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अपराध

नाबालिग से बलात्कार कर शारीरिक शोषण करने वाले युवक को आजीवन कारावास की सजा

प्यार के बहकावे में आकर गर्भवती हो गई थी पीडि़त नाबालिग

शादी का प्रलोभन देकर आरोपी करता था पीडि़ता का शोषण

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. नाबालिग से बलात्कार व लगातार दैहिक शोषण कर उसे गर्भवती कर छोडऩे वाले आरोपी युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. अपर सत्र न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने सोमवार को अपने एक अहम फैसले में आरोपी युवक को आजीवन कारावास तथा 5 हजार रूपये के अर्थदंड से दंडित किया है. अपर लोक अभियोजक प्रभारी अधिकारी अलताफ अली ने बताया कि विद्वान न्यायाधीश चंद्र कुमार कश्यप ने थाना छुईखदान द्वारा प्रस्तुत अभियोग पत्र का विचारण करते हुये आरोपी बलराम निषाद पिता राजू निषाद उम्र 23 वर्ष निवासी ग्राम कानिमेरा थाना छुईखदान के विरूद्ध आरोपित धारा 376 (2) (जे) (एन), 506 (2) भादंवि एवं बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) 2012 की धारा 5(ञ)(ii) (ठ)/6 के तहत अपराध सिद्ध होने पर अहम फैसला सुनाया है. गौरतलब है कि 19 नवंबर 2019 की दोपहर लगभग 2:10 बजे 17 वर्षीय नाबालिग पीडि़ता ने छुईखदान थाने में उपस्थित होकर अपने साथ हुये अन्याय की रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि आरोपी बलराम निषाद जिससे उसकी मोबाईल पर बातचीत होती थी, इस दौरान माह अप्रैल 2019 में आरोपी उसे प्यार करने की बात कहता था और उसे अपने घर बुलाकर अपने कमरे में प्यार मोहब्बत की बात कर शारीरिक संबंध बनाने लगा.

प्यार के बहकावे में आकर नाबालिग से उसका लगातार शारीरिक संबंध स्थापित होता रहा जिसके परिणामस्वरूप वह गर्भवती हो गई. गर्भ 8 माह का हो जाने के बाद भी आरोपी युवक ने उसे रखने से इनकार कर दिया तब उसने मामले की पूरी जानकारी अपने परिजनों को दी और छुईखदान थाने पहुंचकर रिपोर्ट दर्ज कराई गई. पुलिस ने पीडि़ता की शिकायत पर आईपीसी की धारा 376 व पॉक्सो एक्ट की धारा 4, 8, 5(जे) (2) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार किया था तदोपरांत अपर सत्र न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई. मामले में अंतत: निर्णय सुनाते हुये न्यायाधीश श्री कश्यप ने कहा कि आरोपी बलराम का उक्त कृत्य गंभीर प्रकृति का होकर समाज के लिये घातक है, सभ्य समाज में ऐसी घटनाएं किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है और आज वर्तमान परिवेश में बालकों के साथ घटित होने वाले लैंगिक अपराध सभ्य समाज के लिये कलंककारी है. इसलिये आरोपी के विरूद्ध किसी भी प्रकार से सहानुभूति नहीं की जा सकती.

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