धान खरीदी से पहले ही चरमराई व्यवस्था, जिले में किसानों से सहज धान खरीदी पर संशय बरकरार

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़। राज्य शासन के निर्देश पर जिले में 15 नवंबर से धान खरीदी का शुभारंभ होना है किंतु खैरागढ़ जिले की अधिकांश सहकारी समितियों में तैयारियों का संकट गहराता जा रहा है। ज़मीनी हालात प्रशासनिक दावों से बिल्कुल विपरीत तस्वीर पेश कर रहे हैं। किसानों में बढ़ती बेचैनी और व्यवस्थाओं की बदहाली इस वर्ष खरीदी प्रक्रिया की गंभीर चुनौतियों को उजागर कर रही है।

समितियों में काम कर्मचारियों का विगत पखवाड़े पर से अधिक समय से कामकाज ठप है और धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्थाएं नदारद दिख रही है ऐसे में किसानों में भी गहरा रोष देखने को मिल रहा है। धान खरीदी की तय तारीख से महज पहले खैरागढ़ जिले के अधिकांश खरीदी केंद्र अव्यवस्था की चपेट में हैं। किसानों ने बताया कि अधिकांश केंद्रों पर न तो पंडाल लगाए गए हैं और न बैठने-पीने की मूलभूत सुविधा उपलब्ध है। शौचालयों की स्थिति भी दयनीय है। प्रशासन द्वारा अपने स्तर पर पिछले वर्ष की सड़ी भूसी भरकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त दिखाने की कोशिश की जा रही है जो किसानों के आक्रोश को और बढ़ा रही है वहीं सरकार द्वारा तालपतरी, रस्सी, सूतरी, बोरी आदि सामग्रियों की व्यवस्था के लिए बजट जारी किया जा चुका है लेकिन अधिकांश केंद्रों तक सामग्री अब तक नहीं पहुंची है। इसी बीच सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल ने हालात को और जटिल कर दिया है। समितियों में कामकाज पूरी तरह ठप है और किसानों को किसी भी प्रकार की जानकारी या सहायता उपलब्ध नहीं हो पा रही है। लापरवाही का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि किसानों के साथ जनहित के इस महत्वपूर्ण मामले में समिति प्रबंधकों ने स्वयं को सहकारी बैंक का कर्मचारी बताते हुए किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। अधिकारी ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं जबकि खरीदी शुरू होने वाली है वहीं दूसरी ओर सहकारी समिति के डीएमओ चंद्रपाल दीवान से लगातार संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन वह अनुपस्थित मिले वहीं उनके संपर्क सूत्र 9303812576 पर भी संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव ही नहीं किया।

शासन की ओर से जिले में नई समितियां का विस्तार तो हुआ है लेकिन व्यवस्था वास्तविकता में गुम नजर आ रही है। इस वर्ष जिले में 7 नए धान खरीदी केंद्र जोड़े गए हैं किन्तु इन केंद्रों में भी तैयारियों का अभाव स्पष्ट रूप से दिख रहा है। नए केंद्रों पर न आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं और न ही आवश्यक सामग्री की आपूर्ति हुई है। विस्तार के बावजूद व्यवस्थाओं की कमी जिले में खरीदी प्रक्रिया को बड़े संकट की ओर धकेल रही है।

धान खरीदी की शुरुआत को लेकर मंडराए असमंजस ने किसानों में बेचैनी बढ़ा दी है। लगातार बदलते हालात, अव्यवस्थाओं का अंबार और प्रशासन का मजबूरी भरा रवैया किसानों की चिंताओं को और गहरा कर रहा है। इसके बावजूद किसानों की उम्मीदें अब भी सरकार द्वारा की गई घोषणाओं पर निर्भर हैं जिनका क्रियान्वयन ज़मीनी स्तर पर होना अभी बाकी है। बहरहाल 15 नवंबर को पहले दिन खरीदी की व्यवस्था किस तरह से दुरुस्त रहेगी यह देखने वाली बात होगी।

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