थाईलैंड में बिखरी भारत की सांस्कृतिक छटा: खैरागढ़ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों ने बढ़ाया देश का मान

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. भारत की सांस्कृतिक धरोहर ने एक बार फिर विश्व मंच पर अपनी छाप छोड़ी है। विगत दिनों थाईलैंड के महासरखम विश्वविद्यालय में आयोजित द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय कला एवं संस्कृति महोत्सव में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के दो पूर्व छात्रों ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए देश की कला और परंपरा की अनूठी छवि विश्व समुदाय के समक्ष प्रस्तुत की। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद निवासी आसिफ हुसैन और राजस्थान के अलवर निवासी राजेंद्र कुमार ने भरतनाट्यम नृत्य के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। सांस्कृतिक भाषणों और नृत्य प्रस्तुति के माध्यम से उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की कला को गरिमा और गहराई के साथ प्रस्तुत किया।

दोनों कलाकारों की मनोहारी प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। इस भव्य आयोजन में भारत सहित चीन, जापान, कोरिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार, लाओस और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों के कलाकार प्रतिनिधियों ने भाग लिया। भारत की ओर से भाग ले रहे इन दोनों कलाकारों को उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए आयोजकों द्वारा प्रशस्ति पत्र और मोमेंटो भेंट कर सम्मानित किया गया।दोनों कलाकारों ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त गुरुजन प्रेमचंद होम्बल और डॉ.मेदिनी होम्बल से भरतनाट्यम की विधिवत शिक्षा प्राप्त की है। विदेश यात्रा से लौटने के पश्चात आसिफ और राजेंद्र ने इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय पहुंचकर कुलपति प्रो.डॉ.लवली शर्मा से भेंट की और आशीर्वाद प्राप्त किया। कुलपति ने इस उपलब्धि को विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय बताते हुए कहा “हमारे छात्रों ने जिस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत की सांस्कृतिक गरिमा को प्रस्तुत किया है वह न केवल उनकी साधना का परिणाम है बल्कि हमारे विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट शैक्षणिक और सांस्कृतिक परंपरा का भी प्रमाण है।” इस अवसर पर दोनों विद्यार्थियों ने अपने गुरुजनों और विश्वविद्यालय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय से मिली शिक्षा और मार्गदर्शन ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है।