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सलोनी उप जेल में हुआ नवीन न्याय संहिता पर उन्मुखीकरण कार्यक्रम

सत्यमेव न्यूज़ खैरागढ़. छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर व सुषमा सावंत अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण राजनांदगांव के निर्देश पर उपजेल सलोनी नवीन न्याय संहिता पर उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित हुआ। सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश चन्द्र कुमार कश्यप, मुख्य न्यायाधीश मजिस्ट्रेट विवेक गर्ग, जुडिशल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास, गुरु प्रसाद देवांगन, जेल अधीक्षक योगेश कुमार बंजारे, पीएलवी गोलूदास साहू, एवं सिपाही प्रेम सागर साहू, यशवंत नायक, सुभाष बोई, यशवंत झरिया, प्रमोद कौशिक और विचाराधीनबंदी उपस्थित रहे।

डीजे चन्द्र कुमार कश्यप ने उपस्थित विचाराधीन बंदियों को बताया कि देश के नागरिकों तथा समाज का समाज का जीवन व्यवस्थित व अनुशासित रूप से चल सके तथा देश का शासन विधि सम्मत तरीके से आगे बढ़ सके इसीलिए कानून में समय-समय पर संशोधन किया जाता है। नवीन न्याय संहिता आम जनमानस के सुलभ न्याय के लिए बनाई गई है। आगे बताया
थाने में एफआईआर दर्ज कराने अब प्रार्थी को भटकना नहीं पड़ेगा। थाना स्टाफ बहाने बनाकर आवेदन टाल भी नहीं सकेंगे। 1 जुलाई से देश में लागू हो रहे नए कानून के बाद लोगों को इसे लेकर बड़ी सुविधा मिलेगी। अब प्रार्थी ऑनलाइन ही आवेदन कर सकेंगे। एफआईआर के लिए अब लोग थानों के ई-मेल आईडी और वाट्सएप नंबर पर सीधे आवेदन कर सकेंगे। इसके बाद तीन दिनों में आवेदन के आधार पर मामला दर्ज होगा। हालांकि ऑनलाइन आवेदन के तीन दिन के भीतर आवेदक को भौतिक रूप से थाने में मौजूद रहना होगा।
आगे सीजेएम विवेक गर्ग बताया कि नए कानूनों के तहत थाना क्षेत्र को लेकर होने वाला विवाद भी खत्म हो जाएगा। आमतौर पर किसी घटना या दुर्घटना की स्थिति में संबंधित थाना क्षेत्र में जाकर ही एफआईआर दर्ज कराने कहा जाता है। जिससे प्रार्थी पक्ष को परेशान होना पड़ता रहा है लेकिन इसमें भी बदलाव कर दिया गया है। अब प्रार्थी घटना को लेकर अपने आसपास के किसी भी थाने में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। जिसे जीरो में एफआईआर दर्ज कर संबंधित थाने को पुलिस द्वारा ही भेजा जाएगा। इससे समय की बचत भी होगी।

कार्यक्रम में जेएमएफसी गुरु प्रसाद देवांगन ने बताया कि कानून में क्षमा का कोई प्रावधान नहीं है, भले ही भूलवश कोई अपराध हुई हो, सजा जरूर मिलेगी। जो तीन नए कानून बनाया गया है उसमें बहुत अच्छा प्रावधान है। अब धारा 420 ठगी के स्थान पर धारा 318 बन गया। नए कानून में धाराओं में बहुत ज्यादा बदलाव किया गया है, जो पहले हत्या का मामला धारा 320 को अब धारा 103 कहा जाएगा। अंग्रेजी ने जो आईपीसी दंड संहिता अपने हिसाब से बनाया गया था जिसे अब सुधार कर न्याय संहिता बनाया गया। पी.एल.व्ही गोलू दास साहू ने बताया कि देश में संचालित पुरानी दंड संहिता दंड विधान पर बल देती हैं जबकि नवीन न्याय संहिता न्यायपूर्ण समाज व्यवस्था पर बल देती है। आगे डीजे श्री कश्यप द्वारा विचाराधीन बंदियों का हालचाल पूछा गया, उनके स्वास्थ्य के बारे में भी जाना गया साथ ही उनकी समस्याओं को भी सुना गया और बंदी बैरक, पाकशाला, वीसी कक्ष का निरीक्षण किया गया।

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