खैरागढ़ सिविल अस्पताल में लापरवाही से मौत का मामला ठंडे बस्ते में

कोई कार्रवाई नहीं, प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रहा जनाक्रोश
सत्यमेव न्यूज के लिए मनोहर सेन खैरागढ़। सिविल जिला अस्पताल खैरागढ़ में डॉक्टर और नर्स की लापरवाही से 34 वर्षीय युवक विजेंद्र चौरे ऊर्फ नाहन भाऊ की मौत के बाद तीन दिन बीत गए हैं लेकिन अब तक दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। प्रशासन की चुप्पी और स्वास्थ्य विभाग का बचाव वाला रवैया नगरवासियों खासतौर पर बौद्ध समाज के गुस्से को और भड़का रहा है।
इलाज के इंतजार में हो गई थी युवक की मौत
ज्ञात हो कि शनिवार तड़के अंबेडकर वार्ड निवासी नाहन भाऊ को अचानक सीने में जलन हुई। परिजन तत्काल उन्हें अस्पताल लेकर पहुंचे लेकिन वहां न डॉक्टर मिले न नर्स। परिजन अस्पताल परिसर स्थित आवासों के दरवाजे खटखटाते रहे। बताया जा रहा है कि ड्यूटी पर तैनात नर्स धनेश्वरी साहू और डॉक्टर आयुष जैन नींद में थे। इलाज में हुई देरी के कारण विजेंद्र ने दम तोड़ दिया था।
छिन गया परिवार का सहारा, बढ़ रहा समाज में आक्रोश
नाहन भाऊ अपने परिवार का इकलौता कमाने वाले सदस्य था और उसकी असमय मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। मोहल्लेवासी और बौद्ध समाज के लोग भी गहरी नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि समय पर इलाज मिल जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
बौद्ध समाज ने दी चेतावनी, कार्रवाई नहीं तो होगा आंदोलन
युवक की मौत के बाद बौद्ध समाज में बहुत अधिक आक्रोश है और दोषी चिकित्सक एवं नर्स पर कार्रवाई नहीं होने से समाज में और अधिक नाराजगी बढ़ रही है। समाज के संरक्षक मधुकर चोखान्द्रे और अध्यक्ष उत्तम कुमार बागडे ने कहा है कि अगर दो दिनों के अंदर प्रशासन दोषियों पर कार्रवाई नहीं करेगा तो समाज उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। मामले को लेकर कांग्रेस के मिशन संडे टीम के संयोजक मनराखन देवांगन ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग दोषियों को बचाने में जुटा है। उन्होंने कहा कि यदि डॉक्टर और दोषी कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो समाज आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
जांच की आड़ में दबाई जा रही सच्चाई
मामले में खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. विवेक बिसेन ने मामले की जांच की बात तो कही है लेकिन इस जानलेवा गंभीर मामले में जिला प्रशासन द्वारा नर्स और डॉक्टर पर कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया है।स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि हर बार जांच की आड़ में मामले को दबा दिया जाता है और जिम्मेदार बच निकलते हैं।
जनता कर रही सवाल- आम आदमी की जान की कोई कीमत नहीं?
नगरवासियों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग कब तक लापरवाह डॉक्टर और नर्स को बचाता रहेगा। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि दोषियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो प्रशासन की चुप्पी के खिलाफ उग्र आंदोलन होगा।