
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। मंथली प्लान ऑफ एक्शन के तहत तथा छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष विजय कुमार होता के निर्देशानुसार तालुक विधिक सेवा समिति खैरागढ़ द्वारा पोस्ट मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास में अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में समिति के सचिव निलेश जगदल का विशेष मार्गदर्शन रहा। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश मोहनी कंवर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जन्म से प्राप्त अधिकार ही मानवाधिकार कहलाते हैं। 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार संस्था की स्थापना मानव हितों और संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी। उन्होंने कहा कि आजादी के 78 वर्ष बाद भी मानवाधिकार हनन के मामले सामने आने का मुख्य कारण लोगों में शिक्षा और अधिकारों की जानकारी का अभाव है। न्यायाधीश कंवर ने छात्रों से अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और सजग रहने की अपील की। पैरालिगल वॉलेंटियर गोलूदास साहू ने कहा कि हर नागरिक को अपने अधिकारों की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है। महिला हो या पुरुष, किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का हनन स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सेवा के अधिकार का उदाहरण देते हुए बताया कि कोई भी नागरिक तय समय सीमा में कार्य पूर्ण न होने पर संबंधित अधिकारी से पूछताछ कर सकता है तथा रिश्वत के मामलों में कार्रवाई की मांग कर सकता है। साहू ने सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालयों में नागरिक अधिकारों, पुलिस कार्यप्रणाली की सीमाओं तथा जबरन कार्य कराने पर रोक से जुड़े संवैधानिक प्रावधानों की भी जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को यातायात नियमों के पालन के लिए प्रेरित किया और कहा कि सड़क सुरक्षा भी नागरिकों के मौलिक अधिकारों और जिम्मेदारियों से जुड़ा महत्वपूर्ण विषय है और बताया कि संविधान में छह मूल अधिकार हैं जबकि मूल कर्तव्य उनसे दोगुने हैं यदि नागरिक अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करें तो उनके अधिकार स्वतः सुरक्षित रहते हैं। समाज को बेहतर बनाने से पहले स्वयं में सुधार आवश्यक है तथा न्याय और अन्याय का स्पष्ट भेद समझना चाहिए। कार्यक्रम में हॉस्टल वार्डन चंदन ठाकुर सहित बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित रहे।