अक्षय तृतीय पर बच्चे रचाते हैं मिट्टी के दूल्हा-दुल्हन का विवाह, परंपरा और उल्लास का है संगम

सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. नगर में अक्षय तृतीया के मौके पर मिट्टी के दूल्हा-दुल्हन का प्रतीकात्मक विवाह कराया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। खैरागढ़ में अक्षय तृतीया के मौके पर बच्चे परंपरागत तरीके से मिट्टी के दूल्हा-दुल्हन के खिलौनों को सजाकर प्रतीकात्मक विवाह समारोह आयोजित करते हैं.

इस प्राचीन परंपरा को निभाते हुए बच्चे बाजार जाकर दूल्हा दुल्हन के खिलौने खरीदते हैं, फिर उन्हें रंग-बिरंगे वस्त्र पहना कर विवाह की रस्मों का जीवंत मंचन करते हैं. समूह में मिलकर बच्चे बारात, हल्दी, वरमाला और फेरे जैसी रस्मों को निभाते हैं और घरों के बड़े-बुजुर्गों से बच्चे आशीर्वाद लेते हैं और मिठाइयां खिलाते हैं। इस आयोजन से बच्चों में सामूहिकता, परंपरा और भारतीय संस्कृति के प्रति प्रेम का संचार होता है।
मिट्टी के खिलौनों को सजा-संवारकर निभाते हैं विवाह की रस्में

बच्चे स्वयं नहीं, बल्कि बाजार से खरीदे गए मिट्टी के खिलौनों (दूल्हा-दुल्हन) को सजा-संवारकर विवाह की रस्मों को निभाते हैं. विवाह की सभी रस्में- हल्दी, वरमाला। फेरों की प्रतीकात्मक मनाई जाती है जो बड़ों के आशीर्वाद के साथ संपन्न होती हैं।

बता दें कि एक घर में सभी बच्चे एकत्र होकर सामूहिक आयोजन करते हैं और विवाह के बाद सत्तू का प्रसाद बांटा जाता है. नए मिट्टी के घड़े इस दिन रखे जाते हैं जो पवित्रता और नवीनता का प्रतीक माने जाते हैं
यह आयोजन बच्चों में सामाजिकता, सहयोग और सांस्कृतिक चेतना का विकास करता है. साथ ही उन्हें विवाह संस्कारों की प्राथमिक समझ भी देता है।