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महिला बाल विकास विभाग में भ्रष्टाचार का खुलेआम बोलबाला:

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. जिले में संचालित आंगनबाड़ियों में नौनिहालों के सेहत से जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है और इतना ही नहीं जिम्मेदार अधिकारी मासूम बच्चों के हक़ पर भी खुलेआम डाका डाल रहे है। पहले गरम भोजन के नाम पर जिले में जमकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया वहीं अब बच्चों किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के सुपोषण का जम्मा रखने वाला महिला एवं बाल विकास विभाग भ्रष्टाचार का खेल खुलेआम खेल रहा है। खबर है कि विभाग के जिम्मेदार अफसर ने अपने फायदे के लिए
दुगने कीमत पर जंग लगे नेलकटर व खाली टॉयलेट क्लीनर के डिब्बे खरीदे है। गौरतलब हो कि सुशासन का हैशटैग लेकर छत्तीसगढ़ की साय सरकार आंगनबाड़ियों में साफ-सफाई रखने करोड़ रूपए खर्च कर रही है लेकिन धरातल मे भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से छत्तीसगढ सरकार की सुशासन और अंत्योदय वाली मंशा पूरी नहीं हो पा रही है। इस मामले में नये नवेले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का हाल बद-से-बदतर है। गर्म भोजन के नाम फर्जीवाडा कर लाखों रूपये का गबन करने वाले महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों ने अब सफाई सामग्री की खरीदी और वितरण में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।

छ.ग.शासन ने सभी आबा.केन्द्रो में सफाई सामाग्री वितरण करने के निर्देश दिए थे लेकिन जिले के खैरागढ व छुईखदान परियोजना के अंतर्गत सभी आबा.केन्द्रो में नीम साबुन 6 नग, नेलकटर 1 नग, नारियल तेल 100 एमएल, डेटाॅल 60 एमएल, कंघी 1 नग, फुल झाडू 2 नग, खराटा झाडू 2 नग, सुपली 1 नग, डिटर्जेंट पाउडर 4 किलोग्राम, फ्लोर क्लीनर 1 लीटर, टाॅयलेट क्लीनर 500 एमएल वितरण करने का कागजी और सरकारी दावा किया गया है जबकि हकीकत में इन परियोजनाओं के अंतर्गत संचालित आबा.केन्द्रो में इन सभी सामग्रियों की सप्लाई नही हुई है। पुष्ट खबर है कि कुछ आबा.केन्द्रो में 5 सामग्री का वितरण तो कुछ आबा.केन्द्रो में 8 सामग्री का वितरण किया गया है।

छुईखदान व खैरागढ परियोजना से मिली जानकारी अनुसार दोनो परियोजना में तकरीबन ढाई-ढाई लाख रूपए की लागत से उक्त सामग्री की खरीदी कर सप्लाई की गई है। अधिकारियो ने बताया की इसके लिए कोटेशन मंगाया गया था जिसमें श्रीजी एंजेसी धमधा को नियमतः कार्यवाही करते हुए सामग्री सप्लाई कि जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन आपसी रजामंदी और निहित स्वार्थ के चलते विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने खैरागढ़ के व्यापारियों को खरीदी प्रक्रिया की भनक तक नहीं लगने दी और दूसरे जिले से रिंग बनाकर सामग्रियों की खरीदी कर ली गई।

मामले में खैरागढ़ जिला मुख्यालय और शहीद नगरी छुईखदान में किराना सामग्रियों के कई होल-सेल व्यापारी है लेकिन परियोजना द्वारा जब कोटेशन मंगाया गया तो यहाँ के होलसेल समान विक्रेता व्यापारियों को इसकी जानकारी तक नही लग पायी। अब यहां के स्थानीय किराना व्यापारी आरोप लगा रहे हैं कि परियोजना अधिकारियों द्वारा कमीशन के चक्कर मे अपने खास व्यक्तियों को ही कोटेशन कि जानकारी दी गई तभी धमधा की एंजेसी को काम मिला। अब इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पूरा खेल कमीशन का ही हैं और इसकी जांच के लिए जिला स्तरीय टीम गठित करने की मांग हो रही है।

परीयोजना अधिकारी व धमधा के श्रीजी एजेंसी की मिलीभगत को लेकर आरोप है कि आबा. केन्द्रो को घाटिया क्विालिटी की सामग्री सप्लाई की गई है और विभाग ने बिना निरीक्षण किए भुगतान भी एजेसी को कर दिया है जबकि जंग लगे नेलकटर की सप्लाई एंजेसी द्वारा की गई है वहीं चूहों द्वारा कतरे गये खराब साबुन व टाॅयलेट क्लिनर के नाम पर खाली डिब्बा ही सप्लाई किया गया है। बताया जा रहा है कि सप्लाई किए गए डिटर्जेंट पाउडर से भी झाग नहीं निकल रहा है। कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि जिले के अलग-अलग सेक्टर में पदस्थ सुपरवाइजरों द्वारा उन्हें परियोजना कार्यालय बुलाकर सामग्री को दिया गया है और प्राप्तकर्ता रजिस्टर में हस्ताक्षर लिया गया है।

सफाई सामग्री की सप्लाई का काम करने वाली एजेंसी को सामग्रियों के दाम का भुगतान दुगुने कीमत पर किया गया है। खैरागढ में फेमस बाजार फर्म के संचालक नितेश ने बताया कि जो सामग्री सप्लाई की गई है उससे कहीं अधिक बेहतर कम्पनी के समान अधिकतम 300 रूपए की दर से प्रत्येक आबा. केन्द्रो में पहुंच जाता जबकि विभाग ने इसके लिए करीबन 800 रूपए खर्च किया है जो दुगने कीमत से भी अधिक है। पूरे मामले को लेकर आंगनबाड़ी का संचालन करने वाली कार्यकर्ता भी दुखी है और विभाग के अधिकारियों के खुलेआम भ्रष्टाचार को लेकर भीतर से पीड़ा व्यक्त कर रही है दूसरी ओर मामले के खुलासे के बाद विभाग के अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

नियम अनुरूप कार्यकर्ताओं को सामग्री का वितरण किया गया है, किसी कार्यकर्ता को समान कम मिला है उसकी जानकारी मुझे नहीं है।
रंजना श्रीवास्ताव, परियोजना अधिकारी खैरागढ

कोटेशन नियमों के तहत श्रीजी एजेंसी धमधा को समान सप्लाई का काम मिला था। टाॅयलेट क्लिनर के नाम पर खाली डिब्बो की सप्लाई की जानकारी नहीं है।
सुनील बंजारे, परियोजना अधिकारी छुईखदान

Satyamev News

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