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खैरागढ़ से शेरगढ़ तक कबाड़ी माफिया का राज, जिले में बेलगाम अवैध कारोबार

सत्यमेव न्यूज के लिये मनोहर सेन खैरागढ़। जिला मुख्यालय खैरागढ़ से दुर्ग संभाग मार्ग के किनारे बसे जिले के अंतिम छोर जालबांधा के शेरगढ़ तक अवैध कबाड़ कारोबार फिर खुलेआम फलफूल रहा है। जिला मुख्यालय खैरागढ़ नगर के कई हिस्सों में बीते कुछ समय से कबाड़ी माफिया फिर बेखौफ होकर सरकारी लोहा और चोरी का माल खरीद-बेच रहे हैं। इन सब के बीच आश्चर्यजनक बात यह है कि पुलिस के नाक के नीचे सारा अवैध कारोबार चल रहा है और पुलिसिया कार्रवाई अवैध कारोबारियों के विरुद्ध शून्य है। कुछ महीने पहले तक बात करें तो पूर्व में पदस्थ रहे जिले के पुलिस कप्तान (एसपी) आईएएस त्रिलोक बंसल के सख्त एक्शन से ये धंधा थम गया था और अवैध कारोबार चलाने वाले कबाड़ियों की कमर टूट गई थी वहीं अब लंबे समय से पुलिसिया कार्रवाई ठप होने के कारण अब फिर लाखों का गोरख धंधा करने वाले कबाड़ माफिया फिर सिर उठाने लगे हैं।

सूत्रों के मुताबिक सरकारी विभागों से चोरी हुए लोहे के गार्डर, तार, पुस्तकें, सरकारी दस्तावेज और पुरानी मशीनरी कबाड़ियों के गोदामों में जमा हो जाती है और उसके बाद शुरू होता है रात के अंधेरे में ट्रक और ट्रैक्टर के ज़रिए चोरी का माल बड़े शहरों राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर और नागपुर तक लाखों का कबाड़ भेजे जाने का खेल।यह पूरा नेटवर्क संगठित गिरोह के रूप में काम कर रहा है जो छोटे कबाड़ियों से लेकर बड़े खरीदारों तक जुड़ा हुआ है। ऐसे में इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि पुलिस के कुछ जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी भी कबाड़ के काले कारनामे में अपने हाथ काले कर रहे हैं।

पुष्ट जानकारी हो कि जिले में पदस्थ पूर्व पुलिस अधीक्षक आईपीएस त्रिलोक बंसल के नेतृत्व में अवैध कबाड़ के काले धंधे पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई थी। तब कई कबाड़ी गिरफ्तार हुए, गोदाम सील किए गए और कबाड़ का काला कारोबार महीनों तक ठप रहा लेकिन आईपीएस त्रिलोक बंसल के तबादले के बाद से लेकर अब काफी समय से पुलिस कार्रवाई न होने से कबाड़ माफियाओं के हौसले बुलंद हैं। कबाड़ियों ने फिर से पुरानी जगहों पर कबाड़ जमा करना और चोरी का माल खरीदना शुरू कर दिया है।

कबाड़ के कारोबार पर नजर रखने वाले कुछ स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह कारोबार न सिर्फ़ चोरी को बढ़ावा दे रहा है बल्कि सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुँचा रहा है। पुलिस की कार्रवाई सुनने पर जाने से इन दिनों रात में ट्रक आते हैं, कबाड़ उतरता है, और अगले दिन वहीं से गायब हो जाता है। पुलिस का मैदानी अमला सब जानता है पर कार्रवाई क्यों नहीं होती यह बड़ा प्रश्न है। इन सब के बीच मांग उठ रही है कि पुलिस प्रशासन के ईमानदार आला अधिकारी मामले को संज्ञान में लेकर कार्रवाई की दिशा में सर्च अभियान चलाए और अवैध कबाड़ के काले कारोबार पर पहले की तर्ज पर सख्त रोक लगाए।

जिले में फिर से अवैध कबाड़ माफिया के बढ़ते नेटवर्क ने कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि क्या जिला पुलिस प्रशासन एक बार फिर पुराने अंदाज़ में सख्त अभियान चलाएगा या यह अवैध कारोबार यूँ ही सरकारी संपत्ति को चुपचाप अजगर की तरह निगलता रहेगा।

Satyamev News

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