खैरागढ़ सिविल अस्पताल में बुनियादी सुविधाएं ही बीमार: गर्भवती महिलाओं के लिये शौचालय तक की सुविधा नहीं

सुरक्षा व्यवस्था का अभाव असामाजिक तत्वों का रहता है डेरा
पुरानी बिल्डिंग के शौचालय में शराब की बोतले, बिखरे पड़े है बीड़ी-सिगरेट के जले हुये टुकड़े
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. जिला मुख्यालय का एकलौता सिविल अस्पताल बुनियादी सुविधाएं के नाम से बीमार जान पड़ता है। जिला तो बना पर यहां अस्पताल की शुद्ध लेने वाला कोई नहीं है। हालात यह है कि गर्भवती महिलाओं के लिये शौचालय तक की सुविधा नहीं है वहीं सुरक्षा व्यवस्था का यहाँ घोर अभाव है जिसके कारण यहाँ असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है। अस्पताल परिसर अवैध पार्किंग का अड्डा भी बना हुआ है।
दूसरी ओर पुरानी बिल्डिंग के शौचालय में शराब की बोतले लटकी हुई है वहीं बीड़ी-सिगरेट के जले हुये टुकड़े यहां बिखरे पड़े हुये है।
प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन की बखिया उधेड़ रहा अस्पताल प्रबंधन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन की यहां और कोई नहीं अस्पताल प्रबंधन ही बखिया उधेड़ रहा है। ज्ञात हो कि एक तरफ पीएम मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के तहत जहां हर घर में शौचालय बनाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जिला मुख्यालय खैरागढ़ के सिविल अस्पताल में बने शौचालय की स्थिति बद से बदतर और खस्ताहाल बनी हुई हैं। ऐसे में इलाज कराने आने वाली महिलाओं को यहाँ भयावह परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है खासतौर पर गर्भवती महिलाओं को यहां तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। खैरागढ़ सिविल अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाने का दावा तो किया जाता है पर वास्तविकता इससे कहीं ज्यादा उलट है। अस्पताल के महिला वार्ड विशेषकर गर्भवती महिलाओं को शौचालय जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव तो झेलना ही पड़ रहा है वहीं खैरागढ़ सिविल अस्पताल के इतने बड़े बिल्डिंग में भर्ती मरीजों के लिये मात्र एक ही शौचालय है जिसे सभी भर्ती मरीज एवं उनके परिजन इस्तेमाल करते है।
पुरानी बिल्डिंग में गर्भवती महिलाओं के लिये नहीं है शौचालय का सुविधा
गर्भवती महिलाओं को अपने वार्ड से दूसरी बिल्डिंग में शौच के लिये जाना पड़ता है। वास्तविकता यही है कि सिविल अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है जिसे दुरुस्त करने ना तो शासन की ओर से कोई बेहतर पहल की जा रही है और नहीं प्रशासन इस दिशा में कोई बेहतर कदम उठा पा रहा है यही नहीं अस्पताल में सुविधाओं की बढ़ोतरी के लिए समाजसेवियों की ओर से भी कोई ठोस पहल अब नहीं की जा रही है। अस्पताल परिसर में मरीजों के लिये एक ही शौचालय होने के कारण गर्भवती महिलाओं और अन्य मरीजों को शौचालय की तलाश में इधर-उधर भटकने पर मजबूर होना पड़ता है जिससे उनकी परेशानी और बढ़ जाती है।
अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग और अन्य हिस्सों में असामाजिक तत्वों का डेरा
गौर करने योग्य है कि अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग और अन्य हिस्सों में जिला निर्माण के बाद से ही असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता है वहीं यहां सुरक्षा के नाम से एक भी सुरक्षा कर्मी नियुक्त नहीं किए गए हैं और यहीं वजह है कि अस्पताल जैसी पवित्र जगह को को भी असामाजिक लोगों ने नशे का अड्डा बना दिया है। अस्पताल के पुरानी बिल्डिंग के शौचालय का प्रयोग लोग नशे के लिये करने लगे हैं। मरीज जहां पर उपचार करवाने आते हैं वहीं पर नशे को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे ऐसा प्रतीत है कि कोई भी निगरानी अस्पताल प्रबंधन द्वारा नहीं रखी जा रही है।
सिविल अस्पताल में जो शौचालय है। उसी का इस्तेमाल गर्भवती महिलाएं सहित सभी मरीज और उनके परिजन कर रहे। नगर पालिका द्वारा शौचालय का निर्माण कराया जा रहा है जिसका काम जारी है।
डॉ.आशीष शर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी