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खैरागढ़-छुईखदा-गंडई जिला स्थापना दिवस: प्रशासन की भूल से फीका जश्न, नेताओं ने साधा निशाना

सत्यमेव न्यूज के लिये मनोहर सेन (खैरागढ़)। छत्तीसगढ़ की राजनीति में ऐतिहासिक माने जाने वाले खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले का तीसरा स्थापना दिवस मंगलवार को मनाया गया। गौरतलब है कि यह वही जिला है जिसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्ष 2022 में की थी। नए जिले के गठन को स्थानीय जनता ने लंबे समय तक आंदोलन और संघर्ष के बाद अपनी जीत माना था लेकिन मंगलवार का जश्न प्रशासनिक लापरवाही के कारण फीका पड़ गया।
कलेक्टर कार्यालय परिसर में आयोजन तो किया गया मगर इसकी जानकारी देर से मिलने और तैयारी अधूरी रहने से यह अवसर भव्य न बन सका। कार्यक्रम की शुरुआत महात्मा गांधी और छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके बाद सभाकक्ष में संक्षिप्त चर्चा आयोजित की गई।

इस मौके पर विधायक यशोदा वर्मा, जनपद अध्यक्ष डॉ.राजेश्री शैलेन्द्र त्रिपाठी, गंडई नगर पंचायत अध्यक्ष टारकेश्वर शाह खुसरो, कलेक्टर इंद्रजीत चंद्रवाल, जिला पंचायत सीईओ प्रेम कुमार पटेल और वनमंडलाधिकारी पंकज राजपूत विशेष तौर पर मौजूद रहे।

विधायक यशोदा वर्मा ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “खैरागढ़ जिला कांग्रेस सरकार की देन है। यह दिन ऐतिहासिक है लेकिन अफसोस है कि प्रशासन और भाजपा प्रतिनिधि इसे भुला बैठे। यह जनता के सम्मान से जुड़ा विषय है।”

जनपद अध्यक्ष डॉ.त्रिपाठी ने दावा किया कि जिले को संवारने और विकास की नई इबारत लिखने का काम मौजूदा सरकार कर रही है।

गंडई नगर पंचायत अध्यक्ष टारकेश्वर शाह खुसरो ने आरोप लगाया कि छुईखदान और गंडई की लगातार उपेक्षा की जा रही है।

कलेक्टर इंद्रजीत चंद्रवाल ने माना कि कार्यक्रम अचानक आयोजित हुआ लेकिन भरोसा दिलाया कि अगले वर्ष से स्थापना दिवस को बड़े स्तर पर मनाया जाएगा।

खैरागढ़ जिला बनने के बाद लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशासनिक सेवाओं में आसानी की उम्मीद थी। तीन साल में कुछ संस्थानों की शुरुआत हुई है लेकिन खैरागढ़ के साथ ही मुख्य रूप से छुईखदान और गंडई जैसे हिस्सों को अभी भी बेहतर सुविधाओं का इंतजार है। सड़क, स्वास्थ्य सेवाएँ और औद्योगिक निवेश जैसे मुद्दे अब भी अधूरे ही हैं वहीं जिले में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या और प्रतिवर्ष बढ़ रही बेरोजगारी एक ज्वलंत समस्या बन रही है।

खैरागढ़, छुईखदान और गंडई को अलग जिला बनाने की मांग कई दशकों से उठती रही थी। 2022 में इसकी घोषणा होते ही यह इलाका राज्य की सियासत का केंद्र बन गया था और यही कारण है कि हर साल स्थापना दिवस यहाँ के लोगों के लिए गर्व और उत्सव का अवसर होता है। मगर इस बार का फीका आयोजन लोगों की निराशा और असंतोष को भी उजागर कर गया वहीं जनप्रतिनिधियों के आरोप प्रत्यारोप ने जिला निर्माण के बाद वर्तमान में इस स्थिति को नया राजनीतिक रंग भी दे दिया है।

Satyamev News

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