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दानशीलता के प्रतीक समाजसेवी कुशालचंद बोथरा नहीं रहे

सत्यमेव न्यूज़/खैरागढ़. अंचल में दानशीलता के प्रतीक रहे समाजसेवी कुशालचंद जी बोथरा का 79 वर्ष की आयु में देहावसान हो गया. खैरागढ़ के गोल बाजार स्थित अपने निज निवास में उन्होंने अंतिम सांस ली.

खैरागढ़ के प्रसिद्ध दादाबाड़ी के निर्माण के लिए भू-दान से लेकर अनेक धार्मिक कार्यों में नवनिर्माण, जीव दया, जिन शासन के प्रति समर्पण और असहाय लोगों की मदद करना उनके नित्य जीवन के कर्मों में था. साइकिल में बाजार हाट जाकर एक कपड़ा व्यवसायी के रूप में अपने जीवन की शुरुआत करने वाले श्री बोथरा को कृषि केंद्र व्यवसायी के रूप में प्रतिष्ठा मिली. बाद में उन्होंने आधुनिक खेती के लिए क्षेत्र के किसानों को प्रेरित करते हुए ट्रैक्टर व आधुनिक उपकरणों का व्यवसाय शुरू किया और रियल स्टेट के कारोबार से भी जुड़े रहे हैं. संघर्ष में किंतु सफल जीवन के बीच उन्होंने हमेशा जरूरतमंद लोगों की मदद की. दाऊचौरा स्थित जैन मुक्तिधाम में उन्हें अंतिम विदाई दी गई जहां उनके ज्येष्ठ पुत्र व सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेंद्र बोथरा और कनिष्ठ पुत्र शैलेंद्र बोथरा ने मुखाग्नि दी.

एक सफल, सार्थक व प्रेरक जीवन जीने वाले श्री कुशालचंद जी गाजे-बाजे के साथ विदाई दी गई. अंतिम यात्रा में जैन श्रावक संघ के गणमान्यजनों सहित जनप्रतिनिधि व समाजसेवी उपस्थित रहे. अंतिम समय में वे प्रभु भक्ति में लीन होकर तीर्थ यात्री के रूप में भारत भ्रमण करते रहे. श्रद्धांजलि सभा में जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि उनके सुसंस्कारों के कारण ही उन्हें व उनके परिवार को आज यश और कीर्ति मिली है जो प्रेरणास्पद है. रायपुर से पधारे समाजसेवी ओमप्रकाश बरलोटा ने कहां कि धर्म निष्ठा को लेकर संघ और समाज के लिए उनका योगदान अतुलनीय रहा हैं. दुर्ग से पधारे समाजसेवी मनीष दुग्गड़ ने उनकी जन सेवा व समाधि भाव की प्रशंसा की. मूर्ति पूजक संघ खैरागढ़ के ट्रस्टी राजेंद्र डाकलिया ने बताया कि धर्म कर्म के कामों में वह हमेशा हिम्मत बढ़ाते रहे और सभी को प्रोत्साहित करते रहे. सकल जैन श्रीसंघ के महामंत्री अभय गिड़िया ने उनकी दानवीरता के प्रसंग को बताते हुये कहा कि ऐसे व्यक्तित्व विरले होते हैं. श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुये समाजसेवी गुलाब छाजेड ने कहा कि संपत्ति तो लगभग सभी अर्जित करते हैं लेकिन इसका सदुपयोग करने वाले लोग कम ही होते हैं श्री बोथरा इनमें से एक रहे. उन्होंने जिन शासन के अनुकूल संघ और समाज के साथ ही प्रत्येक जरूरतमंद के लिए अपनी सेवाएं दी जो अतुलनीय है.एक सफल, सार्थक व प्रेरक जीवन जीने वाले श्री कुशालचंद जी गाजे-बाजे के साथ विदाई दी गई. अंतिम यात्रा में जैन श्रावक संघ के गणमान्यजनों सहित जनप्रतिनिधि व समाजसेवी उपस्थित रहे. अंतिम समय में वे प्रभु भक्ति में लीन होकर तीर्थ यात्री के रूप में भारत भ्रमण करते रहे. श्रद्धांजलि सभा में जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह ने कहा कि उनके सुसंस्कारों के कारण ही उन्हें व उनके परिवार को आज यश और कीर्ति मिली है जो प्रेरणास्पद है. रायपुर से पधारे समाजसेवी ओमप्रकाश बरलोटा ने कहां कि धर्म निष्ठा को लेकर संघ और समाज के लिए उनका योगदान अतुलनीय रहा हैं. दुर्ग से पधारे समाजसेवी मनीष दुग्गड़ ने उनकी जन सेवा व समाधि भाव की प्रशंसा की. मूर्ति पूजक संघ खैरागढ़ के ट्रस्टी राजेंद्र डाकलिया ने बताया कि धर्म कर्म के कामों में वह हमेशा हिम्मत बढ़ाते रहे और सभी को प्रोत्साहित करते रहे. सकल जैन श्रीसंघ के महामंत्री अभय गिड़िया ने उनकी दानवीरता के प्रसंग को बताते हुये कहा कि ऐसे व्यक्तित्व विरले होते हैं. श्रद्धांजलि सभा का संचालन करते हुये समाजसेवी गुलाब छाजेड ने कहा कि संपत्ति तो लगभग सभी अर्जित करते हैं लेकिन इसका सदुपयोग करने वाले लोग कम ही होते हैं श्री बोथरा इनमें से एक रहे. उन्होंने जिन शासन के अनुकूल संघ और समाज के साथ ही प्रत्येक जरूरतमंद के लिए अपनी सेवाएं दी जो अतुलनीय है.

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