
शाम 7 बजे तक इंतजार बाद मायूस होकर बैरंग लौटे किसान भाई
सत्यमेव न्यूज बाजार अतरिया। समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हुए पहला ही दिन किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर गया। बाजार अतरिया धान खरीदी केंद्र एवं संलग्न कुकुरमुड़ा, बाजार अतरिया, कुसमी व डुंडा गांवों से पहुंचे 17 किसान सुबह से शाम तक 4 हजार क्विंटल धान लेकर केंद्र में डटे रहे, परंतु तकनीकी अव्यवस्था और कर्मचारियों की हड़ताल के कारण एक भी किसान का धान नहीं खरीदा जा सका। किराए की गाड़ी से धान लाए किसानों का कहना था कि सरकार कहती है कि सारी तैयारी पूरी है पर यहां सुबह से शाम हो गई लेकिन दावो के मुताबिक एक बोरी भी नहीं खरीदी गई। अब दोबारा किराया देकर वापस आना पड़ेगा। हमारा नुकसान कौन भरपाई करेगा? इन परिस्थितियों को लेकर किसानों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है।
कर्मचारियों की हड़ताल से चरमराई व्यवस्था
खरीदी केंद्र परिसर में मशीनें, तौलकांटे, बोरी, लेबर सहित पूरी तैयारी मौजूद है लेकिन सेवा सहकारी समिति के कर्मचारी 3 नवंबर से चार सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं जिसके चलते ऑपरेटर से लेकर लेखा-जोखा तक की पूरी प्रणाली ठप हो चुकी है। हड़ताली कर्मचारियों ने बताया कि शासन पिछले वर्ष किए गए वादों पर आज तक अमल नहीं कर पाया। 28 फरवरी तक उठाव का आश्वासन दिया गया था पर कमीशन अब तक नहीं मिला। यहां तक कि मिला हुआ कमीशन भी काट लिया गया। ऐसे में हम मजबूरी में हड़ताल पर हैं।
शाम 7 बजे अचानक पहुंचे अपर कलेक्टर, किसानों ने जताई नाराज़गी
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अपर कलेक्टर सुरेंद्र ठाकुर शाम 7 बजे बाजार अतरिया खरीदी केंद्र पहुंचे। वहाँ उन्होंने देखा कि 17 में से एक भी किसान का धान खरीदा नहीं गया। अधिकारियों को फटकार लगाते हुए उन्होंने तुरंत उच्च अधिकारियों से चर्चा की। मौजूद किसानों ने मांग उठाई कि यहाँ लगाए गए ऑपरेटर को बदला जाए क्योंकि समस्या लगातार वहीं अटकी हुई है। प्रतिनिधि द्वारा केंद्र प्रभारी कृषि विस्तार अधिकारी धर्मेंद्र से मोबाइल नंबर +91-81098-8624 लगातार पर संपर्क करने की कोशिश की गई किंतु उनका मोबाइल फ़ोन बंद रहा।
किसानों की पीड़ा, प्रशासन की बड़ी नाकामी
सरकार चाहे लाख दावे करे लेकिन पहले ही दिन अन्नदाता को खाली हाथ लौटना प्रशासनिक विफलता का सबसे बड़ा प्रमाण है। किराया देकर धान बेचने आए किसानों की मेहनत और समय दोनों की बर्बादी हुई। यदि यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में न केवल किसान, बल्कि संपूर्ण खरीदी व्यवस्था गंभीर संकट में पड़ सकती है। प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप कर कर्मचारियों की हड़ताल का समाधान निकालना होगा अन्यथा धान खरीदी व्यवस्था धराशायी होना तय है ।