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पॉलीटेक्निक में जनजातीय गौरव दिवस पर हुये विविध आयोजन

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. शासकीय पॉलीटेक्निक खैरागढ़ में जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम का समापन 11 नवंबर को किया गया। इस विशेष आयोजन का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों के बलिदान और भीषण संघर्ष की गौरव गाथा को आज की पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ 17 अक्टूबर को हुआ। इस मध्य संस्था में छात्र-छात्राओं के लिये अलग-अलग दिवसों पर जनजातीय नायकों की जीवनी एवं उनकी कला संस्कृति विषय पर विभिन्न प्रतियोगिताएं यथा रंगोली, मेहंदी, भाषण, चित्रकला और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें छात्र-छात्राओं ने बड़े उत्साह के साथ भाग लिया। इन प्रतियोगिताओं में छात्रों ने अपनी कला और ज्ञान का उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए जनजातीय नायकों के प्रति अपने सम्मान को अभिव्यक्त किया। इन प्रतियोगिताओं ने न सिर्फ छात्रों में जागरूकता बढ़ाई बल्कि उनमें जनजातीय समाज की संस्कृति और संघर्ष के प्रति एक नया दृष्टिकोण भी विकसित किया। 11 नवंबर को कार्यक्रम के समापन समारोह के मुख्य अतिथि वैभव सुरंगे अखिल भारतीय युवा कार्य प्रमुख वनवासी कल्याण आश्रम और विशिष्ट अतिथि राजीव शर्मा रहे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य एसबी वराठे ने की। श्री सुरंगे ने अपने उद्बोधन में बताया कि जनजातीय समुदायों का इतिहास अत्यन्त गौरवशाली है। उन्होंने विभिन्न जनजातीय नायकों जैसे छत्तीसगढ़ के शहीद वीर नारायण सिंह और गुण्डाधुर, मध्यप्रदेश की अमर बलिदानी गोंडवाना की रानी दुर्गावती, भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी, फूलो-झानों मुर्मू और कोमराम भीम के संघर्षपूर्ण इतिहास का उल्लेख किया। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी प्रकृति पूजक और वनों के रक्षक हैं। जनजातीय कला संस्कृति केवल मनोरंजन के लिए नहीं अपितु इसमें उनकी आस्था होती है। यह एक सामुदायिक परंपरा है जिसको भक्ति के साथ सभी लोग निभाते हैं और इसमें उनकी आत्मा बसती है। इसी क्रम में छात्रों द्वारा गोंड जनजाति के पारंपरिक गोंडी नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई जो जनजातीय संस्कृति की विविधता और उसकी सुंदरता को दर्शाती है। कार्यक्रम के दौरान जनजातीय नायकों के संघर्ष और स्वतंत्रता आंदोलनों में उनके योगदान को वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से दिखलाया गया। छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली 42 प्रकार की जनजातियों में से 4 जनजातियों- गोंड, माड़िया, उरांव और भील एवं झारखण्ड राज्य के संथाल जनजाति समुदाय के पारम्परिक वेशभूषा का भी प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत संथाली नृत्य ने समां बांधा। हस्तकला, काष्ठकला, शिल्पकला एवं छात्र-छात्राओं द्वारा चित्रित जनजातीय नायकों का चित्र, प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया जिसका उद्घाटन मुख्य अतिथि द्वारा रिबन काट कर किया गया। समापन समारोह में विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम का संचालन जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम की संयोजक अंशु प्रीति कुजूर और सह-संयोजक सुलेखा कुजूर के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में जनजातीय गौरव स्मृति कार्यक्रम टोली डॉ.स्वाति टीकम, महेश कुमार देवांगन, रोशनी ताम्रकार, सीमा दिल्लीवार, मन्नू कुमार नायक, आरएन गोंड, रामप्रसाद चुरेंद्र व अशोक गोंड का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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