गातापार जंगल में पुरूष शिक्षकों पर माहौल खराब करने व अध्यापन कार्य नहीं कराने का आरोप

शाला विकास समिति ने नाबालिग छात्रों को दिग्भ्रमित कर भावनात्मक रूप से उकसाने का लगाया आरोप
शाला विकास समिति के पदाधिकारियों ने कलेक्ट्रेट पहुंच की शिकायत
दो दिन पहले स्कूल के नाबालिग छात्र ट्रांसफर का विरोध करने पहुंचे थे कलेक्ट्रेट
महिला शिक्षकों के नेतृत्व को नकारने के कारण गातापार स्कूल में बढ़ी लड़ाई
सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़़. शासकीय हायर सेकेंड्री स्कूल गातापार जंगल में बीते दो माह से चल रहे आरोप-प्रत्यारोप को लेकर संस्था के माहौल में सुधार व नियमित प्राचार्य की मांग को लेकर शाला विकास एवं प्रबंधन समिति के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष सहित सदस्यों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर यहां की खराब स्थिति के लिये सारा दोष पुरूष शिक्षकों पर मढ़ा है. दो दिन पहले स्कूल के नाबालिग छात्र-छात्राएं दो पुरूष शिक्षकों के ट्रांसफर के विरोध व स्कूल की महिला प्राचार्य सहित शिक्षिका के खिलाफ लामबंद होकर स्कूल न पहुंचकर कलेक्ट्रेट पहुंच गये थे और गोंड़वाना स्टूडेंट यूनियन की अगुवाई में प्रदर्शन भी किया था.
दरअसल बीते लगभग 2 माह से गातापार जंगल स्कूल शिक्षकों की आपसी रंजिश व महत्वकांक्षा का अखाड़ा बन गया है जिसे लेेकर व्यथित शाला विकास समिति के अध्यक्ष रामावतार छेदैया व उपाध्यक्ष फुदुक राम वर्मा सहित सदस्य जिलाधीश कार्यालय पहुंचे जहां कलेक्टर की दौरा अनुपस्थिति के कारण डिप्टी कलेक्टर आभा तिवारी को लिखित में ज्ञापन शिकायत देकर कहा है कि शाला विकास समिति से जुड़े होने के कारण उनका स्कूल में हमेशा आना-जाना लगा रहता है, यहां पदस्थ पुरूष शिक्षक हमेशा मनमानी करते रहते हैं, स्कूल मेें दिये गये अध्यापन कार्य भी नहीं कराना चाहते वहीं प्राचार्य के द्वारा काम बताने पर उनके सामने ही वाद-विवाद करने लगते हैं.
विवाद के साथ ही शिक्षक तेज आवाज में अपमानजनक बातें भी करते हैं जो शिक्षकीय गरिमा के विरूद्ध है. समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि लगभग ढाई माह से पुरूष शिक्षकों द्वारा ही पर्दे के पीछे से कुछ ग्रामीणों व नाबालिग छात्रों को दिग्भ्रमित किया जा रहा है और उन्हें भावनात्मक रूप से उकसाकर अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिये भोले-भाले वनवासियों को हथियार बनाया जा रहा है जिसके कारण विद्यालय का वातावरण बेहद खराब है.
वास्तव में यहां पदस्थ कतिपय पुरूष शिक्षक अपने अहम व महत्वकांक्षा के कारण महिला प्राचार्य के नीचे काम नहीं करना चाहते एवं लगातार झूठी शिकायतें कर महिला शिक्षकों को अपमानित किया जा रहा है. नाबालिग बच्च्चों को उकसाकर खैरागढ़ के आंबेडकर चौक में नाबालिग छात्र-छात्राओं से महिला शिक्षकों के विरूद्ध नारेबाजी कराई गई जो उचित नहीं है. पुरूष शिक्षक लगातार विद्यालय में अशांति फैलाने का काम भी कर रहे हैं.
