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धान की फसल पर माहू का प्रकोप, दवाईयां बेअसर किसान मुआवजे की आस में

सत्यमेव न्यूज के लिए आकाश तिवारी बाजार अतरिया। धान की फसल इन दिनों माहू नामक कीट से बुरी तरह चट रही है। किसानों का कहना है कि चार-पांच बार महंगे कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करने के बावजूद बीमारी काबू में नहीं आ रही। खेतों में धान की जड़ और तना चूसकर माहू फसल को इतना कमजोर कर रहा है कि पौधे पानी में गिरकर सड़ने लगे हैं।

किसानों का आरोप है कि बाजार में बिक रही दवाईयां असरदार नहीं हैं। कई जगह डुप्लीकेट और घटिया दवाइयां किसानों को महंगे दाम पर बेची जा रही हैं। किसान पूछ रहे हैं जब लाखों खर्च कर दवाइयां खरीद ली तो बीमारी काबू में क्यों नहीं आ रही?किसान और दवा विक्रेता प्रकाश वर्मा का कहना है कि असली कारण शीतब्लाइट है। जब तक शीतब्लाइट खत्म नहीं होगा माहू का प्रकोप भी जारी रहेगा वहीं रासायनिक उर्वरक विक्रेता नारायण सिरसाट बताते हैं कि वैज्ञानिक स्तर पर रिसर्च चल रहा है और अभी तक कोई भी दवा पूरी तरह कारगर साबित नहीं हुई है।

कुसमी के किसान भारत वर्मा का कहना है एक एकड़ में 8 से 10 हजार रुपये दवा में खर्च हो चुके हैं फिर भी फसल बच नहीं रही। अब सरकार से ही उम्मीद है। किसान नेता व जनपद प्रतिनिधि ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि धान की फसल माहू ब्लाइट और तना छेदक जैसे कीटों से भारी नुकसान झेल रही है। उत्पादन में भारी गिरावट तय है। किसान जल्द ही जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर मुआवजे की मांग करेंगे।

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