गर्मी में पैदल सिर पर पानी ढो कर लाती महिला और नल जल योजना के अधूरे काम

गर्मी शुरू होते ही जिले में बढ़ने लगा पेयजल व निस्तारी जल संकट

सूखने लगा अमनेर, पिपरिया व मुस्का नदी का जल
करोड़ों खर्च के बाद भी पीएचई की नल-जल योजना फिसड्डी साबित हो रही है
सत्यमेव न्यूज खैरागढ़. गर्मी शुरू होने से पहले जल स्तर गिरा जिले में बढऩे लगी पेयजल की समस्या
तेज धूप व बढ़ती गर्मी के चलते अब जिला मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्र में पानी का संकट गहराता जा रहा है। लगातार बढ़ रही गर्मी और भू-जल स्तर गिरने से पेयजल सहित निस्तारी की समस्या और अधिक बढ़ गई हैं। जिला मुख्यालय खैरागढ़ से होकर गुजरने वाली पिपरिया, मुस्का और आमनेर नदी का भी जलस्तर होली के बाद तेजी से घट गया हैं जिसके कारण अंचल में जल संकट की समस्या शुरू हो गई है।
तेजी से घट रहा आमनेर, पिपरिया और मुस्का नदी का जल स्तर

खैरागढ़ अंचल की जीवनदायिनी कही जाने वाली आमनेर, पिपरिया और मुस्का नदी का जल स्तर भी गर्मी शुरू होने के साथ तेजी से घट गया हैं। केवल आमनेर नदी में ही निस्तारी योग्य कुछ पानी रह गया हैं शेष मुस्का और पिपरिया नदी में पानी सूख रहा या कई निचली बस्ती वाले इलाकों में इन नदियों का जल सूख चुका हैं जहां नदी का जल स्तर घट गया हैं वहां जलकुंभियों ने अपना कब्जा जमा रखा हैं वहीं कुछ इलाकों में नदी के ठहरे पानी से असहनीय बदबू आ रही हैं। दाऊचौरा रपटा पुल, शिव मंदिर मार्ग और नया टिकारापारा राम मंदिर के पास नदी के पानी में बदबू फैल चुकी हैं और नदी के पानी के खराब हो जाने के कारण यहां जलीय जीव भी मर रहे हैं।
ग्रामीण अंचल में गहराते जा रहा पेयजल संकट
इस साल फागुन माह में ही अब ग्रामीण अंचल में पेयजल का संकट गहराते जा रहा है, ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद नदी, तालाब सहित जलाशय भी सूखने लगे हैं जिसके चलते धीरे-धीरे पानी की किल्लत शुरू हो गई है। ज्ञात हो कि इस साल तो फागुन माह के शुरूआती दौर में ही सूरज आग उगलने लगा है और अंचल में गर्मी अपना विकराल रूप दिखाने लगा है. तेज धूप के चलते तापमान 40 डिग्री के आस-पास पहुंच चुका है ऐसे में अब दोपहर होते ही लोगों का घर से निकलना भी मुश्किल हो रहा है वहीं तापमान के बढऩे से अंचल के नदी, तालाब तेजी से सूखने लगे हैं जिससे मैदानी इलाके में भी पानी का संकट अभी से देखने को मिल रहा है। पोखरों तथा जलाशयों में पानी की कमी के चलते अब जीव-जन्तु भी पानी के लिये भटक रहे हैं और गांव की ओर अपना आश्रय ढूंढ रहे हैं। खैरागढ़ अंचल में रानी रश्मि देवी जलाशय, रूसे जलाशय, भरतपुर जलाशय तथा प्रधानपाठ बैराज होने के कारण अंचलवासियों को निस्तारी के लिये तथा पेयजल के लिये कुछ हद तक पानी मिल जाता है लेकिन गर्मी का प्रकोप शुरू होने से अब जलाशय भी धीरे-धीरे सूखने लगे हैं और पानी की समस्या होने लगी है। नगर के चारों ओर बहने वाली अधिकांश नदियों में इन्हीं जलाशयों का पानी छोड़ा जाता है जिससे नगरवासियों सहित नदी के किनारे बसे ग्रामीणों को निस्तारी के लिये पानी उपलब्ध हो जाता है लेकिन बढ़ती गर्मी के कारण अब जलाशयों में भी पानी की कमी देखने को मिल रही है ऐसे में जंगल सहित मैदानी इलाकों में विचरण करने वाले जीव-जन्तुओं के समक्ष भी पानी का संकट उत्पन्न हो रहा है। खैरागढ़ अंचल में कई ऐसे मैदानी इलाके हैं जहां भांठा-भूमि होने के कारण यहां पानी का स्तर काफी नीचे होता है जहां गर्मी की शुरूआती दौर में ही पानी की समस्या उत्पन्न होने लगती है, गांव के लोगों को पानी के लिये लंबी दूरी तय करना पड़ता है। वर्तमान में आग उगलने वाली तेज धूप के चलते कई गांवों का वाटर लेवल कम हो चुका है और अभी से पानी की किल्लत शुरू हो गई है।
बसंत ऋतु की विदाई के साथ ही 2025 में गर्मी दिखा रही अपने तेवर

