सत्यमेव न्यूज/दुर्ग. राजीव नगर दुर्ग में भारत रत्न डॉक्टर बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती समता सैनिक दल के जिला अध्यक्ष आयुष्मान संतोष नंदा और उनके क्षमता सैनिक दल की टीम के साथ बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया इस अवसर पर सम्यक समबुद्ध शाक्य मुनि महाकारुणिक तथागत गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर एवं डॉ बाबासाहेब अंबेडकर के छायाचित्र पर मुख्य अतिथि आयुष्मान यस आर कानडे बौद्ध राष्ट्रीय ट्रस्टी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया मुंबई आयुष्मान संजय सेन्दरे उपाध्यक्ष एवं सलाहकार छत्तीसगढ़ आयुष्मति प्रज्ञा बौद्ध अध्यक्ष महिला सशक्तिकरण संघ छत्तीसगढ़ आयुष्मति मीणा नारनौरे उपाध्यक्ष महिला सशक्तिकरण संघ छत्तीसगढ़. इस अवसर पर सर्वप्रथम तथागत गौतम बुद्ध के प्रतिमा पर एवं डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के छायाचित्र पर माल्या अर्पण कर दी प्रचलित किया गया तत्पश्चात उपस्थित उपासक उपासकों के द्वारा एवं समता समता सैनिक दल के सैनिकों के द्वारा सामूहिक रूप से
त्रिशरण पंचशील बुद्ध वंदना का सामूहिक पाठ किया गया. इसके पश्चात डॉ.बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के सामने समता सैनिक दल के सैनिकों द्वारा सलामी दी गई. कार्यक्रम में दुर्ग लोकसभा के दुर्ग विधानसभा के विधायक गजेंद्र यादव द्वारा भारत का संविधान का प्रस्तावना का सामूहिक पाठ कराया गया. इसके पश्चात बाबा साहब अंबेडकर के प्रतिमा का सौंदर्यीकरण का उदघाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित दि बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय ट्रस्टी एस आर कानडे बौद्ध के द्वारा विधिवत किया गया। तत्पश्चात विशेष अतिथि के रूप उपस्थित दुर्ग विधानसभा के विधायक गजेंद्र यादव के द्वारा समता सैनिक दल के सैनिकों को प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया इस अवसर पर वार्ड पार्षद दिनेश देवांगन भी उपस्थित रहें। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रज्ञा बौद्ध एवं मीणा नारनौरे एवं संजय सेंद्रे तथा राष्ट्रीय ट्रस्टी के द्वारा प्रशस्ति पत्र दिया गया। तत्पश्चात राजीव नगर से क्रांति मसाल जलाकर ग्रीन चौक रेलवे स्टेशन के लिए रवाना किया गया वहां से फिर पूरे दुर्ग शहर का भ्रमण करते हुए जिला कलेक्टर परिसर मे डॉ बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा को समता सैनिक दल के द्वारा मां वंदना के साथ सलामी दी गई. इस अवसर पर समता सैनिक दल के सभी लोगों का उत्साह महत्वपूर्ण रहा. यह प्रक्रिया हर वर्ष 14 अप्रैल डॉ.अंबेडकर जयंती पर समता सैनिक दल के किया जाता है क्योंकि यह क्षमता सैनिक दल डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर ने अपने हाथों से 19 मार्च 1927 को बनाया था.