तीन सूत्रीय मांगों को लेकर मुंडन करवाकर महाविद्यालयों के अतिथि व्याख्याताओं ने किया राजधानी में प्रदर्शन
जॉब सुरक्षा, एकमुश्त वेतन व प्रभावितों के व्यवस्थापन की मांग
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. विपरीत परिस्थितियों में प्रदेश के महाविद्यालयों में अपनी सार्थक सेवाएं दे रहे अतिथि व्याख्याता संघ ने अपनी तीन सूत्रीय मांगों को लेकर राजधानी रायपुर में धरना प्रदर्शन किया. राजधानी के तूता धरना स्थल में प्रदेश स्तरीय प्रदर्शन के लिये जुटे अतिथि व्याख्याताओं ने विरोध के लिये शांतिपूर्ण किंतु अनोखा तरीका अपनाया और संघ से जुड़े पुरूष व्याख्याताओं ने मुंडन कराकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने बताया कि सालों से अपनी सेवाएं दे रहे अतिथि व्याख्याताओं के पास जॉब सुरक्षा ही नहीं है, उन्हें कभी भी बाहर निकाल दिया जाता है वहीं उच् च शिक्षा के लिये अपना जीवन समर्पित करने वाले शिक्षकों को कालखंड के हिसाब से न्यूनतम मानदेय ही दिया जा रहा है जबकि पड़ोसी राज् य मध्यप्रदेश में इन्हीं शिक्षकों को 50 हजार रूपये एकमुश्त वेतन दिया जा रहा है.
जानिये क्या है अतिथि व्याख्याताओं की छग शासन से तीन जायज मांगे~
- जॉब सुरक्षा- साल दर साल अपनी सेवाएं देकर प्रदेश की बदहाल उच्च शिक्षा को संवारने वाले अतिथि शिक्षकों को जॉब सुरक्षा ही नहीं मिल पायी है. इसके लिये प्रदेश निर्माण के बाद से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने कोई नीति निर्धारण नहीं किया है. सरकार के प्रतिनिधि हमेशा चिकनी-चुपड़ी बात करके सांत्वना देते हैं लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं जबकि भारत की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप अतिथि व्याख्याताओं को 65 वर्ष या सेवानिवृत्ति की आयु तक जॉब सुरक्षा मिलनी चाहिये.
- निर्धारित वेतनमान का अभाव- पाठकों को जानकर यह आश्चर्य होगा कि छग प्रदेश की उच् च शिक्षा में अपना महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अतिथि व्याख्याताओं को निर्धारित वेतनमान भी नहीं मिल पाता और लगातार इस दिशा में उनके साथ भेदभाव ही होता आ रहा है. वर्तमान में प्रति कालखंड को आधार बनाकर मानदेय की व्यवस्था की गई है जिसकी वजह से विपरीत परिस्थितियों में अध्यापन कर अपना जीवन यापन करने वाले अतिथि व्याख्याताओं को नये शिक्षण सत्र का इंतजार करना पड़ता है. प्रदेश के अलग-अलग महाविद्यालयों में अतिथि शिक्षकों को कभी अगस्त, कभी सितंबर, कभी अक्टूबर, कभी नवंबर तो कभी दिसंबर में नियुक्ति दी जाती है. कहीं-कहीं पहचान अतिथि व्याख्याताओं को जून-जुलाई से सत्र प्रारंभ होने के बाद भी अपनी मनमानी के कारण दो, तीन, चार कालखंड का मानदेय देते हैं. यह सीधे तौर पर किसी भी शिक्षक समुदाय के साथ अन्याय है जिसे लेकर अतिथि व्याख्याताओं ने न्याय की आस लेकर भूपेश बघेल सरकार से गुहार लगाई है और कहा है कि कम से कम पड़ोसी मध्यप्रदेश जिससे छत्तीसगढ़ की उत्पत्ति हुई है वहां लागू व्यवस्था को आत्मसात कर एकमुश्त 50 हजार रूपये का वेतनमान अतिथि शिक्षकों के लिये फिक्स किया जाना चाहिये.
- प्रभावित अतिथि व्याख्याताओं की हो व्यवस्था- अतिथि व्याख्याता संघ ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुये बताया कि उन्हें कभी भी महाविद्यालयों से निकाल दिया जाता है, उन्होंने मांग की है कि सहायक प्राध्यापकों के स्थानांतरण, पदोन्नति तथा नवीन नियुक्ति के बीच सबको एक गारंटी मिलनी चाहिये तथा प्रभावित हो रहे अतिथि व्याख्याताओं को अन्यत्र महाविद्यालयों में जहां पद रिक्त हो जॉब दिया जाना चाहिये. धरना प्रदर्शन में संघ के अध्यक्ष लव कुमार के नेतृत्व में प्रदेश के 5 संभाग के लगभग 500 से अधिक अतिथि व्याख्याता शामिल हुये. इस दौरान संघ के नेतृत्वकर्ताओं ने अपनी जायज मांगों को लेकर आवाज बुलंद की. प्रदर्शन के दौरान संरक्षक सीएल दुबे ने संघ की मांगों को समर्थन देते हुये कहा कि अतिथि व्याख्याताओं को जॉब सुरक्षा, जॉब गारंटी के साथ ही निश्चित वेतनमान मिलना चाहिये.