बसंत ऋतु के अवसान के साथ ही गर्मी ने भी अपना दस्तक दे दी है लेकिन गर्मी अपने तेवर दिखाये इससे पहले ही अंचल में जल संकट की समस्या अब गहराने लगी है। अंचल के लोगो के लिये अब यह चिंताजनक बात बन गई हैं कि अंचल में मार्च माह से ही पेयजल व निस्तारी की समस्या खुलकर सामने आने लगी है। हमारी पड़ताल में इस बात की भी जानकारी मिल रही हैं कि अंचल में कही-कही जल स्तर काफी नीचे जा चुका है और ऐसे इलाकों में आने वाले दिनों में भारी पानी की किल्लत देखने को मिल सकती है।
जागरूकता के अभाव में लाखो लीटर पानी हो रहा व्यर्थ
जल संकट को लेकर दो बड़ी बातें सामने आ रही है जिसमें एक ओर जहां नागरिकों में जागरूकता का अभाव एक बड़ी वजह बन रही है वहीं शासन-प्रशासन जल बचाने सदुपयोगी कार्य नहीं कर पा रही है। निरंतर ग्रामीण व शहरी स्तर पर यह वाकया देखने को मिल रहा है कि नलकूपों से पानी जरूरत के अलावा भी व्यर्थ बहा दिया जाता है वहीं अमूमन पंचायतों में बोर के शुद्ध पानी को तालाबों में भरा जाता है। तालाबों में बोर का बहुपयोगी पानी भरने से हजारों लीटर पानी व्यर्थ हो जाता है वहीं तालाब में शुद्ध जल अशुद्ध हो जाता है। अंचल में पेय जल से अधिक निस्तारी जल की समस्या सामने रहती है ऐसे में न केवल शासन को सजगता के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन करना होगा बल्कि आम जनमानस को भी जल के सदुपयोग को लेकर सजग रहना होगा। अमूमन गांवों में तालाब के पास ही बोर उपलब्ध हैं लेकिन बोर के समीप जल को सुनियोजित करने कोई प्रयास नहीं किया गया है, बेहतर होगा कि इन नलकूप स्त्रोतों के समीप सिनटेक्स की टंकी लगाई जाये या सीमेंट क्रांकीट से एक टंकी बना दी जाये जिससे व्यर्थ बह जाने वाले जल को बचाया जा सके। जल संचयन के लिये प्रशासनिक स्तर पर नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिये अभियान चलाया जाना चाहिये जिससे वर्षा चल का संचयन किया जा सके जो संकट के समय कारगर सिद्ध होगा। शासन-प्रशासन सहित आम नागरिक जल संचयन को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नजर नहीं आते जिससे गर्मी के दिनों में आम नागरिकों को ही जल संकट का सामना करना पड़ता है।
खैरागढ़ के ये क्षेत्र है ज्यादा प्रभावित
अंचल में कुछ ऐसे क्षेत्र है जहां फिलहाल पानी की समस्या नहीं है लेकिन कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां अभी से पानी की समस्या विकराल रूप ले रही है जिनमें ठेलकाडीह, देवारीभाट, मड़ौदा, अतरिया, प्रकाशपुर, मुढ़ीपार व वनांचल में करेलागढ़ व कटेमा जैसे क्षेत्र इन दिनों जल संकट की समस्या से जूझ रहे है। इन क्षेत्रों में गर्मी शुरू होते ही पानी की समस्या से दो चार होना पड़ रहा है और नदी, तालाब, कुआं व हेण्ड पंप सूखने लगे हैं और यहां के रहवासियों को जीवन-यापन के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता हैं।
संगीत नगरी में भी बिगडने लगी स्थिति
संगीत नगरी खैरागढ़ में पेयजल सहित निस्तार की व्यवस्था की बात की जाये तो फिलहाल स्थिति अब तक सामान्य तो बनी हुई है लेकिन आने वाले दिनों में यहां भी जल संकट गहरा सकता हैं। नगर में 5 बरस पहले शुरू की गई नल-जल योजना का काम अब तक पूरा नहीं हुआ हैं। वहीं नगरवासियों को आमनेर, पिपरिया व मुस्का नदी में बने दाऊचौरा, लालपुर व धरमपुरा स्टॉप डेम के बन जाने से निस्तारी के लिये पानी तो मिल रहा हैं लेकिन अल्प वर्षा और तेज गर्मी के कारण अब नदी का पानी धीरे-धीरे सुखने लगा है जिससे स्टॉप डेम का पानी तो कम हो ही रहा है साथ ही दाऊचौरा, शिव मंदिर मार्ग, नया टिकरपारा व मुस्का सहित अन्य इलाकों में निस्तारी जल की कमी हो रही है और जरूरतमंदो को दूरी तय करनी पड़ रही है।
लोगों को राहत देने फिसड्डी साबित हो रही पीएचई की योजनाएं
