डाक्ट्रेट मानद उपाधि से सम्मानित हुई छत्तीसगढ़ की पदमा साहू

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. फरीदाबाद एनसीआर दिल्ली में मैंजिक बुक आफ आर्ट यूनिवर्सिटी, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत संस्था से श्रीमती पदमा साहू निवासी खैरागढ़ टोलागांव को राष्ट्रीय मानद उपाधि प्रदान किया गया कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रगान से प्रारंभ किया गया. कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ राज्य की बेटी पदमा साहू, को इस मंच से मानद उपाधि अवार्ड उनके अनूठे साहित्य सेवा कार्य के लिए दिया गया. उनकी मुक्तासा, पद्मांजली प्रकाशित पुस्तक है. दिल कहता है, पावन माटी देश की राष्ट्रीय साझा संकलन उनके संपादकीय पुस्तक हैं. उन्हें पूर्व में ही भारत को जाने के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड, संपूर्ण छत्तीसगढ़ दर्शन के लिए दो गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड, छंदावली के लिए मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड अचीवमेंट प्राप्त हो चुका है.इस सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि डॉ.कोड्डी सेठ्टी सुरेश बाबू फिल्म एंड टीवी एक्टर ks9 न्यूज़ चैनल, डॉ.एस के रोहिल्ला प्रिंसिपल मेवात यूनिवर्सिटी निर्मला देवी वाइस चेयरपर्सन मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड एवं समाज सेविका, डॉ. सीपी यादव( सीईओ मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड) द्वारा सम्मान प्रदान किया गया. निरामणी श्रीवास, शिव श्रीवास कसडोल छत्तीसगढ़ को भी डाक्ट्रेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। डॉ.सीपी यादव (सीईओ मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड) ने विभिन्न प्रांतों के लोगों की प्रतिभाओं को खोज कर उसे सम्मान और मंच देने की बात कही. हमें अपनी संस्कृति को सहेज कर रखना अनिवार्य है और इसके लिए साहित्य सृजन करना सराहनीय कार्य है. पदमा जी साहित्यिक क्षेत्र में अपना अनूठा कार्य कर रही हैं. उनके साथ साथ एक प्रधान पाठक के रुप में नई दिशा और दशा के साथ प्राथमिक शाला संडी के बच्चों को विभिन्न अव्यवस्थाओं के बीच शिक्षा देने के साथ उन्हें अनुशासन और शिक्षा के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रही हैं. प्राथमिक शाला संडी के बच्चे और पालक शिक्षा का बेहतर माहौल पाकर बहुत खुश हैं. प्रिंट रिच, खेल कहानी, कविता, पहाड़ा आदि को जानकर बच्चे पढ़ने के प्रति रुचि जागृत कर रहे हैं इस तरह वह शिक्षा में भी अपना उल्लेखनीय कार्य कर रही हैं. सम्मान के इस गरिमामयी कार्यक्रम में विभिन्न प्रदेशों के लोगों को उनने विशेष कार्यों के लिए डाक्ट्रेट की मानद उपाधि दिया गया. इस उपलब्धि पर शुभचिंतकों ने शुभकामनाएं प्रेषित की ही.कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम गीत से किया गया।