
सत्यमेव न्यूज़ के लिए अनुराग शाँति तुरे के साथ आकाश तिवारी खैरागढ़। लगातार बारिश और खराब मौसम ने जिले के टमाटर उत्पादक मेहनतकश किसानों की कमर तोड़ दी है। खेतों में फसल बर्बाद होने के बाद अब कीमतों में आई भारी गिरावट ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
खैरागढ़ सहित छुईखदान, गंडई और आसपास की थोक सब्जी मंडी में शनिवार, रविवार और सोमवार को टमाटर की थोक कीमत में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। जहां सप्ताह की शुरुआत में टमाटर के दाम सात सौ रुपये प्रति कैरेट तक थे वहीं अब यह घटकर केवल डेढ़ सौ से दो सौ रुपये प्रति कैरेट रह गए हैं। किसानों को उम्मीद थी कि मौसम खुलने के बाद मंडियों में दाम बढ़ेंगे लेकिन मौसम की खराबी और लगातार हो रही बारिश के कारण टमाटर की कीमतें दोबारा नीचे आ गई। यह इस साल दूसरी बार है जब टमाटर की थोक कीमत दो सौ रुपये के स्तर पर पहुंची है।
मौसम की मार से टूटी किसानों की उम्मीदें
लगातार वर्षा और आसमान में छाए बादलों ने फसल की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है। खेतों में सड़ चुकी फसलों को देखकर किसान मायूस हैं। कई किसानों ने बताया कि बारिश के दौरान पौधे गल गए और जो बची हुई फसल थी वह भी अब बाजार में औंधे मुंह गिरती कीमतों के कारण घाटे में जा रही है।
खेती की लागत भी नहीं निकल रही और बढ़ गया है घाटे अनुमान
स्थानीय किसानों का कहना है कि इस बार खाद, बीज और दवाइयों के दामों में भारी वृद्धि हुई है जिससे उत्पादन लागत काफी बढ़ गई।
दो सौ रुपये या उससे कम कीमत पर टमाटर बेचना उनके लिए नुकसानदेह साबित हो रहा है। मजदूरी और परिवहन खर्च भी बढ़ने से नुकसान और गहरा गया है। किसानों ने बताया कि शुरुआती दिनों में जब दर छह से सात सौ रुपये प्रति कैरेट थी तब थोड़ा लाभ हुआ था लेकिन अब हालत फिर से बिगड़ गई है।
थोक में गिरावट लेकिन खुदरा दर में नहीं आम जनमानस को राहत
थोक मंडियों में कीमतों में गिरावट के बावजूद खुदरा बाजार में टमाटर अब भी 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि थोक भाव घटने के बावजूद खुदरा विक्रेताओं ने दरों में कोई कमी नहीं की। इससे किसानों को लाभ नहीं मिल रहा और उपभोक्ता भी राहत से वंचित हैं।
दोहरी चुनौती का सामना कर रहे टमाटर किसान
बारिश और मौसम की मार से टमाटर किसानों के सामने अब दोहरी चुनौती खड़ी हो गई है
एक ओर खेतों में फसल का नुकसान वहीं दूसरी ओर मंडियों में गिरते दामों से उनकी मेहनत का मुनाफा भी मिट्टी में मिल गया है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने त्वरित राहत या समर्थन मूल्य नहीं दिया तो आने वाले मौसम में टमाटर की खेती करना और कठिन हो जाएगा।