कैलाश मंदिर में आमंत्रण बिना संपन्न नहीं होता छुईखदान में विवाह

57वें पड़ाव में हुआ सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का पाठ

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. शहीद नगरी छुईखदान में लगभग 200 साल प्राचीन भगवान शिव के मंदिर कैलाश मंदिर में धर्मयात्रा अपने 57वें पड़ाव में पहुंची. प्रचलित मान्यता अनुसार छुईखदान नगर में होने वाले किसी भी विवाह से पूर्व प्रथम आमंत्रण इसी कैलाश मंदिर में विराजमान भगवान शिव को जाता है, बिना भगवान शिव को आमंत्रण दिये नगर में कोई भी विवाह संपन्न नहीं होता. बीते मंगलवार को कैलाश मंदिर के सामने ही सुंदरकांड व हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया गया. श्री जगन्नाथ सेवा समिति के आदित्य देव वैष्णव ने गोपालपुर के गणेश मंदिर से निकलकर लगातार विभिन्न मंदिरों में पहुंच रही धर्मयात्रा के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला.

प्राचीन मंदिरों का पुनरुद्धार धर्मयात्रा का प्रमुख उद्देश्य

धर्मयात्रा प्रमुख भागवत शरण सिंह ने कहा कि फिलहाल छुईखदान के ऐसे मंदिरों के इतिहास से साक्षात्कार हो रहा है जो सैकड़ों साल प्राचीन हैं. यात्रा का प्रमुख उद्देश्य यही है कि ऐसे प्राचीनतम मंदिरों का पुनरुद्धार हो, बजरंग बली से मिला बल है कि मंगलवार में पाठ से पूर्व रविवार को जगन्नाथ सेवा समिति, श्रीराम गौ सेवा समिति छुईखदान व अन्य स्वयं सेवी संस्थाएं मिलकर इन मंदिरों में श्रमदान करती हैं. श्री रुक्खड़ स्वामी मंदिर निर्माण के उद्देश्य की पूर्ति के लिये नगर पालिका अध्यक्ष प्रतिनिधि संजय महोबिया ने 2100 रूपये, प्रसन्न ददरिया ने 1100 रुपये, कैलाश मंदिर समिति ने 1100 रूपये व सुनील जैन ने 1100 रूपये प्रदान किये जिसका धर्मयात्रा प्रमुख ने आभार जताया. समिति के संजीव दुबे ने बताया कि मंगलवार का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद बुधवार से फिर अगले पड़ाव की तैयारी शुरू हो जाती है जिसमें वार्ड की स्थानीय समितियां बढ़-चढक़र हिस्सा लेती हैं फिर रविवार को श्रमदान होता है और मंगलवार को पुन: आयोजन होता है.

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