ऐसी स्थिति में विद्यालय में ही कोई भी अप्रिय घटना-दुर्घटना घट सकती है. ज्ञात हो कि जिलाधीश व जिला शिक्षा अधिकारी तक मामला पहुंचने के बाद संस्था में अनुशासन बनाने प्रशासनिक रूप से शिक्षक डेनिस साहू व दिनेश बंजारे का स्थानांतरण कर दिया गया है लेकिन पुरूष शिक्षकों के स्थानांंतरण के बाद एक बार फिर यहां विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है, परिस्थितियों को देखते हुये शाला विकास समिति ने कलेक्टर से नियमिति वरिष्ठ प्राचार्य की व्यवस्था करने की मांग की है.

प्रभारी प्राचार्य व शिक्षिका ने षडय़ंत्र से तंग आकर की स्थानांतरण की मांग
मामले को लेकर संस्था की प्रभारी प्राचार्य डॉ.ममता अग्रवाल व व्याख्याता (एलबी) रेणू मालवीय जिलाधीश से स्थानांतरण की मांग की है. प्रभारी प्राचार्य डॉ.ममता अग्रवाल ने बताया है कि विगत 11 वर्षों से वे गातापार हायर सेकेंड्री स्कूल में पदस्थ हैं तथा 2016 में प्रभारी प्राचार्य पद का निर्वहन करती आ रही हैं. विभागीय दायित्व देने पर पुरूष शिक्षक, महिला प्राचार्य के नीचे काम नहीं करना चाहते थे इसलिये ग्रामीणों को उकसाकर बीते ढाई माह से मेरे खिलाफ तथ्यहीन एवं निराधार आरोप लगाकर राजनांदगांव जिलाधीश से शिकायत किये है जिसका विभागीय जांच किये जाने के बाद सारी शिकायतें तथ्यहीन व निराधार साबित हुई है.
पुन: शाला का प्रभार व दायित्व मुझे सौंपा गया और राजनांदगांव डीईओ के आदेश का पालन करते हुये शाला विकास एवं प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित कर सभी को कार्य विभाजन किया गया जिसमें कुछ शिक्षकों ने कार्यभार लेने से इनकार कर दिया. इसके पश्चात मेरे सम्मान व छवि को खराब करने समाचार पत्र में खबर प्रकाशित कर मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगातार कोशिश की जा रही है. दूसरी ओर व्याख्याता रेणू मालवीय ने बताया कि वे विगत 11 वर्षों से स्कूल में पदस्थ हैं, विद्यालयीन कार्य में प्रभारी प्राचार्य का सहयोग करने तथा विभागीय दायित्व लेने पर पुरूष शिक्षकों के द्वारा ईष्र्यावश ग्रामीणों को उकसाकर विगत ढाई माह से मेरे खिलाफ तथ्यहीन एवं निराधार आरोप लगाकर शिकायत की गई थी.
डीईओ की जांच पश्चात सारी शिकायतें तथ्यहीन व निराधार साबित हुई. उनके पास विद्यालय का सबसे महत्वपूर्ण विभाग बोर्ड एवं स्थानीय परीक्षा तथा विज्ञान विभाग है, यहां पदस्थ पुरूष शिक्षक कक्षा शिक्षक होते हुये भी अपने दायित्वों को पूर्ण नहीं करते थे और काम में सहयोग भी नहीं देते थे. पूर्व में डीईओ कार्यालय से उनके लिये स्पष्टीकरण भी जारी किया गया था जिसके बाद ये शिक्षक चीढ़ में आकर अपने पक्ष के ग्रामीणों को मेरे विरूद्ध उकसाने लगे और मेरी शिकायत भी करवाये. छग शासन के द्वारा विद्यालय के दो शिक्षकों का ऐच् िछक स्थानांतरण होने पर उनके द्वारा नाबालिग विद्यार्थियों को दिग्भ्रमित कर भावनात्मक रूप बहकाकर हमारे विरूद्ध तैयार किया गया जिसके कारण बेवजह महिला शिक्षकों की छवि धूमिल की जा रही है. दोनों महिला शिक्षिकाओं ने विवादों को लेकर अपने स्थानांतरण की मांग की है.