख्य वन संरक्षक सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने वन कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। प्रशिक्षण के दौरान विदोहन सहित विभिन्न वानिकीय विषयों पर परिचर्चा कर आवश्यक दिशा-निदेश दिये गये। खैरागढ़ वन मंडल अंतर्गत कराये गये भू-जल संरक्षण कार्य, वाटर शेड मैनेजमेंट के कार्य एवं वेट लैंड संरक्षण के संबंध में पावर पाइंट के माध्यम से प्रदर्शन भी हुआ। इस दौरान खैरागढ़ वनमंडलाधिकारी आलोक तिवारी, उपवनमंडलाधिकारीद्वय अमृतलाल खुंटे, मोना माहेश्वरी व परिक्षेत्र अधिकारी खैरागढ़ रमेश कुमार टंडन, छुईखदान परिक्षेत्र अधिकारी अशोक कुमार वैष्णव, परिक्षेत्र सहायक संतोष ठाकुर, डेमन राम पद्माकर, वनरक्षक अमित चांवले व चंदन मिर्चे की आयोजन में सराहनीय भूमिका रही।

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