महान तबला वादक पं.ईश्वरलाल मिश्र की स्मृति में खैरागढ़ विश्वविद्यालय में हुआ सांस्कृतिक संध्या का आयोजन


वाद्य यंत्रों के वादन के साथ नृत्य की प्रस्तुतियों ने बांधा समां
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। महान तबला वादक पं.ईश्वरलाल मिश्र की स्मृति में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ में सांस्कृतिक संध्या का भव्य आयोजन किया गया। यह आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद आईसीसीआर एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो.डॉ.लवली शर्मा ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद नई दिल्ली के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर के.अय्यनार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा एवं राजकुमारी इंदिरा के तैलचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात विश्वविद्यालय के सहा.प्रा.डॉ.मंगलानंद झा द्वारा लिखित पुस्तक संग्रहालय आज कल और आज का अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया जिसमें डॉ.चैनसिंह नागवंशी का सहयोग रहा। इसके बाद रामकृष्ण पटेल ने बनारस घराने के प्रतिनिधि कलाकार एवं महान तबला वादक पं.ईश्वरलाल मिश्र के जीवन और कला यात्रा पर संक्षिप्त प्रकाश डाला। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में गुरु के प्रति गहरी निष्ठा और साधना की भावना है जिसके कारण वे निरंतर प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश शैक्षणिक संस्थानों में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की किसी न किसी विधा की उपस्थिति दिखाई देती है। आईसीसीआर के सहयोग से विश्वविद्यालय निरंतर रचनात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन एवं प्रशासन से मिल रहे सकारात्मक सहयोग की भी सराहना की। आईसीसीआर के क्षेत्रीय निदेशक उत्तर के.अय्यनार ने कहा कि क्षेत्रीय निदेशक का कार्यभार संभालने के बाद छत्तीसगढ़ में यह उनका पहला कार्यक्रम है और पं.ईश्वरलाल मिश्र को समर्पित यह आयोजन उनके लिए विशेष महत्व रखता है। उन्होंने इस आयोजन के लिए अवसर प्रदान करने पर विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त किया।

बेला वादन और कथक नृत्य ने बांधा समां

कार्यक्रम के सांस्कृतिक सत्र में नई दिल्ली से पधारे उस्ताद जौहर अली खान ने बेला वादन प्रस्तुत किया। उन्होंने राग मधुवंती सहित विभिन्न रागों की मनमोहक प्रस्तुति दी। कई देशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके उस्ताद जौहर अली ने एक ही धुन को विभिन्न देशों की शैली में प्रस्तुत कर श्रोताओं से खूब तालियां बटोरीं। इसके पश्चात ग्वालियर से आए प्रो.भगवान दास माणिक ने कथक नृत्य की सशक्त प्रस्तुति दी। उन्होंने तीन ताल में विशिष्ट बंदिश, नवरस रचना, रस पंचानन, नाग राग, शट कद, कुमकुम, पंच राग, घुमड़ बादल, शंख ध्वनि, अमृत ध्वनि, मधुकरी, सुरंग एवं हस्त शिखर सहित विविध रचनाओं पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ.मानव दास महंत ने भी कथक नृत्य की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन डॉ.लिकेश्वर वर्मा, संयोजक सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं डॉ.कौस्तुभ रंजन, विश्वविद्यालय आईसीसीआर प्रभारी ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ.लिकेश्वर वर्मा ने किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ.मुकुंद भाले, अधिष्ठाता प्रो.नमन दत्त, कार्यक्रम आयोजन समिति सदस्य डॉ.जितेश गढ़पायले एवं संदीप किंडो, सहायक प्राध्यापक सुशांत दास, डॉ.मंगलानंद झा, डॉ.छगेंद्र उसेंडी सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, संगतकारगण, अधिकारी-कर्मचारी, अतिथि व्याख्याता, शोधार्थी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।