दो माह बाद भी कलेक्ट्रेट में काम काज ठप, कई शाखाएं अभी तक संचालित नहीं

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. बीते 3 सितम्बर को जिला उद्घाटन के बाद शुरू हुये कलेक्ट्रेट में काम-काज दो माह बाद भी ठप है, अभी तक कलेक्ट्रेट परिसर में कई शाखाएं संचालित नहीं हुई है जिसके कारण आम नागरिकों को परेशानी हो रही है. बता दे कि विधानसभा उपचुनाव जीतने के पश्चात जिला निर्माण की घोषणा करने वाले प्रदेश सरकार ने निर्धारित समय में वादा पूरा किया और आनन-फानन में कलेक्ट्रेट व एसपी कार्यालय का शुभारंभ भी किया गया लेकिन कलेक्टे्रट का काम-काज महज कागजों में सिमटकर रह गया है. जिला उद्घाटन के बाद यहां विभाग भी खुल गया कर्मचारियों की व्यवस्था भी हो गई लेकिन कामकाज गति नहीं पकड़ पायी है. कलेक्ट्रेट परिसर में संचालित लोक सेवा केंद्र तथा आवक-जावक शाखा में ही लोगों की भीड़ देखने को मिलती है और काम की व्यस्तता रहती है लेकिन अन्य शाखाओं में काम-काज ठप चल रहा है जिसका मुख्य कारण अभी तक सभी विभागों का संचालन शुरू नहीं होना है. खासकर भू-अभिलेख शाखा जो कलेक्टे्रट के प्रमुख अंगों में एक है, वहां काम ठप पड़ा है जिससे मिसल रिकार्ड, चकबंदी, अधिकार अभिलेख जैसे दस्तावेज अभी तक राजनांदगांव से खैरागढ़ ट्रांसफर नहीं हुआ है. बताया जा रहा है कि राजनांदगांव में भू-अभिलेख के दस्तावेजों की छंटाई कर ली गई है और करीब डेढ़ हजार बस्ते राजनांदगांव में बंध चुके हैं जिन्हें खैरागढ़ लाया जाना है. इसके लिये विभाग दीपावली से पहले पत्र व्यवहार कर रहा है लेकिन जिम्मेदार वाहनों की व्यवस्था नहीं कर पा रहे हैं. बीते सोमवार पूरी तैयारी कर ली गई थी, कोटवार तक पहुं गये थे लेकिन उसी दौरान पता चला कि दस्तावेज लाने वाहन की व्यवस्था नहीं हो पायी है लिहाजा कोटवारों को उल्टे पांव वापस लौटना पड़ा.

सौ साल पुराने रिकार्ड का होगा स्थानांतरण
भू-अभिलेख शाखा के सौ साल पुराने रिकार्ड का स्थानांतरण राजनांदगांव से खैरागढ़ में होना है. कुछ रिकार्ड ऐसे भी है जो करीब 100 साल पुराने है जिन्हें सावधानीपूर्वक लाना पड़ेगा. जानकारों के अनुसार मिशल रिकार्ड 1900 से 1930 में बने हैं वहीं चकबंदी का रिकार्ड 1955 से बनना शुरू हुआ है, अधिकार अभिलेख के रिकार्ड करीब 47 साल पुराने हैं. जमीन जायदाद से जुड़े इन महत्वपूर्ण दस्तावेजों के नहीं होने से भू-अभिलेख शाखा आवेदकों को वापस लौटा रही है. जिला कार्यालय संचालन के लिये स्टेशनरी तक की कमी महसूस की जा रही है. आम तौर सभी विभागों में कम्प्यूटर से काम हो रहा हैं लेकिन कम्प्यूटर में टोनर तक की कमी है. इसकी वजह से विभागों में प्रिंट आउट निकालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पंद्रह कम्प्यूटरों के लिए पंद्रह प्रिंटर है लेकिन टोनर की मारामारी के चलते भोजनावकाश के समय कर्मचारी उसे आलमारी में रखकर जा रहे हैं ताकि कोई दूसरा उसका उपयोग ना कर ले.
दो माह से पेंडिंग है पीडि़तों का आवेदन, नहीं हो रहा निराकरण
जिले के नागरिकों को सुविधा प्रदान करते हुये उनकी समस्याओं के त्वरित निराकरण के लिये कलेक्टर डॉ.जगदीश के द्वारा परिसर में जनसंवाद का कार्यक्रम शुरू किया गया जहां विभिन्न समस्याएं लेकर नागरिक पहुंच रहे हैं. शुरूआत के कुछ दिनों में जनसंवाद पहुंचने वाले पीडि़तों की समस्याओं का त्वरित निराकरण हो रहा था लेकिन अब हालात यह है कि दो माह बीत जाने के बाद भी कई लोगों की शिकायतों का निराकरण नहीं हो पाया है. समस्याओं के निराकरण के लिये व्यवस्था करते हुये नोडल अधिकारी तैनात किया गया है जिनका काम महज संबंधित विभाग को लेटर फारवर्ड करने तक सीमित है वहीं अधिकतर विभागों का काम शिक्षा विभाग से बुलाये गये कर्मचारी संभाल रहे हैं जिन्हें वेतन बनाने, पेंशन प्रकरण और छात्रवृत्ति से जुड़े कामों का ही अनुभव है. उन्हें दो दिनी प्रशिक्षण देकर विभागवार काम बांट दिया गया है जिसके कारण भी कलेक्ट्रेट में काम काज अपेक्षानुरूप गति नहीं पकड़ पा रही है.