
झूरानदी में दो मासूमों की हत्या के बाद नहीं मिली समय पर मुक्तांजलि वाहन की सुविधा

स्वास्थ्य विभाग की प्रशासनिक लापरवाही पर फूटा लोगों का गुस्सा

सत्यमेव न्यूज के लिये मनोहर सेन खैरागढ़। थाना छुईखदान क्षेत्र के ग्राम झूरानदी में दो मासूम बच्चों की निर्मम हत्या से पूरा क्षेत्र शोक और सदमे में डूबा हुआ है। दुख की इस घड़ी में परिजनों को एक और कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा जब अस्पताल से घर तक मासूमों के शव को ले जाने के लिए शासन की महत्त्वपूर्ण सेवा मुक्तांजलि वाहन समय पर उपलब्ध नहीं हो पाया।
सोमवार की सुबह पोस्टमार्टम प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिजनों ने नियमानुसार मुक्तांजलि एक्सप्रेस वाहन की मांग की लेकिन स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था एक बार फिर उजागर हो गई। उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1099 नम्बर से संचालित मुक्तांजलि वाहन खैरागढ़ मुख्यालय से तो रवाना हुआ लेकिन वाहन की जर्जर स्थिति और बेहद धीमी गति के कारण वह छुईखदान देर से पहुंच पाया। इधर इंतजार कर रहे परिजन समय बीतता देख मजबूर हो गए और गहरे दुःख के बीच निजी किराए के माल वाहक वाहन का इंतजाम करके मासूमों के शवों को झूरानदी लेकर रवाना हो गए।इस घटना ने स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर भी स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। लोगों का कहना है कि जिले का गठन हुए साढ़े तीन वर्ष से अधिक समय बीत चुका है मगर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के नाम पर जमीनी स्तर पर आज भी कोई ठोस परिवर्तन दिखाई नहीं देता। ग्रामीणों का आरोप है कि जिले में आज भी सिर्फ एकमात्र मुक्तांजलि वाहन उपलब्ध है वह भी अत्यधिक पुराना और खराब स्थिति में है। कई बार ऐसी घटनाएँ सामने आती हैं जिनमें शोकग्रस्त परिवारों को अंतिम संस्कार के पहले चरण में ही अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने मांग की है कि खैरागढ़, छुईखदान, गंडई के साथ-साथ साल्हेवारा और अन्य दूरस्थ सरकारी अस्पतालों में अलग-अलग मुक्तांजलि वाहनों की स्थायी व्यवस्था अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी परिवार को इस तरह की असुविधा और मानसिक पीड़ा का सामना न करना पड़े।
मामले पर स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया जानने के लिए जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.आशीष शर्मा से उनके अधिकृत दूरभाष क्रमांक 9424105144 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया किंतु हर बार की तरह जिले के चिकित्सकों के मुखिया द्वारा कॉल रिसीव नहीं किए जाने के कारण विभागीय पक्ष प्राप्त नहीं हो सका।