भोथी में फिर मासूम बछड़े की मौत, प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल

सत्यमेव न्यूज़ के लिए जालबांधा से रिंकू गुप्ता की रिपोर्ट। ग्राम भोथी में प्रशासनिक लापरवाही एक बार फिर सामने आई है। प्राथमिक विद्यालय के ठीक बगल में बनाए गए अस्थायी पशु-बाड़े में चारा-पानी और छाया की कमी के कारण एक और मासूम बछड़े ने दम तोड़ दिया। बीते रविवार को भी यहां एक बछड़े की मौत हुई थी और महज तीन दिन बाद दोहराई गई इस दर्दनाक घटना ने प्रशासनिक उदासीनता को उजागर कर दिया है।
पशु-बाड़ा बन गया “यातना गृह”
ग्रामवासियों का कहना है कि अस्थायी पशु-बाड़ा जानवरों के लिए किसी यातना गृह से कम नहीं है। खुले आसमान तले खड़े पशु भीषण गर्मी, भूख-प्यास और बारिश से बेहाल हैं। न तो चारे की व्यवस्था है और न ही पानी की। नतीजतन मासूम बछड़ों की लगातार मौत हो रही है और बाकी जानवर भी मौत के साए में जीने को मजबूर हैं।
स्कूल के बच्चों पर भी संक्रमण का खतरा
ज्ञात हो कि जिस स्थान पर यह पशु-बाड़ा बनाया गया है वह प्राथमिक विद्यालय की दीवार से सटा हुआ है। बाड़े से उठने वाली दुर्गंध और गंदगी ने स्कूल का वातावरण दूषित कर दिया है और यहां संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पशुओं की आवाजाही और अस्वच्छ माहौल ने नन्हे बच्चों की सुरक्षा पर गंभीर खतरा खड़ा कर दिया है। अभिभावकों का सवाल है कि क्या बच्चों को बीमारियों और हादसों के हवाले छोड़ दिया जाएगा?लगातार हो रही मासूम बछड़ों की मौत से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि इन अस्थायी पशु-बाड़ों को या तो पशु चिकित्सा विभाग के अधीन किया जाए या तत्काल हटाया जाए। साथ ही इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।गौरतलब हो कि भोथी की यह घटना केवल एक बछड़े की मौत नहीं बल्कि प्रशासनिक अव्यवस्था की गंभीर चेतावनी है। सवाल उठता है कि क्या बेजुबान जानवर इसी तरह भूख-प्यास से मरते रहेंगे और क्या बच्चों की सुरक्षा प्रशासन की प्राथमिकता में कभी शामिल होगी?