शादी का प्रलोभन देकर युवती से शारीरिक संबंध बनाने वाले युवक को 10 वर्ष का सश्रम कारावास

अपर सत्र न्यायालय ने सुनाई सजा
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. शादी का प्रलोभन देकर अविवाहिता से बलात संबंध बनाने वाले 24 वर्षीय युवक को अपर सत्र न्यायालय ने 10 वर्ष के सश्रम कारावास के साथ 10 हजार रूपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है. मामला 2020 का है जब रूपेश उर्फ रूपु वर्मा पिता नेमूराम वर्मा उम्र 24 वर्ष निवासी पिपरिया का युवती के साथ प्रेम संबंध था और आरोपी युवती को शादी करने का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा. शारीरिक संबंध के बाद जब युवती गर्भवती हुई तब उसने आरोपी रूपेश से शादी करने की बात कही जिस पर आरोपी ने उसे बच्चा गिराने के बाद शादी करने की बात कही और युवती को दवाई देकर बच् चा गिरा दिया. उक्त घटना के बाद आरोपी ने युवती के साथ शादी करने से इंकार कर दिया जिसके बाद युवती ने 28 सितंबर 2020 को खैरागढ़ थाना पहुंचकर आरोपी के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज कराई थी. पीडि़ता की रिपोर्ट पश्चात पुलिस ने आरोपी को आईपीसी की धारा 376 के तहत गिरफ्तार किया गया जिसके बाद मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायालय में जारी रही. मामले में अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक सैयद अलताफ अली ने पैरवी की जिसके बाद शुक्रवार 17 मार्च 2023 को आरोपी का दोष सिद्ध हुआ.
आरोपी का दोष सिद्ध होते ही अपर सत्र न्यायाधीश चंद्रकुमार कश्यप ने आरोपी रूपेश उर्फ रूपु को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (2)(ढ) के तहत 10 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई. आरोपी द्वारा कारित उक्त घटना को लेकर विद्वान न्यायाधीश चंद्रकुमार कश्यप ने अपने पारित निर्णय में कहा कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य महिला से संबंधित होकर गंभीर प्रकृति का है. शादी का प्रलोभन देकर किसी अविवाहित युवती से शारीरिक संबंध बनाना तथा बाद मेंं उसे विवाह करने से मना कर देना स्त्री की पवित्रता एवं प्रतिष्ठा पर कुठाराघात है जिससे उसकी गरिमा एवं मर्यादा को चोट पहुंचती है साथ ही उसके मन-मस्तिष्क में अत्यंत गहरा एवं बुरा अनुभव छोड़ जाता है. आज के विकसित समाज में आये दिन महिलाओं के प्रति घटित होने वाली इस प्रकार की घटना सभ्य समाज के लिये कलंककारी है, ऐसे गंभीर अपराध में आरोपी किसी प्रकार की सहानुभूति प्राप्त करने या उक्त दंड के प्रति नरमी से विचार किये जाने का पात्र नहीं है, इसलिये आरोपी को 10 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जाती है.