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जिला कांग्रेस ने डॉ.आंबेडकर के अनादर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री के खिलाफ राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. संसद में केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा भारत रत्न बाबा साहेब डॉ.भीमराव आंबेडकर के अनादर मामले में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गजेन्द्र ठाकरे की अगुवाई में कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है। आठ बिन्दुओं पर सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस डॉ.भीमराव आंबेडकर जी की विरासत व उनकी अध्यक्षता में तैयार किए गए संविधान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता अटूट है। संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में कांग्रेस राजनीतिक और कानूनी लड़ाई लड़ रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संविधान और उसके द्वारा गारंटीकृत अधिकारों का सत्तारूढ़ शासन द्वारा उल्लंघन नहीं किया जा सके। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता और वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद को डॉ.भीमराव आंबेडकर जी का अनादर करने के लिए एक मंच के रूप में इस्तेमाल किया है। हमारे संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा के दौरान विपक्ष पर हमला करने के अपने उत्साह में अमित शाह ने डॉ.भीमराव आंबेडकर पर अपमानजनक और निंदनीय टिप्पणी की है। केंद्रीय गृह मंत्री की टिप्पणी बेहद अरुचिकर और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे ऊंचे नेताओं में से एक का अपमान करती है। हमारे संविधान के रूप में हमारे राष्ट्र के चरित्र निर्माण में योगदान के साथ दलित समुदाय और अन्य हाशिये पर पड़े समूहों के सदस्यों के अधिकारों की सुरक्षा के लिये किये गये योगदान को अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया है और इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं है। ऐसे राष्ट्रीय व्यक्ति का अनादर करने के कोई भी प्रयास को बिना किसी परिणाम के अनियंत्रित नहीं छोड़ा जा सकता। इन टिप्पणियों के साथ अमित शाह सहित भाजपा ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के सदस्यों को दी गई सकारात्मक कार्रवाई और आरक्षण के मुद्दे के साथ-साथ संवैधानिक ढांचे के मुद्दे को महत्वहीन बना दिया है जो समाज में समान भागीदारी के उनके अधिकार को मान्यता देता है और उनकी रक्षा करता है। वास्तव में न तो अमित शाह और न ही भाजपा ने संसद में इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी का उपयोग करने के लिए कोई उचित स्पष्टीकरण दिया है जबकि भाजपा प्रमुख मुद्दों को महत्वहीन बनाने में लगी हुई है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दल हमारे संविधान की समावेशी और सहिष्णु भावना को अपहरण करने का प्रयास करने वाले भाजपा नेताओं के उदाहरणों को प्रकाश में लाने के लिए ठोस प्रयास कर रहे हैं।यह समझने के लिए कि ये समुदाय किस हद तक राष्ट्र-निर्माण और विकास में योगदान देते हैं। कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने पूरे देश में जाति सर्वेक्षण करने का प्रस्ताव रखा था जिसका भाजपा, उसके नेतृत्व और उनके सहयोगियों द्वारा कड़ा विरोध किया गया। हाशिए पर पड़े समुदायों की दुर्दशा और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने की आवश्यकता को उजागर करने वाले कांग्रेस के अभियान के जवाब में भाजपा ने केवल कांग्रेस और उसके नेतृत्व को नीचा दिखाने के लिए बार-बार प्रयास किया है। भाजपा ने हर तरह के नाम-पुकार का सहारा लिया है और कांग्रेस के बारे में झूठे और भ्रामक आख्यानों का प्रचार किया है। लेकिन हद तो तब हो गई जब केन्द्रीय गृह मंत्री स्वयं डॉ.भीमराव आंबेडकर जी पर व्यक्तिगत हमला करने पर उतर आये हैं। हमारे देश के केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा डॉ.भीमराव बाबासाहेब अंबेडकर जैसे दिग्गज पर हमला करने वाली ये टिप्पणियां हमारे देश की समन्वयवादी नींव को नुकसान पहुंचाने के अलावा और कुछ नहीं है। कोई भी व्यक्ति, विशेष रूप से हमारे देश के केन्द्रीय गृह मंत्री द्वारा की गई ऐसी गलत और गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियों की अनुमति नहीं दिया जा सकता। हर गुजरते दिन के साथ अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी को बड़े पैमाने पर सार्वजनिक प्रतिक्रिया मिल रही है, विशेष रूप से दलित समुदाय के सदस्यों और नेताओं से जिन्होंने दलित आइकन की गरिमा को नुकसान पहुंचाया है। वास्तव में हमारे संविधान के पिता के प्रति अनादर की गूंज हमारे जिले सहित पूरे देश में भाजपा और उसके कार्यकर्ताओं द्वारा की गई है और उसका बचाव किया गया है। सत्तारूढ़ सरकार और उसके नेताओं को इस तरह से आचरण करने की अनुमति नहीं दी जा सकती जो केवल उनकी विचारधारा के अनुकूल हो। डॉ.अंबेडकर के कद और भारत के नागरिकों से उन्हें मिलने वाले सम्मान को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अमित शाह की टिप्पणी ने लाखों भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति से मांग की है कि भारत की संसद में मुख्य विपक्षी दल के रूप में तथा संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहने वाली पार्टी होने के नाते मांग को पूरी करते हुये अमित शाह को हमारे देश के केंद्रीय गृह मंत्री के पद से बर्खास्त किया जाये और उन्हें डॉ.भीमराव आंबेडकर के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी जारी करने का निर्देश दिया जाये।

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