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साहित्यकार अन्वेषकों और वैज्ञानिकों से बड़े होते हैं- कलेक्टर

सत्यमेव न्यूज/खैरागढ़. जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम खैरबना में 12 फरवरी को प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन की दूरगामी योजना ‘चलो गाॅंव की ओर‘ के अन्तर्गत पाठक मंच खैरागढ़ और खैरबना गाॅंव के संयुक्त तत्वाधान में सरोजिनी नायडू के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर गीत यामिनी का दसवाॅं आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पंहुचे जिला कलेक्टर चंद्रकांत वर्मा व छत्तीसगढ़ प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन अध्यक्ष रवि श्रीवास्तव की अध्यक्षता में कार्यक्रम संपन्न हुआ.

मुख्य अतिथि चंद्रकांत वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्यकारों को मैं अन्वेषकों और वैज्ञानिकों से बड़ा मानता हूँ, क्योंकि उनका लिखा आज तक चल रहा है. हम प्रेमचंद को देखते हैं और बहुत से कवि लेखक हैं जिनकी बात आज भी खरी है. कवि सम्मेलन से मैं पहले से परिचित हूं, लेकिन गांव में कवि सम्मेलन का होना और हिंदी साहित्य सम्मेलन के मंच से होना बहुत बड़ी बात है.

इस दौरान कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे रवि श्रीवास्तव ने कहा कि इस आयोजन से गाॅंव की ओर लौटना और गाॅंव वालों से जुड़ना तथा उनसे जुड़ने के बाद उन्हें अपने स्तर तक लाना, आज के समय में महत्वपूर्ण है. यह सतत प्रयास 10 वर्षों से चल रहा है. और खैरबना गाॅंव इसका गवाह है. कार्यक्रम के संयोजक डॉ. प्रशांत झा ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि गीत यामिनी के मंच पर किसी कलेक्टर का पहुंचना बड़ी बात है और यह खैरबना के लिए ऐतिहासिक पल होना बताया गया.

कवि सम्मेलन की शुरुआत वरिष्ठ कवि डॉ. जीवन यदु ने अपनी छत्तीसगढ़ी कविता ‘काँपत से सुरूज अउ घाम ह बिसरगे‘ के सस्वर वाचन से किया गया. वरिष्ठ कवयित्री संतोष झांझी ने ‘जीवन के गीत‘ शीर्षक से अपनी रचना का सस्वर पाठ किया. महासमुंद से पधारे अशोक शर्मा ने गजल और दोहों से शमा बांध दिया. महासमुंद से ही आए बंधु राजेश्वर खरे ने नारी शक्ति को नमन करते हुए ‘नारी सब पर भारी है‘ कविता का सस्वर पाठ किया. खैरागढ़ की कवि विनय शरण सिंह ने ‘आजादी के 75 साल‘ कविता के माध्यम से देश की समकालीन व्यवस्था पर व्यंग्य किया. डॉ प्रशांत झा ने गांव से गांव के खत्म होने की विडंबना को अपनी मार्मिक कविता ‘खोजत हो मोर गाँव ल‘ में व्यक्त किया. नाथू तोड़े ने अपनी कविता ‘खैरागढ़ वंदना‘ के माध्यम से खैरागढ़ की मिट्टी को नमन किया. युवा कवि संकल्प पहटिया ने मुक्तछंद की कविता ‘बेमौसम‘ के माध्यम से देश की समकालीन राजनीतिक से उपजी सांस्कृतिक और धार्मिक कुप्रवृत्ति पर व्यंग्य किया. युवा कवि यशपाल जंघेल ने संकल्प पहटिया को समर्पित मुक्तछंद की कविता ‘कवि से बचिये‘ कविता के माध्यम से चारण कवियों पर प्रहार किया. रवि यादव ने छत्तीसगढ़ी कविता ‘शीशी बिनाईया‘ का पाठ करते व्यवस्था से उपजी कुव्यवस्था पर व्यंग्य किया. कार्यक्रम का संचालन करते हुए रवि श्रीवास्तव ने ‘बच्चों अब दूध नहीं जहर पीयो‘, ‘दो सूखी रोटी‘ और ‘माँ‘ कविता का पाठ करके लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. कवि सम्मेलन का समापन डॉ जीवन यदु ने ‘आजादी के बाद बाबा के मेहनत मिलगे मट्टी मा‘ के साथ किया. इस कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों में पीलेश्वरी साहू, रंजू वर्मा, सागर इंडिया, मकसूद अहमद खान और बलराम यादव ने भी अपनी कविता से ग्रामवासियों को प्रभावित किया. कवि सम्मेलन की समाप्ति के पश्चात् छत्तीसगढ़ प्रदेश हिंदी के महामंत्री राकेश तिवारी ने गीत यामिनी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए गाँव और कविता के संबंध को विस्तार से बताया. सम्मेलन के प्रबंध मंत्री राजेंद्र चांडक ने कविता के प्रति गाँव वालों की रुचि की तारीफ करते हुए स्व. ललित सुरजन को याद किया. कार्यक्रम के अंत में ग्राम वसियों ने आभार प्रदर्शन किया. इस कवि सम्मेलन को सफल बनाने में टी.ए. खान, जीवेन्द्र सिंह, ओम झा, मिहिर झा, हेमनाथ साहू, शंकर साहू, धरमुराम मंडावी, आशाराम मैथिली क्षत्रिय, खूबदास साहू, मोरध्वज साहू, डॉ.शिवचरण साहू, ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इस कवि सम्मेलन में खैरबना के साथ-साथ आसपास के ग्रामवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.

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