जिले में गर्मी के प्रकोप के कारण जल समस्या बढ़ती ही जा रही हैं। ग्रामीण इलाकों के साथ ही कुछ शहरी आबादी आवश्यक पेयजल व निस्तरी जल के लिए जूझ रही हैं लेकिन लोगों को जल समस्या के निदान के लिए राहत देने की जिम्मेदारी वाला जिले का लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग फिसड्डी साबित हो रहा हैं और जिले में पीएचई की योजनाएं दम तोड़ती नजर आ रही हैं। यूँ तो कमीशन खोरी और भ्रष्टाचार के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग जिले में बुरी तरह बदनाम हैं और अब गर्मी के दिनों में जिले की जरूरतमंद जनता को राहत देने में भी विभाग का रवैय्या ढुलमूल ही हैं। ज्ञात हो कि जिले के कई जल अभावग्रस्त इलाकों में हैंडपंपों से पानी नहीं मिल रहा हैं उल्टे पानी की जगह हवा निकल रही, जो पीएचई विभाग की कार्यशैली को जस नाम तस गुण के रूप में चरितार्थ कर रहा है। अंदर खाने खबर है कि विभाग में हैण्डपंपो की मरम्मत के नाम पर भी भ्रष्टाचार हुआ हैं और हो रहा हैं। ऐसे में जिले के जरूरतमंद लोगों को राहत नहीं मिल पा रही हैं और विभाग के औचित्य पर ही सवाल उठ रहे हैं।
गर्मी दिखा रही असर और अधिकारी ले रहे गर्मी में ठंडी का मजा
प्रंचड गर्मी का असर अब जिले भर में दिखाई देने लगा हैं जिसके कारण हैंडपंपों पर भी इसका असर दिखने लगा है। जल स्तर नीचे गिरने के चलते जिले के एक चौथाई हैंडपंपों से पानी की जगह हवा निकल रही है और मई माह में गर्मी का व्यापक असर पेयजल व्यवस्था पर पड़ने लगा है।
जिले में 4 हजार से अधिक हैंडपंप लेकिन काम के नहीं
जिले में चार हजार से अधिक शासकीय हैंडपंप हैं जिससे जिले के 4 सौ से अधिक गांवों में लोगों की पेयजल आपूर्ति होती है। गर्मी के पहले से ही कई गांवों में हैंडपंप हांफने लगे है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफसरों का दावा है कि शिकायत पर कार्यवाही की जा रही है लेकिन परिस्थितियां इसके उलट है। दावों के बीच जिले के हैंडपंप ही अधिकारियों की कार्यशैली की पोल खोल रहे है और अब पुराने हैंडपंपों में पेयजल आपूर्ति में जलस्तर गिरने का प्रभाव सबसे ज्यादा दिख रहा है। दूसरी ओर कई हैंडपंपों में जलस्तर गिरने के बजाए अन्य खराबी ज्यादा निकल रही है, जो बताती है की मरम्मत के नाम पर भी विभाग ने केवल खाना पूर्ति कर काम चलाया है।
अधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी के नल-जल योजना की भी धार कर दी पतली
गांवों में योजनाबद्ध तरीके से पेयजल आपूर्ति बनाने बोर कर बनाई गई नलजल योजना में भी जलस्तर गिरने के चलते व्यापक असर सामने आया है। हालत यह हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी कहे जाने वाली नल-जल योजना की भी अधिकारियों की करतूत से धार पतली हो गई है। जगह-जगह पानी टंकी बनाकर उसे बोर से भरने और ग्राम स्तर पर पेयजल आपूर्ति के लिये संचालित होने वाली इस योजना मे लो-प्रेशर की शिकायतें लंबे समय से आ रही हैं। गर्मी के चलते अतिरिक्त समय तक इसका संचालन करना पड़ रहा है। जिले के वनांचल क्षेत्रों के साथ खदान इलाकों में भी योजना से पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।
आउट ऑफ़ रेंज रहते हैं पीएचई के अधिकारी
जल समस्या के साथ ही पीएचई के अधिकारियों का अमूमन समय गायब रहना भी जिले में एक समस्या है। विभाग के कई अधिकारी और कर्मचारी जिला मुख्यालय में निवास ही नहीं करते, कुछ अधिकारियों का आने-जाने का समय भी तय नहीं है वहीं खैरागढ़ में जल समस्या को लेकर विभाग का पक्ष जानने खैरागढ़ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के एसडीओ तहसीन खान से उनके दूरभाष 94060 69153 पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन हमेशा की तरह अधिकारियों का कोई पक्ष जनहित में सामने नहीं आया वही फिलहाल जिले में कार्यपालन अभियंता का पद रिक्त हैं और राजनांदगांव के कार्यपालन अभियंता खैरागढ़ के अतिरिक्त चार्ज में है।