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बैगलेस डे समाप्ति के निर्णय का विधायक प्रतिनिधि ने किया विरोध

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. प्रदेश में बच्चों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने के लिए वर्षों से संचालित शनिवार बैगलेस डे स्कूलों को बंद करने के निर्णय का विरोध अब तेज हो गया है। खैरागढ़ क्षेत्र से विधायक प्रतिनिधि मनराखन देवांगन ने इस निर्णय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के खिलाफ बताते हुए इसे बच्चों के मानसिक और रचनात्मक विकास के साथ अन्याय करार दिया है। कला, खेल और योग जैसी गतिविधियाँ थीं प्रमुख हिस्सा देवांगन ने कहा कि शनिवार को बैगलेस डे के अंतर्गत योग, प्राणायाम, संगीत, चित्रकला, शारीरिक खेलों और अन्य रचनात्मक गतिविधियों का आयोजन होता रहा है, जिससे बच्चों के तनाव में कमी, रचनात्मकता में वृद्धि और आत्मविश्वास में इजाफा होता था। यह पहल शिक्षा को जीवन कौशल से जोड़ने का जरिया रही है। बैगलेस डे बंद करना नीति के मूल उद्देश्य को कमजोर करता है
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बच्चों के समग्र विकास को प्राथमिकता देती है, जिसमें कला, संगीत, शारीरिक शिक्षा और नैतिक मूल्यों को अनिवार्य माना गया है। ऐसे में शनिवार को बैगलेस डे समाप्त करना, नीति के उद्देश्य को कमजोर करता है। शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि बच्चों को व्यवहारिक, रचनात्मक और नैतिक दृष्टि से भी सशक्त बनाना जरूरी है। शनिवार का बैगलेस डे इसी सोच का हिस्सा रहा है।

देवांगन ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस असंवेदनशील आदेश को तत्काल वापस लिया जाए और पूर्व की भांति शनिवार को स्कूलों में रचनात्मक गतिविधियों के संचालन की अनुमति दी जाए।

इस फैसले के खिलाफ अभिभावकों, शिक्षकों और विद्यार्थियों के बीच भी असंतोष देखने को मिल रहा है। सभी ने इसे बच्चों के समग्र विकास पर कुठाराघात बताया है। मनराखन देवांगन की यह पहल न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया बल्कि बच्चों के हक में एक सकारात्मक और समयोचित हस्तक्षेप भी मानी जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैगलेस डे जैसी पहलें बच्चों को स्कूल के प्रति आकर्षित करने में मदद करती हैं और इन्हें बंद करना दूरगामी नुकसान पहुंचा सकता है।

Satyamev News

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